सब हेडिंग- विभाग ने पत्र जारी कर की रस्म अदायिकी, सहायिका पर नही पड़ा कोई असर, नही लौटी अब भी काम ….
Siral News : सिराली के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 5 में सहायिका की अनुपस्थिति को लेकर विवाद गहरा गया है। सहायिका सुधा पति स्तनारायण के ड्यूटी पर न लौटने के कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अंजू सोनी को केंद्र की साफ-सफाई, बर्तन धोने, भोजन बनाने और बच्चों की देखभाल तक का पूरा भार अकेले उठाना पड़ रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस मामले में एक पत्र जारी कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है, लेकिन यह सवाल उठ रहा है कि आखिर किसके संरक्षण में सहायिका इस तरह मनमानी कर रही हैं?
क्या है मामला?
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अंजू सोनी ने जिला कलेक्टर, तहसीलदार सिराली, थाना सिराली और महिला बाल विकास विभाग सहित वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत पत्र भेजकर सहायिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उनके अनुसार, सहायिका अपने वरिष्ठों को सीधे पत्र और व्हाट्सएप भेजकर छुट्टी लेती हैं, लेकिन कार्यकर्ता को इसकी जानकारी तक नहीं दी जाती। यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि सुपरवाइजर और सहायिका के बीच अच्छे संबंध होने के कारण सहायिका अपनी मनमानी कर रही हैं।
शिकायत के आधार पर महिला एवं बाल विकास विभाग, खिरकिया ने 17 मार्च 2024 को पत्र क्रमांक 207/मबावि/2024-25 जारी कर सहायिका को तुरंत कार्य पर लौटने के निर्देश दिए। पत्र के अनुसार, सहायिका ने 27 फरवरी 2025 से 15 मार्च 2025 तक अवकाश के लिए व्हाट्सएप पर आवेदन दिया था। इसके बाद उन्होंने बिना अनुमति के 16 मार्च 2025 से 4 अप्रैल 2025 तक की छुट्टी के लिए आवेदन 17 मार्च 2025 को जमा किया। यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।
प्रशासन की सख्ती और कार्रवाई
अधिकारियों ने इसे कर्तव्य के प्रति लापरवाही मानते हुए सहायिका को तुरंत ड्यूटी पर लौटने का आदेश दिया है। मध्यप्रदेश शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग के नियमानुसार, सहायिका को इस अवधि का अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता। यदि वे कार्य पर नहीं लौटती हैं, तो उनके मानदेय में कटौती होगी और अन्य दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
बच्चों पर पड़ रहा असर
इस विवाद का सीधा असर आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले छोटे बच्चों पर पड़ रहा है। सहायिका की अनुपस्थिति के कारण केंद्र का संचालन प्रभावित हो रहा है, जिससे बच्चों की शिक्षा और पोषण व्यवस्था बिगड़ रही है। यह मामला केवल दो कर्मचारियों के बीच का विवाद नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य से जुड़ा गंभीर विषय बन गया है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है और सहायिका को ड्यूटी पर लौटाने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो इसका असर पूरे आंगनबाड़ी सिस्टम पर पड़ सकता है।