Parents should tell their children the difference between safe and unsafe touchNarmadapuram News

Narmadapuram News : बच्चों के साथ बढते लैंगिक अपराधों से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि माता-पिता बच्चों से इस सम्बंध में बात करें। बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों का मुख्य कारण है कि बच्चों में इस तरह के अपराधों के सम्बंध में जागरूकता की कमी है माता पिता बच्चों के जरूरत संबंधी विषयों जैसे उनके खाने पीने, शिक्षा आदी के सम्बंध में उनसे चर्चा करते है परंतु लैंगिक अपराध या यौन शोषण जैसे गंभीर मुद्दो पर बात करने से बचते है ऐसे में बच्चा चाह कर भी अपने माता-पिता से कुछ बता नहीं पाता इस लिए सर्वप्रथम माता पिता को ही बच्चों से इस बारे में बात कर उनको यह विश्वास दिलाना चाहिए की इस तरह की कोई भी बात वो उनसे बिना डर के बात कर सकते है।

      बच्चों को बताये सुरक्षित एवं असुरक्षित स्पर्श में अंतरः माता पिता को बच्चों को कोन सा स्पर्श सुरक्षित है तथा कोन सा स्पर्श असुरक्षित है के बारे में जागरूक करना चाहिए। क्या है सुरक्षित एवं असुरक्षित स्पर्श

* सुरक्षित स्पर्शः- अगर कोई आपको टच करता है और आपको अच्छा लगता है या स्नेह की अनुभूति होती है तो यह गुड टच कहलाता है। जैसे जब अच्छा काम करने पर हमारी पीठ थपथपाये, इसको आप अपनी मां, पिता, बड़ी बहन, दादी के टच से फील कर सकते हैं।

* असुरक्षित स्पर्शः जब कोई व्यक्ति आपको इस तरह से छूता है कि आप इससे असहज महसूस करते हैं या फिर उस व्यक्ति का छूना आपको बुरा लगता है। यह बैड टच कहलाता है। इसके साथ ही अगर कोई अनजान व्यक्ति आपके प्राइवेट पार्टस को छूने का प्रयास करता है तो यह भी बैड टच है। तीसरी कंडीशन में अगर कोई व्यक्ति आपको इस तरह से छूता है जिस पर आप असहज हो जाते हैं और वह व्यक्ति आपको इसके बारे में किसी से ना बताने के लिए कहता है, यह बैड टच है।

बच्चों को उनकी शारीरिक संरचना के बारे में बताएं:-

      हम अपने बच्चों को ये समझा सकते हैं कि हमारे शरीर में कुछ अंग ऐसे होते हैं जो सब को दिखते हैं परंतु कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें सिर्फ और सिर्फ हम देख या छू सकते हैं. उन्हें हम प्राइवेट पाटर्स कहते हैं. बच्चों को बताएं कि उनके प्राइवेट पार्ट्स कौन से हैं, और बच्चों को ये बताएं कि शरीर के इन हिस्सों को किसी को न छूने दें.

      जब बच्चे 3-4 साल के हो जाए तो उन्हें समझाये कि उनके शरीर पर केवल उनका ही अधिकार है. अगर किसी के द्वारा उनके शरीर को छूना अच्छा न लगे तो उसका कड़ा विरोध करें और ऐसी बाते आपको आकर जरुर बताएं।

बच्चों को ना कहना सिखाएं:-

      बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाना सबसे जरूरी है और बच्चों के मन से डर दूर करें और उन्हें ना कहना सिखाएं. अगर उन्हें कोई गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो वे प्रताड़ित करने वाले से डरे नहीं बल्कि उन्हें ऐसा न करने के लिए बोलें. प्रताड़ित करने वाले से बचने के लिए शोर मचाने तरकीब बच्चों को सिखाएं ताकि आसपास के लोग उसकी चीख सुनकर उसके मदद को आ सके. तथा बच्चें को वहां से भाग कर तुरंत किसी सुरक्षित स्थान पर जा कर सबको इस बारे में बताने के बारे में जागरूक करें।

बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें:-

      बच्चों के साथ जब भी कुछ गलत होता है तो उनके व्यहार में परिवर्तन देखने को मिलता है. खास तौर पर यदि ऐसा करने वाले बच्चें का कोई परिचित व्यक्ति हो तब बच्चा स्वयं को इन सब को दोषी मानना लगता है और किसी को कुछ नहीं बोलता इस लिए यदि अचानक से बच्चा बहुत गुमशुम रहने लगे या अकेला रहना पसंद करें किसी से बात करने का मन न हो या बच्चा डरा-डरा सा रहने लगे या खेलने जाने या स्कूल जाने का लगातार मना करें तो ऐसे में उसके मन को पढने की कोशिश करें और उनसे खुलकर बात करे. और उसे विश्वास दिलाये कि वह आपको हर बात बता सकता है और आप उसकी मदद करेगे