Child marriage is a curse for the society....Editorial

बाल विवाह समाज के लिए एक अभिशाप है। बाल विवाह को लेकर समाज में जागरूकता की कमी हैं। यह बच्चों का बचपन खत्म कर देता है। बाल विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। लडक़ो से ज्यादा लड़कियों पर इसका गहरा असर पड़ता है। लडक़ी के अभिभावक लडक़ी की शादी कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है लेकिन इस का उस मासूम बच्ची की जिन्दगी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। खेलने कुदने और स्कूल जाने की उम्र में उस मासूम को गृहस्थी की जिम्मेदारियों में धकेल दिया जाता है। ज्यादा से ज्यादा देखा गया है। गांव के लोग बाल विवाह को बहुत बढ़ावा देते है।

बाल विवाह को लेकर जागरूकता की कमी की वजह से ये लोग बहुत कम उम्र में ही अपने बच्चों का विवाह कर देते है। कही-कहीं तो ये भी देखा गया है। 11-12 साल की लडक़ी का विवाह 30-35 साल के लडक़े से कर दिया जाता है। प्रशासन की तरफ से तमाम कोशिशों के बावजूद भी समाज में ऐसे कई विवाह आज भी होते है। ये सब तमाम समाज वालों की मिलीभगत से होता है। ये नासमझ लोग जानबूझकर मासूम बच्चियों को शोषण की आग में जलने के लिए छोड़ देते है। गांवों में ही नहीं शहरों में भी ऐसा देखा गया है।

गरीब परिवार की बेटी हो या ऐसे परिवार की बेटी जिसके अभिभावक न हो वो कम उम्र में ही बाल विवाह का शिकार होकर अपने भविष्य को अंधकारों में खो चुकी होती है। और ये भी देखा गया है ज्यादा से ज्यादा अच्छे परिवार के लोग ऐसी बच्चियों का शोषण करते है। वो अपने अधेड़ उम्र के लडक़े से ऐसी मासूम बच्ची को विवाह कर लें जाते है जो या तो गरीब परिवार की हैं। या उसके अभिभावक नहीं हैं। ऐसी बच्चियों के लिए समाज में भी एक ऐसी सोच व्यप्त कर दी गई है। ये अपने घर जाकर सुख से रहेगी। अभावों में पली बच्ची को इतना बड़ा घर मिल रहा है। लेकिन क्यों कोई ये नहीं सोचता है? इस तरह के विवाह का उस मासूम बच्ची के मन पर इसका क्या असर होगा। समाज की ये सोच है लड़कियों की शादी करने के अलावा कोई अन्य वैकल्प नहीं है। लड़कियों से यहां उम्मीद की जाती है वो शादी कर घर के काम-काज करें और घरेलू जिम्मेदारियाँ उठाएँ।

समाज में पैली इस गंभीर कुरीति का जब तक कोई हल नहीं निकाला जा सकता जब तक कि समाज का हर नागरिक इस अभिशाप को अभिशाप न समझ लें और उसे जड़ से खत्म करने की कोशिश न करें।

गांव में तो बाल विवाह होना आम सी बात है। क्योंकि यहां जागरूकता की कमी होती हैं। और ज्यादा से ज्यादा लोग इस कुरीति को अभिशाप नहीं समझते वल्कि उनकी सोच होती हैं। कन्या दान महादान होता है। इसे जितनी जल्दी कर के पूर्ण कमा लिया जाये बहेतर है।

काश समाज के हर वर्ग की ऐसी सोच हो कि वो समझ सकें की लड़कियों के विकास के लिए बाल विवाह पर पूर्णत: रोक लगाना जरूरी है। जिन लडक़े लड़कियों का विवाह कम उम्र में कर दिया जाता है। वो अपनी शिक्षा पूर्ण नहीं कर पाते है जिसमें लड़कियों की विवाह के बाद पढ़ाई ही छुड़ा दी जाती है। बहुत से ऐसे उदाहरण समाज में देखने को मिल जायेगें जिसमें लड़कियों की प्राइमरी स्कूल के बाद शादी कर दी गई। वो लडक़ी पढऩे में अच्छी भी थी वो आगे भी पढऩा चाहती लेकिन गृहस्थी की जिम्मेदारीयों के नीचे उसके सारे सपने जलकर खाक हो गये। वो न तो अपने लिये और न ही अपने परिवार के लिये कुछ कर पाते है।

बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है जिससे उन पर हो रही हिंसा, शोषण में वृद्धि होती है। बाल विवाह लड़कियों और लडक़ों दोनों पर असर डालता है, लेकिन इसका प्रभाव लड़कियों पर अधिक पड़ता है। देश के सामाजिक व आर्थिक विकास में योगदान ये पिछड़े रह जाते है। लड़कियों के सशक्तिकरण और उनके आर्थिक और समाजिक विकास के लिए ये जरूरी है कि उनका विवाह कानूनी उम्र के बाद ही किया जायें। और ऐसा हो कि जिन बच्चियों को बाल विवाह करने के लिए समाज या परिवार द्वारा मजबूर किया जा रहा है उन पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये।

अधिकतर ये देखा गया है। ऐसे विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा प्रयास किये जाते है। और अभिभावकों समझा कर बाल विवाह रोक दिया जाता है। लेकिन फिर कुछ दिनों तक उन पर नजर रखी जाती। ऐसे समाज के अंधविश्वास में जीने वाले लोगों पर से कानून का फेरा कम होते ही बाल विवाह को अंजाम देते है। ऐसे लोगों पर शुरूआत में ही सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। समझा बुझाकर नहीं छोडऩा चाहिए।

क्योंकि इस कुप्रथा के जड़ से खत्म होने पर ही समाज में ऐसे बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार होगा और उन्हें सेकण्डरी स्कूल जाने में सहायता मिल पायेगी। और ये बच्चें आगें चलकर देश का भाविष्य बनेगें। और देश के आर्थिक विकास में सहयोग करेंगे। और उनके कौशलों का विकास होगा। जिससे वो खुद भी आत्मनिर्भर बनेगें और अपनी आर्थिक योग्यता मजबूती प्रदान कर पायेगें। इससें उनके स्वास्थ विकास को भी लाभ पहुंचेगा। और देश की उन्नति और विकास में ये कदम से कदम मिला कर चल पायेगें।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश