Protect your life in cold weather...Editorial

सर्दी का मौसम एक ऐसा मौसम होता है जिसमें सर्दी से बचने का कोई उपाये नहीं होता है। अभी हमारे देश में दिन व दिन सर्दी बड़ती जा रही है। जिससे गरीब और बेसहारा लोगों के लिए जिन्दगी बचाने का संघर्ष शुरू हो जाता है। इसकी वजह से पुरे देश में सर्दी की वजह से लोग काफी परेशान है।

सबसे ज्यादा परेशानी गरीब लोगों की होती है जिनके पास सर्दी से बचने के लिए कोई उपाये नहीं होता है। घास फूस के बने छोटे से घर में कहा तक सर्दी से वो बच पायेगें। शीतलहर इतनी ज्यादा चल रही है कि पक्के घरों में लोग सर्दी से कांप रहे है। तो गरीब लोग कैसे अपने आपको और अपने बच्चों को सर्दी से बचा पायेगें।

अगर कुदरत का दिया हुआ हमारे पास बहुत कुछ है तो क्यों न हम सब मिलकर आगें आये और जानलेवा इस ठंड के मौसम में उन गरीबों का सहारा बने जो अपने लिए सर्दी के इन जानलेवा रातों में किसी मसीहा की तलाश में है। सर्दी की राते गरीबों के लिए बहुत अजमाईशों भरी होती है।

आज पुरे देश में शीतलहर का दौर जारी है। ऐसे में सर्दी की रातें गरीबों के लिए के लिए काटना बड़ा मुश्किल होता है उनकी आँखों को तलाश रहती है किसी ऐसे मसीहा की जो आकर उनको ठंड से बचा सके। ठिठुरते हुई रात न गुजारनी पढ़े। बहुत से गरीब इन सर्दी की रातों में खुले आसमान के नीचे कांपते रहते हैं। हालांकि ऐसे कई लोग हैं, जो गरीबों की पीड़ा को समझते हुए नेक कार्य के लिए आगे आते हैं और गर्म कपड़े, कंबल आदि का वितरण कर लोगों को मानव सेवा के लिए प्रेरित करते हैं। काश ऐसे लोगों में हमारा भी नाम हो जो गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए मदद के लिए आगे आये।

गरीबों के लिए सर्दी का मौसम काफी कष्टप्रद होता है। गर्मी तो कैसे भी कट जाती है। लेकिन सर्दी की राते काटना काफी कठनाई भरा होता है।
दिसंबर के मध्य से धीरे धीरे भारत के अधिकांश शहर शीतलहर की चपेट में आ गये है। कोहरे और शीतलहर की वजह से कड़ाके ठंड शुरू हो गई ऐसे में शुरू होता है गरीबों के लिए जिंदा रहने का संघर्ष।

सर्दी का मौसम गरीबों के लिए मानो मुसीबत बन कर आता है। जब कड़ाके की ठंड में बिना कपड़ों के उनको रातें गुजारनी पढ़ती हैं। तो ये मंजर हमारे लिए दिल दहला देने वाला होता है। सर्दी में ठिठुरते हुए किस तरह से रात गुजरती हैं। इस दर्द को एक गरीब ही समझ सकता है। छोटे-छोटे मासूम बच्चे सर्दियों की इस जमा देने वाली रातों में कही भी आपको सर्दी से कांपते हुए मिल जायेगें।

जिनके पास पहनने को कपड़े नहीं होते है वो होडऩे को कहां से लाये। दिन तो धुप में रहकर गुजर जाता है। लेकिन रात गुजारना काफी मुश्किल हो जाता है। हालांकि दिन में भी उनको परेशानी होती है, लेकिन धूप निकलने पर कुछ राहत मिल ही जाती है।

सर्दी की इन जानलेवा रातों में गरीब लोग किसी ऐसे मसीहा की राह देखते हैं जो उनको गर्म कपड़े और कंबल आदि का वितरण करें। समाज में कई लोग ऐसे हैं जो गरीबों की पीड़ा को समझते हैं और उनकी मदद के लिए आगे भी आते हैं।

ठंड से परेशान लोग अपने शरीर में गर्माहट लाने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं । विशेष तौर पर गरीब परिवार के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पढ़ता हैं। हालांकि प्रशासन के द्वारा अभी तक कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है, और ना ही कहीं गरीबों के बीच कंबल वितरण किया जा रहा है ।

गरीब, किसान मजदूर वर्ग के लोग विशेष रूप से ठंड से परेशान हो जाते हैं। कपड़े व अन्य आवश्यक संसाधनों के अभाव में उन्हें जाड़े का यह मौसम गुजारना काफी कठिन साबित होता है । ठंड के मौसम में गरीबों को मात्र अलाव का सहारा ही होता है । जिसके सहारे वे किसी प्रकार रात गुजार लेते हैं ।

जहां गरीब तबके के लोग रहते है वहां के स्थानीय निवासियों को गरीबों के इस दर्द को समझना चाहिए। और उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए।

अगर आम जनता गरीबों की इस परेशानी को समझ कर मदद के लिए आगे आयेगे तो प्रशासन का भी ध्यान इस और जरूर जायेगा। अभी कुछ समाज सेवी लोग ऐसा कर भी रहे है चौक-चौराहों एवं गरीब बस्तियों में अलाव की व्यवस्था कर गरीब व मजदूरों के बीच कंबल और गरम कपड़ो का वितरण प्रारंभ कर रहे है।

लेकिन ये काश समाज का हर वर्ग इस नैक काम में अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए आगे बढक़र अपने हिस्से की मदद करें तो कितना अच्छा होगा। हर इंसान सोचता है उसका बच्चा सर्दी की इन रातों में आराम से सोये तो एक गरीब भी यहीं चाहता है लेकिन अभावों की वजह से ऐसा नहीं कर पाता है। इस लिए सबको और प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी समझकर आगे आने की जरूरत है। उन गरीबों पर भी ध्यान दिया जाए जो इस कड़ाके की ठंड में सडक़ों पर रात गुजारने को मजबूर है।

सर्दी गरीबों के लिए ही नहीं परेशानी बनकर आती है। बल्कि सर्दी का मौसम पशु पंक्षियों के लिए भी बहुत मुश्किल भरा दौर होता है इसलिए हमे चाहिए हम सर्दियों अपने पालतु पशुओं का तो ध्यान रखे ही साथ में प्रकृति में रह रही हर जान के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और पशु-पंक्षियों के लिए दाने पानी का इंतजाम करें ताकि सर्दी उन्हें परेशान न होना पड़े।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश

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