Happy Children’s Day
बच्चे बहुत मासूम होते है। उनके मासूम चहरे में दुनिया मुस्कुराती है। बच्चे दिल से बहुत साफ होते है। दुनिया में अच्छाई क्या होती है और बुराई क्या होती है? इसके बीच का फ्रक वो नहीं समझते है। बच्चे उस गिली मिट्टी के समान होते है जिसको जिस आकार में ढाल लो ढल जाते है। अच्छाई और ईमानदारी के रास्ते पर बचपन से चलना सिखा दो तो हमेशा अपनी जिन्दगी में अच्छाई और ईमानदारी पर ही चलेगें। फिर जिन्दगी में उन्हें कितनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़े कभी पीछे मुडक़र नहीं देखेगें।
बच्चों की जिन्दगी पर पेरेंट्स के व्यवहार का बहुत असर पड़ता है। जैसी जिन्दगी पेरेंट्स की अपने बच्चों के सामने होगी बड़े होकर वो भी अपनी जिन्दगी में वही करेंगे। अगर पेरेंट्स बच्चों के सामने झुठ का सहारा लेगें तो बच्चें आगे चलकर झुठ बोलना सिखेगें। इसलिए आज एक अभिभावक होने के नाते हमारा ये फ्रज बनता है हम अपने बच्चों की जिन्दगी को सवारने की कोशिश करें।
अपने बच्चों को अपनी जिन्दगी ऐसे जी कर दिखाएं जिसमें कोई बुराई न हो बच्चें अपना आईडियल किसी और को न बनाकर अपने खुद के पेरेंट्स को समझें। बच्चों को जन्म देने से ही सब कुछ नहीं हो जाता है। बल्कि असल मायने सही माँ-बाप वही कहलाते है। जो अपने बच्चों को एक अदर्श भरी जिन्दगी दें सकें। जिसमें अच्छे संस्कार ही न हो बल्कि वो जिन्दगी हो जो हर बुराई से पाक हो।
पहले बच्चें की जिन्दगी सभारने के लिए पेरेंट्स अपनी जिन्दगी लगा देते थे। लेकिन आज दिखावे की दुनिया है इसलिए पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए वही करना सही समझते है जो मेजोरिटी कर रही है। काश हम इस भीड़ से अलग होकर सिर्फ अपने बच्चों की खुशियों के बारे में सोचना सीख जायें। क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा सच है जो माँ-बाप अपने बच्चों की खुशियों के लिए कर पाते है।
दुनिया का कोई इंसान उनको वो खुशी नहीं दें सकता है। बस अपने बच्चों के लिए पैसों की ईमारत बना देने से कुछ नहीं होता है। असल जरूरत है। इनकी जिन्दगी को वो दिशा मुहिया कराई जाएं जिस पर आगें चल कर वो अपने आपको एक सही इंसान सबित कर पायें। और अपने देश के लिए एक ऐसा नागरिक बनकर दिखाएं जिस पर हर इंसान को गर्व हो।
दुनिया में बहुत से ऐसे लोग आये है जिन्होंने अपनी जिन्दगी ऐसे जी कर दिखा गये जिस पर सब को गर्व होता है। ये काश हम भी अपनी जिन्दगी वैसे ही बनाएं और अपने बच्चों को भी सही राह दिखाएं। नफरत से कुछ भी हासिल नहीं होता है। सही मायने वहीं जिन्दगी सही होती है जो अपनों के लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी सिर्फ अच्छा करने में विश्वास करती हो।
आज दुनिया में जितने भी अपराधिक मामले सामने आते उसमें देखा गया है। गलती ज्यादा से ज्यादा पेरेंट्स की होती है। वो अपने बच्चों बचपन से अच्छाई बुराई के बीच फ्रक करना नहीं सिखाते है। आज जितनी भागमभाग भरी जिन्दगी हो गई है। उसमें तो पेरेंट्स की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है।
जरा सी चुक बच्चें की जिन्दगी किस दिशा में लें जाये कहा नहीं जा सकता है। सोशल मीडिया के इस दौर में कहा जा सकता है बच्चों का भाविष्य बहुत खतरें में है। क्योंकि ये एक ऐसा प्लेटफार्म जहां बच्चों अच्छाई बुराई एक साथ मिल जाती है। और वो उसमें फ्रक नहीं कर पाते है। आज पेरेंट्स को चाहिए वो बच्चें से फैंडली जुड़े रहे और उनके साथ ऐसा व्यवहार रखे वो हर बात आपसे शैयर कर पायें ताकि कुछ गलत नजर आने पर आप उन्हें सही दिशा दिखा सकें।
आज तो ये हाल है पेरेंट्स अपने अपने काम में लगें है। और बच्चें मोबाइल चला रहे होते है। ऐसी स्थिति में कहा बच्चें अपने पेरेंट्स से जुड़े रह सकते है। कामकाजी पेरेंट्स के बच्चों को तो दिन भर सर्वेंट ही सभालते है। ऐसे में बच्चें अपने पेरेंट्स से इतना जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते है।
अपने बच्चों को अपना ही नहीं बड़ों का भी सम्मान करना सिखाएं आज अगर आप अपने बच्चों के सामने अपने बड़ो का सम्मान करेंगे तो आगे चलकर ये सम्मान अपको भी मिलेंगा।
बच्चों को सही दिशा दें आज वो उस दौर में जी रहें जहां स्कूली पढ़ाई ही सब कुछ नहीं होती बल्कि इंसान का मेंटली स्ट्रांग होना भी जरूरी है। अगर वो अपनी जिन्दगी कुछ करना चाहते है और अगर वो सही है तो उन्हें उस ही दिशा में आगे बढऩे की पे्ररणा दें। अपनी कोई भी इच्छा उन पर जबरदस्ती न डाले। अगर बच्चा आगे चलकर डॉक्टर नहीं बनाना चाहता तो उसे मजबूर न करें वो डॉक्टर बनें।
कभी वो सही दिशा में चल रहा है तो उसें उस दिशा में ही आगें बडऩे के लिए पे्ररित करें। स्कूली पढ़ाई में अगर अच्छे नम्बर नहीं आये उसे यू समझायें हर हार के बाद ही एक जीत होती है। परेशान होने से ज्यादा अपनी कमी से सबक लो। नंम्बरों के पैर में जिन्दगी को यूहीं खो देना सही नहीं।
सबसे पहले बच्चे को एक सही इंसान बनाओं अपने देश के उन महान लोगों के बारे उन्हें बताओं जिन्होंने जिन्दगी की हर मुश्किलों के बावजूद भी सफलता की बुंल्दियों को हासिल किया है।
दुनिया में एक अच्छा इंसान ही अपने देश के लिए अच्छा नागरिक बन सकता है। इसलिए पहले एक अच्छा इंसान बन कर आगे कदम बढ़ाओं। फिर देखना सारी सफलता अपके कदमों में होगी। अगर जिन्दकी का ये फलसफा आप अपने बच्चें को समझा सकें तो सोच लेना अपने बच्चों को उसकी जिन्दगी में एक ऐसी दिशा दें दी है। जिस राह पर चलकर वो कभी पीछे मुडक़र नहीं देखेगा सफलता की हर मंझील को हासिल कर सकेंगा।
सैयद शबाना अली
हरदा मध्य प्रदेश