Collector Sonia Meena on Republic DayNarmadapuram News

संविधान के तहत ही लोकतांत्रिक मूल्यों की दृढ़ता और मजबूती है- कलेक्टर सोनिया मीना

Narmadapuram News : आमजन की तरह मेरा सपना भी अपने राष्ट्र के विकास में सहभागी बनने का रहा। सपना साकार हुआ जब एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपने प्रिय देश की सेवा का अवसर मिला और अब जब भारत की पवित्रतम नदियों में से एक मां नर्मदा के विस्तार के साथ स्थित नर्मदापुरम जिले की कलेक्टर के रूप में यह सेवा निरंतरता प्राप्त कर रही हूं तब उन लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ साथ एक नई जिम्मेदारी का भी एहसास हुआ है।

भारत सदियों से लोकतांत्रिक मूल्यों का संवाहक रहा है। आज़ादी की लड़ाई के मूल में भी जो विचार थे उनमें यह भी शामिल था कि साम्राज्यवादी शक्तियों से मुक्ति पाकर भारत को एक ऐसे गणतंत्र के रूप में स्थापित करना है जो जन जन को अधिकार संपन्न बनाए और स्वराज्य अंतिम व्यक्ति तक भी पहुंचे। पंद्रह अगस्त 1947 को हमारा देश आज़ाद हुआ और 26 जनवरी 1950 को जब संविधान लागू हुआ तो स्वतंत्रता संग्राम में देखा गया स्वप्न भी पूर्ण हुआ और भारत एक गणतंत्र के रूप में स्थापित हुआ।

आमजन की तरह मेरा सपना भी अपने राष्ट्र के विकास में सहभागी बनने का रहा। सपना साकार हुआ जब एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपने प्रिय देश की सेवा का अवसर मिला और अब जब भारत की पवित्रतम नदियों में से एक मां नर्मदा के विस्तार के साथ स्थित नर्मदापुरम जिले की कलेक्टर के रूप में यह सेवा निरंतरता प्राप्त कर रही हूं तब उन लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ साथ एक नई जिम्मेदारी का भी एहसास हुआ है।

नर्मदापुरम मां नर्मदा के कछार में स्थित एक कृषि प्रधान जिला होने के साथ साथ अपने सघन वनों और प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए भी जाना जाता है। मेले उत्सवों और धार्मिक सांस्कृतिक जुड़ाव के साथ ही इसका एक बौद्धिक साहित्यिक आग्रह भी इसे विशेष बनाता है। लेकिन इन सभी खूबियों के साथ विकास की देश व्यापी निरंतरता से भी यह अछूता नहीं है बल्कि उसके साथ यह लगातार क़दम से क़दम मिलाकर चल रहा है।

विकास पथ पर निरंतर अग्रसर जिले में प्राकृतिक संपदा भी अपने विस्तार को बनाए रखे और वे सभी जीवन मूल्य भी सुरक्षित रहें जो सदियों के श्रम से हासिल हुए हैं यह एक चुनौती पूर्ण कार्य होता है लेकिन जन जन से जुड़ाव और प्रशासनिक व्यवस्था में उनका विश्वास इस मुश्किल को भी आसान कर देता है। यहां के लोगों में लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास है। लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व लोकसभा चुनाव के दौरान जन चेतना की सजगता को हमने अनुभव भी किया। तभी तो लोकतंत्र के इस महायज्ञ में जिला कई मायनों में अव्वल रहा। अपने निजी अनुभव के आधार पर यह कह सकती हूं कि एक न्यायपूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था न केवल विकास को गति देती है बल्कि उन लोकतांत्रिक मूल्यों की भी संवाहक बनती है जो हमारा संविधान हमें सौंपता है।

देश के साथ ही वैश्विक परिदृश्य में भी प्रकृति के साथ हमारे व्यवहार की नई चिंताएं सामने खड़ी हैं ऐसे में भारत पूरी दुनिया को इसलिए समाधान सौंप सकता है क्योंकि हमारे देश ने सदैव ही प्रकृति के साथ सहजीवन का मार्ग अपनाया है। नर्मदापुरम जिला इसका एक अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे मनुष्य और प्रकृति सह अस्तित्व को और विकास पथ को एक साथ लेकर साधते हैं।

गणतंत्र दिवस हमारे अमूल्य संविधान के माध्यम से हमें वे शक्तियां सौंपता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों की न केवल संवाहक हैं बल्कि इन्होंने आज़ाद भारत की अभूतपूर्व यात्रा को एक मिसाल के रूप में पूरी दुनिया के सामने रखा है। हमारे संविधान की प्रस्तावना का आरम्भ ‘‘हम भारत के लोग’’ से होता है। किसी भी गणतंत्र के मूल में इस भाव का स्थित होना कि न केवल व्यवस्था बल्कि संविधान भी प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार सम्पन्न बनाता है। यह बेहद महत्वपूर्ण होता है और इसके लिए आवश्यक है कि गणतंत्र सर्व को समाहित करे।

जब संविधान की प्रस्तावना इस भाव को साधकर आरम्भ करती है तो जन जन का विश्वास इससे जुड़ता है। गणतंत्र दिवस इस विश्वास को सुदृढ़ बनाए रखने का भी पर्व है। लोकतांत्रिक मूल्यों में जन जन की आस्था का यह पर्व हम भारत के लोगों को नव चेतना का संवाहक बनाए यही इस पर्व की सार्थकता है और यही शुभकामना भी है।