Narmadapuram News : भारतीय विधिक इतिहास के अतीत पर नजर डालें तो यह ज्ञात होता है कि अभी तक भारतीय विधिक कानूनों का फायदा उठाकर भारत से बाहर कई बदमाश सफेदपोश सरगना इत्यादि भारतीय लोगों को दुष्प्रेरित कर अपराध को अंजाम दिलाते हैं और स्वयं भूमिगत होकर अदृश्य हो जाते हैं।
पूर्व भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 3 भारत से परे किये गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड को परिभाषित किया गया था किंतु उक्त धारा के अवलोकन से कई बार देखा गया है कि भारत से बाहर दुष्प्रेरित करने वाला व्यक्ति जो मुख्य अपराधी होता है वह भारतीय विधिक प्रावधानों की कमियों का फायदा प्राप्त कर लेता था।
नवीन विधि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 45 में दुष्प्रेरण को परिभाषित किया गया है जिसमें दुष्प्रेरण से आशय किसी व्यक्ति को अपराध करने के लिये उकसाना, या किसी अपराध को करने के लिये षड्यंत्र करना और उस अपराध को करने के उद्देश्य से कोई अवैध कार्य या अवैध लोप कारित करना या किसी अपराध को किये जाने या अवैध लोप द्वारा साशय सहायता करना दुष्प्रेरण कहलाता है।
नवीन विधिक संहिता की धारा 47 में प्रावधान उपबंधित किये गये हैं कि यदि कोई व्यक्ति भारत से बाहर के अपराधों का भारत में कोई दुष्प्रेरण करता है जो अपराध होगा यदि भारत में किया जाएगा इसी प्रकार संहिता की धारा 48 में भी अब भारत में अपराधों का भारत से बाहर कोई व्यक्ति दुष्प्रेरण करता है तो वह भी अपराधी होगा यदि वह भारत में किया जाये।
इस प्रकार नवीन भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 48 में जो प्रावधान उपबंधित किये गये हैं वह पूर्व भारतीय दंड संहिता 1860 में नहीं थे और इसी का फायदा आभ्यासिक अपराधी विदेशों में अपराधों का दुष्प्रेरण कर प्राप्त करते रहते थे।
अत: इस प्रकार पूर्व दंड विधि और नवीन दंड विधि का तुलनात्मक अध्ययन करें तो स्पष्ट होता है कि अब गुंडे, बदमाश, रसूखदार लोग, सफेदपोश इत्यादि जो विदेशों में बैठकर भारतीय आपराधिक जगत में दखल देकर भूमिगत हो जाते थे नवीन दंड संहिता के अनुसार अब उन पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।