Harda News : रेल्वे स्टेशन के विकास और सौन्दर्यकरण के नाम पर नगरपालिका द्वारा 37 दुकानों को हटाया गया। आज इन दुकानों के मालिक अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए परेशान है। पिछले एक हफते से ये दुकान मालिक अपनी दुकानों को बिना किसी विरोद्ध प्रदर्शन के खाली करने और उसे बचाने की कोशिश में लगे थे।
इनको जिला प्रशासन की व्यवस्था पर पुरा भरोसा था इसलिए इन्होंने कोई विरोद्ध प्रदर्शन नहीं किया। लेकिन आज दुकानों के टुट जाने के 48 घन्टे बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन के तरफ से किसी अधिकारी ने ये जानने की कोशिश नहीं की अपनी दुकानों में मेहनत कर के अपने परिवार को पालने वाले ये मजबूर लोग आज अपने मासूम बच्चों को क्या खिला रहे है?
जिन लोगों से अचानक उनका 50-60 साल पुराना रोजगार छिन लिया गया है वो मजबूर बेटे अगर उनके घर में बुजुर्ग माँ-बाप बीमार है तो उनके इलाज के पैसे कहा से लाएगे। पुरी तरह से असहाय और मजबूर हो चुके ये लोग कहा जाए। आज ये मजबूर लोग अपनी समस्या को लेकर जिला कलेक्टर के पास गये। उनके सामने अपनी समस्या को रखा। रेलवे स्टेशन के दुकानदारों ने अतिक्रमण में टूटी दुकानों से उनके पालन पोषण करने में संकट झेल रहे हैं। कलेक्टर से गुहार लगाई की शहर में उनको व्यवस्थित दुकानों को व्यवस्था की जाए जिससे उनके परिवार का पालन पोषण किया जा सके।
कलेक्टर सिद्धार्थ जैन ने मंगलवार को जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित ‘जनसुनवाई’ कार्यक्रम में नागरिकों की समस्याएं सुनी। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को नागरिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए निर्देश दिए। रेलवे स्टेशन के व्यापारियों ने जनसुनवाई में कलेक्टर को विस्थापन के लिए अपनी मांगे रखी।
रेलवे के सौंदर्य करण के लिए कल जो 37 दुकानों को हटाया गया था उन व्यापारियों को जिला प्रशासन की ओर से विस्थापन के लिए कोई जगह उपलब्ध नहीं कराई गई है। छोटे-छोटे दुकानदार अब अपने घर का पालन पोषण करने के लिए परेशान होते घूम रहे हैं। आज मंगलवार को जनसुनवाई में दुकानदारों ने कलेक्टर सिद्धार्थ जैन को आवेदन देकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया कि वह अपने घर का पालन पोषण कैसे करेंगे अपने बच्चों को स्कूलों की फीस कहां से जमा करेंगे। अपने घरों में मौजूद बुजुर्ग माँ-बाप के लिए दवा गोली का इंतजाम कहा से करेगें।
यह सभी दुकानदार विगत 50 से 60 वर्षों से इन दुकानों से अपने परिवारों का पालन पोषण करते आ रहे हैं प्रशासन इन्हें अतिक्रमण समझकर हटा दिया है। कलेक्टर ने नगर पालिका सीएमओ से कहा कि इन दुकानदारों को शहर में कोई जगह चिन्हित कर कर इनका विस्थापन किया जाए और यह भी कहा कि नगर पालिका के द्वारा शहर में कहीं दुकान बनाई जाती है तो सबसे पहले इनको प्राथमिकता से दुकान दी जाए।
दुकानदारों ने कलेक्टर सिद्धार्थ जैन सामने कहा कि इस समय उन्हें इस मंहगाई के दौर में अपने घर चलाने की सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। प्रशासन कभी इस पर ध्यान नहीं देता तो इन व्यापारी दुकानदारों का कहना है कि वह जिला प्रशासन के विरोध में अनशन पर बैठेंगे इसके लिए जिला प्रशासन जवाब दे रहेगा कलेक्टर कहना है कि रेलवे के द्वारा बार-बार दबाव बनाकर कार्रवाई करने को कहा जा रहा था।
अब हरदा के रेलवे अधिकारी ही बताएं की रेलवे स्टेशन के सामने रेलवे का बिजली का सब स्टेशन बना हुआ है। क्या वह रेलवे की सुंदरता में बाधा नहीं बन रहा रेलवे स्टेशन के जस्ट सामने जो रेलवे के क्वार्टर बने हुए हैं वह भी रेलवे की सुंदरता मैं बाधा नहीं बन रहे क्या? लेकिन रेलवे के अधिकारियों को उन दुकानदारों का अतिक्रमण दिख रहा था।
उनको अपने बिजली के सब स्टेशन से सुंदरता में कोई बाधा नहीं पड़ रही है। इस पक्षपात कार्रवाई से यह तो सिद्ध होता है कि रेलवे और जिला प्रशासन मिलकर दुकानदारों के साथ भेदभाव वाली कार्रवाई की गई अब इसका जवाबदार कौन की है जिला प्रशासन की है या रेलवे की है?
