दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जो सभी को पंसद होता है। दीपावली के आने के पहले बच्चों हो या बड़े सभी के चहरे खुशियों से खिलने लगते है। हर कोई इन खुशियों को अपने हिसाब से जीना चाहता है। इसलिए सभी पहले से ही दीपावली की तैयारियों में मशगुल हो जाते है। घरों की साफ सफाई से लेकर खरीदारी तक सब कुछ पहले से तै कर लिया जाता है।
जिनके पास पैसे होते है वो दिल खोलकर दीपावली पर पैसे खर्च करते है। सबका ज्यादा से ज्यादा वक्त खरीदारी में ही निकल जाता है। जो दिल चाहता वो सब दिपावली पर खरीद लिया जाता है। लाखों रूपये यूहीं खरीदारी पर खर्च कर दिये जाते है। और हो भी न क्यों दीपावली त्यौहार ही ऐसा जिस पर सब चाहते खुशियों के साथ बीते। और अपने अपने बच्चों के दिल के सारे अरमान पुरे हो।
लेकिन अभी ये दौर है जब मंहेगाई हमारे देश में सर चढ़ कर बोल रही है। गरीबों के पास तो इतने पैसे नहीं होते के वो रोजमर्रा की चीजे भी खरीद सकें। ऐसे में क्यों न हम कुछ ऐसा करें कि इस दीपावली अपने घर को खुशियों से सजाने के साथ-साथ उन गरीबों के घरों को भी खुशियों से सजा दें जिनके पास इन खुशियों को खरीदने के लिए कुछ नहीं है। ये खाली हाथ बेबस होकर आपको खुशियां मनाते हुए देखते रहते है।
हम अपने घरों में तरह-तरह की मिठाईयां बनाते है। और साथ में इतनी ही मिठाईयां मार्केट से भी लाई जाती है। लेकिन बहुत से लोग आज भी दुनिया में हमारे सामने ऐसे होगे। जिनके पास दो वक्त की रोटी खाने को नहीं होती है। क्यों न हम ऐसे लोगों के लिए खास कर दीपावली के दिन कुछ खाने का इंतजाम कर के उनके ही नहीं अपने भी दिल को सुकून पहुंचा सकें।
दीपावली के दिन हम अपने घरों को तरह-तरह की लाईटिंग से सजाते है। फूलों से घर को सजाया जाता है। लेकिन दीपावली के दिन घर में असली रौनक दीयों के जलाने से आती है। घर तो पुरी तरह सजा होता है लेकिन खास दीपावली के दिन जब दीयों को जलाया जाता है तो घर की सुन्दरता देखते ही बनती है।
क्यों न इस बार हम अपने घर के साथ-साथ कुछ ऐसे घरों को भी इन दीपों की रोशनी से जगमगा दें। जिनके पास अपने घरों को सजाने के लिए कुछ नहीं है। दिल तो इनका भी होता होगा अपने छोटे से घर को दीपों से सजाए वो सफेद मिट्टी और गौवर से लिपा हुआ आंगन, आंगन में बनी छोटी सी रंगोली। क्यों न हम इस बार उस पुरे आंगन को दीयों की रोशनी से जगमगा दें।
और इस दीपावली पर अपनी जिन्दगी में कुछ ऐसा करके देखे जिससे अपने दिल की पुरी दुनिया ही रोशन हो जाए। और एक बार दिल के जज्बातों को ऐसी रोशनी मिल गई तो देखना अपकी जिन्दगी कैसे खुशियों के फूलों से महेक उठेगी। क्योंकि ये सच है के बेबस के दिल की दुआ सीधे इंसान की तकदीर बदलने की ताकत रखती है। तो क्यों न हम अपनी जिन्दगी को वो एहसास वो जज्बात दें जो दूसरे की ही नहीं अपनी भी जिन्दगी को खुशियों से भर दें।
दुनिया में बहुत से बुजुर्ग और बच्चें ऐसे है जिनका कोई आसरा नहीं है जो अनाथश्राम और वृद्धाश्राम में रहकर अपनी जिन्दगी अपनों के बिना जी रहे है। क्यों न हम इस दीपावली के दिन ऐसे लोगों के पास पहुंच कर उन्हें भी एहसास कराए के दुनिया में कोई उनका भी अपना है जो उनकी खुशियों के बारे में सोचता है।
ऐसे मासूम बच्चों को भी हम अपनी तरफ से नए कपड़े फटाखे और मिठाई दें। ताकि उन्हें अपने अपनों की कमी न महसूस हो। हम अपने मम्मी-पापा से तो रोज आर्शीवाद और उनकी ढेर सारी दुआएं लेते है। क्यों न हम इस बार दीपावली पर उन बुजुर्गों का हाथ अपने सर पर रखवा कर उनसे दुआएं लें। जिनके अपनों ने उनसे ये हक छीन लिया है।
किसी ने खुब कहा है। खुशियां बाटने से खुशियां बड़ती है। एक बार हम अपनी जिन्दगी में इस बात को अजमा कर देख लें। हो सकता है हम किसी दूसरे की जिन्दगी को खुशियों से भरने की कोशिश करें। और हमारा दामन यूहीं खुशियों से भर जाएं।
दीपावली का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक होता है। तो क्यों न हम इस दिन अपनी जिन्दगी में ये संकल्प लें कभी भी किसी बुराई का साथ नहीं देगें। और न ही कभी किसी बुराई की तरफ अपने कदम बढऩे देगें। हमेशा ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर चलकर अपने देश को बुंलदियों की नई ऊंचाईयों पर पहुंचाएगे।
दिपावली में ढेरों पटाखे भी फोड़े जाते हैं। ज्यादा से ज्यादा बच्चों को फटाखे फोडऩे का शौक होता है। और हम बच्चों की खुशी के लिए तरह-तरह के फटाखे मार्केट से खरीद के घर लाते है। लेकिन इन फटाखों कई ऐसे कैमिकल्स होते है जिससे हमारा वातावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो जाता है। ये धरती भी तो हमारी माँ है इसके प्रति भी हमारे कुछ कर्तव्य है। इसलिए क्यों न हम इस दीपावली पर कैमिकल्स रहित ग्रीन फटाखों का उपयोग करें। ग्रीन पटाखों में खतरनाक कैमिकल्स नहीं होते हैं।
फटाखों के बिना दीपावली सेलिब्रेशन अधूरा सा लगता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक त्योहार पर पटाखे चलाते हुए देखे जा सकते हैं। दीपावली पर लोग पटाखे चलाकर त्योहार को खूब एंजॉय करते हैं, लेकिन इससे निकलने वाली गैस हवा को जहरीला बना देती हैं। जो इंसान ही नहीं पशु पक्षियों जानवरों के लिए भी हानिकारक होती है। दीपावली के दिन ये अक्सर देखा गया है कि पक्षी आसमान में रात भर उड़ते रहते है। फटाखों के शौर और प्रदूषण से वो इस रात परेशान हो जाते है। तो क्यों न इस बार हम अपनी और अपने फैमली की ही नहीं उन मासूम बेजुबान पक्षियों के बारे में भी सोचे और कम और प्रदूषण रहित फटाखे जलाने की कोशिश करें।
इस बार आओं दीपावली का त्यौहार ऐसे मनाए जो धरती पर मौजूद सबके लिए अमन और सुकून का पेगाम लेकर आये। और हमारी खुशियां ऐसी हो जिससे हर घर रोशन हो हर दिल खुशियों से झुम रहा हो।
सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश