Jamun is not only beneficial for health but also for farmers.....Jamun ki khati

जामुन कई पोषक तत्वों को खजाना माना जाता है। यह स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी फल हैं। जामुन भारतीय फलों में से एक ऐसा फल हैं। जिसका स्वाद बेमिसाल होता है। जामुन का स्वाद खट्टा-मिठा होता है। इसलिए लोग इसे बड़े शौक से खाना पसंद करते हैं।

जामुन में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, सोडियम, फॉस्फोरस, विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। जामुन हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इस लिए जामुन की डिमांड़ मार्केट में बहुत होती है। जामुन में कई पोषक तत्वों होने के कारण जामुन का उपयोग कई बिमारियों से बचाने के लिए दवा बनाने में भी किया जाता है।

जामुन में भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो शरीर के गुड सेल्स को हेल्दी रखने में शरीर की मदद करते हैं और इम्यूनिटी को तेजी से बूस्ट करने में मदद करते हैं।

जामुन स्किन को भी ब्राइट बनाता है और हेल्दी रखने में मदद करता है। इसके सेवन से स्किन सॉफ्ट बनती है और चेहरे पर ग्लो आता है। दरअसल, इसमें मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट स्किन के कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाते हैं।

जामुन हमारे दिल को हेल्दी रखने के लिए एक बेहतरीन फल माना जाता है। जामुन में हाई लेवल पोटैशियम पाया जाता है, जो हार्ट बीट को सही रखने में काफी मदद करता है। इसके अलावा, यह हार्ट को हेल्दी रखने, स्ट्रोक और हार्ट अटैक की संभावना को कम करने में भी मदद करता है। यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में भी काफी असरदार है। जामुन के सेवन से सुगर कंट्रोल हो जाता है।

हमारे देश जामुन एक ऐसा फल जिसे हर कोई खाना पंसद करता है। बाजार में आते ही इसकी डिमांड बड़ जाती हैं। अपने औषधिक गुर्णों के कारण भी जामुन की मांग दिन प्रतिदिन तेजी से बड़ रही है। इसलिए भी जामुन की खेती किसानों के लिए एक लाभ का धंधा बन गई है।
किसान जामुन का पेड़ एक बार लगाने के बाद लगभग 50 से 60 सालों तक इससे फल प्राप्त कर सकता है।

भारत जामून के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान रखता है। जामुन को जमाली, ब्लैकबेरी, राजमन और काला जामुन नामों से भी जाना जाता है। भारत में तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और असम राज्य में इसकी खेती सबसे ज्यादा की जाती है। जामुन पेड़ 25 से 30 फ़ीट ऊँचा होता है। लोग जामुन के फलो को खाना बहुत पसंद करते है, खाने के अलावा जामुन से अनेक प्रकार की चीजे जेली, सिरका, शरबत, जैम अन्य चीजों को बनाने के लिए इस्तेमाल करते है।

जामुन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

जामुन का पेड़ ठंडे प्रदेशों के छोडक़र कहीं भी उगाया जा सकता है। जामुन के बीजों को शुरुआती समय में अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है। पेड़ के विकास के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है। इसके पौधों के लिए सर्दियों में गिरने वाला पाला काफी हानिकारक होता है। पाले से जामुन की पत्तियां झुलस जाती है।

जामुन की खेती कैसे करें

जामुन की खेती के लिये उपयुक्त जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए उचित बीज या पौधे तथा उपयुक्त जलवायु और उचित भूमि का चयन किया जाना चाहिए। जामुन खेती में समय-समय पर सिंचाई, उर्वरक की सही मात्रा और पोषण के साथ पौधों की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। खेती में उच्चतम तकनीक और व्यवस्थित प्रबंधन करके ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। जामुन की खेती सभी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है लेकिन उचित जल निकासी वाली भूमि को जामुन की पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। कठोर भूमि में जामुन के पौघे का विकास अच्छे से नही हो पाता है।