जिन पांच दुकानों को माननीय हाईकोर्ट ने स्टे दिया हुआ था उन दुकानदारों में से एक दुकान को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की और उसे दुकान को भी तोड़ दिया इस कार्रवाई में जिला प्रशासन ने कभी भी दुकानदारों से कभी भी चर्चा नहीं की एसडीएम कुमार सानू तहसीलदार राजेंद्र पवार नगर पालिका अधिकारी कमलेश पाटीदार ने दुकानदारों से विस्थापन के मामले में कभी भी चर्चा नहीं गई दुकानमालिकों पर दहशत का माहौल बनाए रखा था उनका मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा था।
पुलिस के नाम से डराया धमकाया जा रहा था। 3 दिन पहले से नगर पालिका के द्वारा अनाउंसमेंट कर करके दुकानदारों को अपने दुकानों का विस्थापन के लिए कहा जा रहा था। लेकिन कोई भी जिला अधिकारी ने सभी दुकानदारों से इस संबंध में कभी चर्चा नहीं की आपकी दुकान हट जाएगी तो आप लोग का घर परिवार कैसा चलेगा।
हरदा में फटाका फैक्ट्री का हादसा हुआ था उस समय जिला प्रशासन ने उन परिवारों को मदद की थी। आज इन परिवारों को लिए जिला प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है । क्या हरदा का जिला प्रशासन सुन हो गया है। क्या जिला प्रशासन के पास इन परिवारों की समस्याओं का कोई ठोस उपाय नहीं है क्या? या उपाय करने का कोई ईरादा नहीं है। बात वहीं हुई जिसका जलता दर्द उसे ही होता है। आज उन मजबूर परिवार के मासूम बच्चे खाने के लिए तरस रहे बुजुर्गाे के इलाज पैसे नहीं है। क्या अब भी जिला प्रशासन को होश नहीं आयेगा जो इन दुकानदारों के पालन पोषण के लिए कोई उचित व्यवस्था कर सके आज दुकानदारों ने अपना दुख दर्द कलेक्टर सिद्धार्थ जैन को सुनाया लेकिन
कलेक्टर ने इनका कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया ना ही हरदा के विधायक आर के दोगने ने भी इन दुकानदारों से एक बार भी मिलने की जरूरत नहीं समझी दुकानदारों का कहना है कि वोट के समय हर नेता हमारे आगे पीछे घूमते हैं आज हम अपने दुकानों को तोडऩे के लिए सबसे उम्मीद लगाए बैठे हुए थे। और कोई विरोद्ध प्रदर्शन नहीं किया लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की भविष्य में हमारे द्वारा चुनाव का आविष्कार किया जाएगा।
जिन दुकानदारों की दुकान टूटी है उन दुकानदारों के नाम गिरजा शंकर, गणेश महेश्वरी, संजय पाटिल, रतीलाल मालवीय ,जीतू कैथवास, पंकज शर्मा, शाहिद खान, शोभा बाजपेई, राम शंकर बाजपेई , शाहिद खान, नौशाद अली, सैयद इरशाद अली, सैयद इसरार अली, सैयद इस्ताक अली, सैयद अशफाक अली , सैयद कमर अली सैयद सफदर अली, फरीदा खान है।