The wait for married women is over on Karva Chauthkarva chauth varat

करवा चौथ व्रत की प्रथा सदियों पुरानी है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और अपने वैवाहिक जीवन में खुशहाली की कामना के लिए यह व्रत करती है। यह व्रत एक निर्जला व्रत होता है। जो कठिन माना जाता है। लेकिन सुहागिन महिलाएं इस व्रत को इसलिए करती है क्योकि मान्यता है इस व्रत को रखने से पति पत्नि के रिस्ते में मजबूती आती है। और जीवन खुशहाल रहता है। अब बहुत जल्द ही सुहागिनों का इंतजार खत्म होने वाला है, क्योंकि करवा चौथ व्रत जिसका सुहागिनों को पूरे साल बड़ी ही बेसब्री से इंतजार होता है आने वाला है।

करवा चौथ व्रत सुहागिनों के लिए बहुत खास होता है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद पारण करती हैं। करवा चौथ का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इसे बिना अन्न व जल ग्रहण किए सूर्योदय से चंद्र दर्शन तक किया जाता है। करवा चौथ पर करवा माता की पूजा की जाती है और पूजा के बाद चंद्र दर्शन करते हुए अर्घ्य देकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण किया जाता है।

इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्तूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ इस साल 20 अक्तूबर 2024 को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से होगा और यह अगले दिन 21 अक्तूबर 2024 को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार करवा चौथ को करक चतुर्थी भी कहा जाता है। करवा या करक मिट्टी का वह पात्र होता है जिससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। पूजन में करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है। इस लिए इस व्रत को सुहागिन पूरी विधि विधान से करती है।
यहां जानिए करवा चौथ व्रत का सही विधान

सुबह सूर्य उदय से पहले स्नान करें, इसके बाद घर मैं मंदिर की साफ-सफाई कर दीपक जलाएं. इसके साथ ही देवी- देवताओं की पूजा-अर्चना करें। फिर निर्जला व्रत का आप संकल्प लें। इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा- अर्चना की जाती है। आप सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़ा जाता है।

व्रत में इन बातों का रखें ध्यान

करवा चौथ पर विवाहित महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए। साथ ही हाथों में मेहंदी भी जरूर लगानी चाहिए। लाल रंग सुहागिन की निशानी होती है, इसीलिए इस दिन लाल रंग के कपड़े जरूर पहनने चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो महिलाएं करवा चौथ पर 16 श्रृंगार करके करवा माता की पूजा करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। करवा चौथ पर पूजा, कथा, आरती ,चंद्र दर्शन और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करना चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाओं को सफेद रंग के वस्त्र धारण नहीं करना है, सफेद रंग सौम्यता व शांति का प्रतीक होता है, लेकिन करवा चौथ व्रत में इस रंग के वस्त्र धारण करने से आपको बचना होगा। इसके साथ ही करवा चौथ व्रत में काले रंग के वस्त्र भी धारण नहीं करना है। हिंदू धर्म में शुभ कार्य के दौरान काला रंग पहनने की मनाही होती है उसे असुभ माना जाता है। सुहागिनों को मान्यता के अनुसार सिर्फ मंगलसूत्र के अलावा काले दाने के अलावा किसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार जो सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पुरे विधी विधान के अनुसार अपने पत्नि धर्म का पालन करते हुए अपने सुहाग की लम्बी उम्र और अपने वैवाहिक जीवन में खुशहाली की कामना करती है। उसका जीवन सदा खुशियों से भर जाता है।