हमारे देश में आज मेडिकल सांइस ने इतनी तरक्की कर ली है कि हर बीमारी का ईलाज आसानी से हो जाता है। बड़ी से बड़ी बीमारी पर आज हमारा देश ने जीत हासिल कर चुका है। ये सब दिन व दिन हो रहे तकनीकी और मेडिकल सांइस में हो रहे विकास के कारण हो रहा है। लेकिन जितना तकनीकी विकास हुआ है उससे कई गुना ज्यादा मेडिकल फील्ड में मेहंगाई बढ़ती जा रही है।
मेहंगाई बढऩे के साथ ही हर बीमारी का ईलाज गरीबों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। ईलाज तो दूर गोली दवा भी इतनी मेहंगी होती जा रही है। गरीबों के लिए तो आम बीमारी की दवा खरीद पाना भी मुश्किल होता जा रहा है।
आये दिन आपको मीडिया और अखबारों में ऐसी खबर देखने को मिल जाएगी कि ईलाज के अभाव में किसी गरीब की मौत हो गई। या किसी गरीब मजदूर वर्ग के मां के बच्चे को गवर्नमेंट हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने टाईम रहते ईलाज नहीं किया जिससे मासूम बच्चें ने अपनी मां की गोद में ही दम तोड़ दिया।
मेडिकल डिवाइस सेक्टर में हमारे देश सिर्फ 3 देशों जापान, चीन और दक्षिण कोरिया से पीछे है। वरना भारत एशिया में चौथा सबसे बड़ा मेडिकल डिवाइस बाजार है। ऐसे देश के नागरिकों का ईलाज के अभाव में मौत के आगोश में सो जाना सोचने वाली बात है।
कहने को तो हमारे देश की सरकार ने गरीबों के ईलाज के लिए बड़े-बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल खोल रखे है। और उसमें तमाम सुविधाएं भी मौजूद है। लेकिन गरीबों के लिए ये तमाम सुविधाएं ऐसी ही जैसे आसमान से तारे तोडऩा। अब हकीकत पे से परदे हटाने का वक्त है। और देश के विकास के साथ अपने देश के नागरिकों के जीवन के बारे में भी सोचने की जरूरत है।
भारत ने मेडिकल फील्ड में कितनी तरक्की कर ली, इसका सबूत है। आज दूसरे देशों के लोग भी हमारे देश की मेडिकल हेल्थकेयर पर विश्वास करके ईलाज कराने के लिए आ रहे है। ठीक होकर खुशी-खुशी अपने देश वापस जा रहे है। लेकिन उसी देश के नागरिकों का ये हाल है के ईलाज के अभाव में बेवक्त ही अपनी जिन्दगी गवा दें रहे है।
आज भारत को मेडिकल डिवाइस मार्केट में एक उभरते सेक्टर के रूप में मान्यता प्राप्त है, क्योंकि देश की बढ़ती हेल्थकेयर जरूरतों, टेक्नोलॉजी इनोवेशन, सरकारी समर्थन और उभरते बाजार अवसरों के कारण इसमें अपार विकास की संभावनाएं हैं।
मेडिकल फील्ड में इतनी तरक्की करने के बाद भी हमारे देश के नागरिकों को आये दिन स्वास्थ समस्याओं को लेकर परेशान होते हुए देखा जा सकता है।
कहने को तो हमारे देश की सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किये जाते है। हर दिन कोई न कोई बड़ी-बड़ी योजनाएं शुरू की जाती है। लेकिन जब मजदूर, गरीब और असहाय वर्ग की बात आती है तो ये सारी योजनाएं उनके कुछ काम नहीं आती है।
हो न भी क्यों आज हमारे देश की मेडिकल फील्ड में बस पैसा ही सब कुछ हो गया है। पहले डॉक्टर भगवान का एक रूप कहलाते थे। लेकिन आज उनकी आंखों में पैसे की चमक के सिवा कुछ नजर नहीं आता है।
मरीज की हालत कितनी सीरियस हो लेकिन पहले उनके मुंह से यही निकलता है। इतने लाख रूपये जमा कर दो ईलाज हो जाएगा। गवर्नमेंट हॉस्पिटल की बात करें तो वहां तो हर काम मुंह देखकर होता है। आपकी किसी नेता या बड़ी पहुंच रखने वाले से पहचान है तो सारे काम आसानी से हो जाएगे। वरना भुल जाओं हमारी भी कोई जिन्दगी है।
गरीब मजदूर वर्ग तो आये दिन यहां ईलाज के लिए परेशान होते देखा जा सकता है। जिनके पास एक वक्त खाने को रोटी नहीं है वो कहां से ईलाज के लिए पैसा और पहचान लाएगे। वो तो बस ईलाज के लिए आपके सामने हाथ जोडक़र बिनती कर सकते है।
फिर कोई सुनवाई तो होती नहीं है। क्योंकि सरकार हो या जिला प्रशासन हो या गांव स्तर पर पंचायते हो सब के सब एक जैसी सोच रखने वाले इंसान होते है। आज कल तो हर हफते हर माहिने की एक योजना बनाई जाती है। इतने दिन ये काम करना है।
फिर वाकि सब भुल जाओं का नियम लागू है। अब ऐसे लोगों पर गरीब और असहाय मजदूर वर्ग का कब तक भरोसा कर सकते है। जिनके चेहरे हाव भाव रोज चेन्ज होता हो उनके ईरादे कितने मजबूत होगे ये सोचने वाली बात है। बेमतलब है विश्वास की आड़ में रोज धोखे का शिकार होना।
अब ये देखने में आ ही रहा है। जब से आयुष्मान कार्ड की योजना सामने आई है क्या गवर्नमेंट क्या प्राईवेट हर हॉस्पिटल के लिए गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों का शरीर चलता फिरता रिसर्च सेंटर बन गया है। प्राईवेट हॉस्पिटल का तो अब ये हाल हो गया है जरा सी तकलीफ हुई तो कहते है सर्जरी करनी होगी। क्योंकि आयुष्मान योजना से उन्हें एक मोटी रकम जो मिलनी है।
कभी भगवान कहलाने वाले डॉक्टरों का ये रूप देखकर ऐसा लगता है इनसे तो कसाई बेहतर है पानी पिला कर तो गले पर छुरी फैरते है। अभी वक्त है मेडिकल फील्ड के लोगों को अपने अंदर मर चुकी इंसानियत को जिन्दा करने की जरूरत है।
क्योंकि है तो आप भी इंसान ही न एक दिन ये मौका आपके सामने भी आ सकता है। आप हॉस्पिटल के बेड पर पड़े हो आपके मुंह में पानी डालने वाला कोई न हो। क्योंकि ये प्रकृति का नियम है इस हाथ दें उस हाथ लें।
हमारे देश की सरकार को भी चाहिए मेडिकल फील्ड में आई मेहंगाई को कम करने की कोशिश करना चाहिए। और गोली दवाओं से लेकर ईलाज तक हमारे देश हर नागरिक को समान तौर पर ईलाज मिलना चाहिए।
इस फील्ड में हो रहे भेदभाव को कम करना चाहिए। हर ईलाज इतना सस्ता करना चाहिए के आम इंसान की पहुंच से बहार न हो। क्योंकि दुनिया में हर दौलत से बढक़र इंसान की जिन्दगी है। जिन्दगी आपकी हो या किसी गरीब की सब बराबर है। क्योंकि कुदरत की तरफ से तो इंसाफ बराबर का किया जाएगा। वहां न कोई अमीर होगा न गरीब सब एक बराबर ही होगें।