जामुन की खेती कैसे करें

जामुन की खेती करने के लिए सबसे पहले इसके पौधे तैयार करना चाहिए। नर्सरी में भी इसके पौधे लगाकर तैयार सकते है अच्छी किस्म के पौधे खरीद कर भी लगा सकते है। सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें फिर जुताई के बाद, खेत में सड़ी गोबर की खाद को डालकर, रोटावेटर से पुन: जुताई करवायें। मिट्टी को समतल करके पौधों की रोपाई के लिए गड्डे तैयार करें और खेत में तैयार गड्डों के बीच लगभग 7-8 फीट की दूरी रखे, गड्डे लगभग 45 से 40 सेंटीमीटर गहरा अतिअवश्यक है। पौधे रोपाई के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई कर लेनी चाहिये। इसके बाद निराई- गुड़ाई करना भी जरूरी है।

जामुन की खेती के उचित समय

जामुन की खेती के लिये उचित फरवरी से जुलाई से अगस्त के मौसम में किया जा सकती है लेकिन बरसात के मौसम में जामुन की खेती करना सही होता है। जामुन के पौधे बारिश के मौसम में अच्छे से वृद्धि करते है। पौधे की रोपाई के लगभग 3 से 4 साल बाद, जामुन का पौधा फल देने के लिए तैयार हो जाता है।

जामुन की खेती में सिंचाई

जामुन के पेड़ को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नही होती है लेकिन शुरूआत में इसके पौधों को सिंचाई की बहुत जरूरत होती है। जामुन के पौधों को खेत में तैयार किया गए गड्डे में लगाने के तुरंत बाद पहली सिंचाई करना चाहिए। क्योकि सर्दी के मौसम में ओस गिरती है इसलिए सर्दी के मौसम में 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए। गर्मी के मौसम में जामुन के पौधों का ज्यादा सिंचाई की जरूरत पड़ती है अत: पौधों की 4 से 5 दिनों के अंतराल में सिंचाई करना चाहिए।

काले जामुन की खेती

किसानों के द्वारा जून से जुलाई माह में जामुन की खेती की जाती है। काले जामुन की खेती में उचित मिट्टी, समय पर पानी खाद प्रबंधन, वातावरण का अवश्य ध्यान रखे। जामुन के पौधों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकतानुसार खाद देना भी जरुरी है। काले जामुन के पेड़ पर फल आने तक कई सारे रोग तथा कीट का भी प्रकोप होता है तब किटनाशक दवाई का छिडक़ाव करने की आवश्यकता होती है।

खाद व उर्वरक

जामुन के पौधों को खेत में लगाने से पहले तैयार किए गए प्रत्येक गड्डे में 10 से 12 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में मिलाकर गड्डे में डाल दे। वर्मी कंपोस्ट खाद का भी इस्तेमाल भी किया जाता है। प्रत्येक पौधों में 100 ग्राम एनपीके की मात्रा को साल में 3 बार देना चाहिए, जब पौधा पूर्ण रूप से विकसित हो जाए।

जामुन की खेती से लाभ व मुनाफा

बाजारों में जामुन की डिमांड बहुत ज्यादा है, और जामुन के कारोबार में मांग अधित होने से मुनाफा भी अच्छा मिलता है। जामुन का उपयोग औषधीय दवाइयों में भी किया जाता है। इससे छोटे श्रमिकों को जामुन की तुड़ाई के समय रोजगार का अवसर मिलता है। जामुन के पौधे रोपाई के लगभग 3-4 वर्षो के बाद फल देने लगते हैं। 1 हेक्टेयर में लगभग 140 से 150 पौधों को लगाया जा सकता है। जिसकी लागत लगभग 1 लाख रुपए तक की हो सकती है। जामुन का बाजार में भाव लगभग 60 से 70 रुपए प्रति किलो बिकता है। जामुन की खेती से सालभर में लगभग 9-10 लाख रुपए की कमाई कर अच्छा मुलाफा हासिल कर सक ते है।