सावन का माहिना आते ही सम्पूर्ण पृथ्वी हरियाली की चादर औढ़ लेती है। और चारों तरफ का वातावरण हरा भरा हो जाता है। सावन प्रकृति के लिए ही खुशहाली नहीं लाता बल्कि सम्पूर्ण धरती पर रहने वाले लागों के लिए भी खुशहाली लाता हैं। सावन मास में मनायी जानेवाली तीज को हरियाली तीज कहते हैं। हिंदू धर्म में सावन का माह बहुत पवित्र माना जाता है। सनातन धर्म के कई त्यौहार मनाये जाते है और इस महीने कई बड़े व्रत रखे जाते हैं जिसमें से एक हरियाली तीज भी है।
जिसमें सुहागिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहें इसलिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। 108वें जन्म के बाद पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, तभी से इस दिन महिलाएं व्रत करने लगी।
इसे शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के रूप में भी मनाया जाता है। तीज संस्कृत तीज, रोमनकृत तीज, जिसका शाब्दिक अर्थ है तीसरा जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार अमावस्या के बाद तीसरे दिन को दर्शाता है, तीन हिंदू त्योहारों का संयुक्त नाम है जो मुख्य रूप से हिंदू देवताओं – मां देवी पार्वती और उनके पुरुष पति शिव को समर्पित है, जो मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं और अविवाहित लड़कियों इस व्रत को रखती हैं। हरियाली तीज का व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित होता है इस दिन इनकी पूजा आराधना की जाती है यह व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है।
हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव व माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक होता है। इसलिए सनातन धर्म इसको बहुत महत्व हैं। इस दिन महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं व सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन से विवाहित महिलाओं को सौभाग्यपूर्ण जीवन और उनके पतियों को दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
महिलाओं को अपने पति के लिए सोलह श्रृंगार करना चाहिए। हरे रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा के दौरान भगवान को हरे रंग की वस्तुएं, भांग, धतूरा आदि अर्पण करना चाहिए। हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ की तरह ही होता है। लड़कियां अच्छा जीवन साथी पाने के लिए और सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु तथा सलामती के लिए वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। एक धार्मिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पाने के लिए हरियाली तीज का व्रत रखकर कठोर तपस्या की थी।
हरियाली तीज को श्रावणी तीज भी कहते हैं, क्योंकि ये व्रत हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। इस साल बुधवार, 7 अगस्त 2024 को हरियाली तीज का व्रत रखा जाएगा। समापन 7 अगस्त, 2024 को रात्रि 10 बजे होगा। सनातन धर्म में उदयातिथि मान्य है, इसलिए हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 को रखा जाएगा। इसके साथ ही हरियाली तीज की सुबह की पूजा 06 बजे से लेकर 09 बजे तक के बीच होगी और शाम की पूजा 4 बजकर 30 मिनट से 06 बजे तक के बीच होगी। हरियाली तीज का पर्व मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखण्ड में मनाया जाता है। सभी त्यौंहारों की तरह हरियाली तीज भी इस साल दो दिन रहेगी. पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त 2024 को रात 07 बजकर 52 मिनट से आरंभ होगी. तृतीया तिथि का समापन 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजे होगा. हालांकि, सभी पुरोहितों के मतानुसार हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 को ही रहेगा।
पंचांग के अनुसार हरियाली तीज के दिन प्रात: 6 से 9 बजे तक, 10.30 से दोपहर 12 बजे तक तथा शाम 4.30 से 6 बजे तक पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा।
पीले कपड़े पर गणेश जी, शिव पार्वती की प्रतिमाएं, चित्र को रखें। सर्वप्रथम गणेश जी पूजा करें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती श्रंगार करके पूजा करें। हरे वस्त्र पहनना चाहिए। भगवान को भोग में हरी चीजें चढ़ाएं। पूजा के पूर्व महिलाओ को सोलह श्रंगार करना चाहिए।