The price of happiness is very expensiveEditorial

खुशियां इंसान की जिन्दगी में बहुत अनमोल होती है। हर इंसान दुनिया में खुशियां नहीं पा सकता है। क्योंकि खुशियां वो होती है जिसे इंसान दुनिया की सारी दौलत देकर भी नहीं खरीद सकता है।

हर इंसान अपनी जिंदगी में खुश रहना चाहता हैं। लेकिन खुशी सब को मिल जाये ये जरूरी नहीं है। ऐसा नहीं है जिनके पास पैसे हैं वो खुश है। दुनिया में कोई किसी को नहीं बता सकता है। खुशियों को कैसे पाया जा सकता है।

ये देखा गया है एक गरीब इंसान अपनी जिंदगी में एक वक्त की रोटी खा कर खुश रहता है। वहीं एक अमीर इंसान को बिना नींद की गोली खाए नींद नहीं आती है। ये सोचने वाली बात है जिनके पास अपनी जिन्दगी कुछ नहीं होता वो कैसे खुश रहते है। जहीर सी बात है वो जो उनके पास है उसी खुश रहने की कोशिश करते है।

अगर जिंदगी में खुशियां पाना हो तो सबसे पहले दूसरों की जिंदगी में खुशियां लाने की कोशिश करों। जो दुसरो की जिंदगी में खुशियां लाने की कोशिश करता है। उसकी जिंदगी वैसे ही खुशियों से भर जाती है। जिंदगी में खुशियों को पाने के लिए कभी संघर्ष नहीं करना चाहिए। एक पुरानी कहावत हैं नैकी कर दरिया में डाल खुशियों का फलसफा भी कहीं न कहीं इसी कहावत मे छुपा हुआ है। जो इंसान अच्छा कर्म कर के भुल जाता है।

उसका फल आगे चल कर उसकी जिन्दगी में खुशियों के रुप मे मिलता है। हमेशा अपनी लाइफ में सब के लिए अच्छा सोचो और अच्छा ही करो चाहे इससे अपको कितनी ही तकलीफ पहुंचे। एक दिन अपको इसका फल खुशियों के रुप में मिलेगा। दूसरे की राहों में हमेशा फूल बिछाओ उनकी राहों के काटो को अपने दामन मे समेटते जाओ। देखना एक दिन यही काटें अपकी जिंदगी में अरमानों के फूल बनकर महकने लगेंगे।

खुशियों को पाना इतना आसान नहीं है। दर्द के लाखों दरियाओं पार करना होता है तब जाकर खुशियों का एक किनारा नसीब होता है। हर इंसान अपनी जिन्दगी महेन्त भी करता है। जो कुछ करता उसका मेन मकसद ही जिन्दगी में खुशियों को हासिल करना होता है।

किसी ने सच ही कहा है खुशियां बटने से बड़ती है। तो एक बार जिन्दगी के इस फलसफे को भी आजमाकर देख लें। किसी दिन ऐसे इंसान की जिन्दगी को खुशियों से भर कर देखिए जिसकी जिन्दगी को कभी खुशियों ने छु कर नहीं गुजरी है। फिर उसके चहरे पर आई मुस्कान आपको वो सुकून पहुंचाएंगी जो आप दुनिया की दौलत देकर कभी नहीं खरीद सकते है।

एक पिता अपने बच्चों की खुशियों के लिए दिन-रात नहीं देखता है। और महेन्त करता है। कहीं न कहीं उसका मकसद अपने बच्चों की जिन्दगी को खुशियों से भरना होता है। वो नहीं चाहता है उसके बच्चों की जिन्दगी गम का कोई साया भी छु के निकले। यही तो वो बात होती है। जब इंसान थक कर अपने घर पहुंचता है और अपने बच्चों का हंसता मुस्कुराता चहेरा देखता है तो उसकी सारी थकान दूर हो जाती है।

एक माँ अपने बच्चों की खुशियों के लिए अपनी सारी जिन्दगी लगा देती है। बच्चों एक मुस्कान उसकी जिन्दगी होती है। एक छोटे से बच्चे को अपनी मां के आँचल की छांव में सोते हुए देख लिजिए। जो सुकून उसके चहरे पर नजर आएगा वहीं जिन्दगी असली खुशी है।

खुशी एक ऐसा एहसास होती है जिसको पाने के लिए इंसान कहां-कहां नहीं भटकता। लेकिन अगर ध्यान से देखे तो खुशी खुद उसके अंदर मौजूद होती है। बस जरूरत होती उसको समझने की महसूस करने की।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश