Agricultural scientists visited the fields and gave useful advice to the farmersHarda news

Harda news : कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा निरंतर किसानों के खेतों का भ्रमण किया जा रहा है। भ्रमण के दौरान कहीं कहीं चक्र भ्रंग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुकेश बांकोलिया ने किसानों को सलाह दी है कि, प्रारंभिक अवस्था में इसके नियंत्रण के लिये थायक्लोप्रिड 21.7 एस सी 300 मिली लिटर प्रति एकड़ अथवा इम्मामेक्टीन् बेंजोइट 1.90 प्रतिशत 170 मिली लीटर प्रति एकड़ अथवा आइसो साइक्लो सरम 9.2 प्रतिशत 240 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें।

यदि सोयाबीन फसल में तना मक्खी का प्रकोप दिखाई दे तो थायोमेथकड़ाम$लेमडास हेलोथ्रिन 50 मिली लीटर प्रति एकड़ अथवा बीटासायफ्लूथ्रिन$इमिडा क्लोप्रिड 140 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें। सेमिलूपर इल्ली के नियत्रण् के लिये क्लोरेइंट्रानिलीप्रोल 18.5 इस सी 60 मिली लीटर प्रति एकड़ अथवा फ्लू बैंडामाइट 39.35 एस सी 60 मिलीलीटर प्रति एकड़ अथवा इम्मामेक्टिन बेंजोएट 1.90 प्रतिशत 170 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें। पानी की वांछित मात्रा पॉवर पंप द्वारा 100-120 लीटर प्रति एकड़ रखें।

कृषि वैज्ञानिक सुश्री पुष्पा झरिया ने किसानों को सलाह दी है कि खेतों मे जल भराव की स्थिति होने पर अतिरिक्त जल निकासी की व्यस्था करें। जो किस्म लगाई है, उसके अतिरिक्त अन्य किस्म के पौधे दिखने पर अथवा पीला मोजेक दिखने पर उन्हे खेतों से निकल कर नष्ट कर दें। इल्ली के प्रकोप के प्रबंधन के लिये बाजार में उपलब्ध फेरोमोन ट्रैप या प्रकाश प्रपंच लगाए। टी आकर की खूटिया फली बनने के पूर्व तक लगाई जा सकती है, खेत मे विभिन्न स्थानों मे पीला स्टिकि ट्रैप लगा सकते है। कृषि विज्ञान केन्द्र प्रमुख ने किसानों से आग्रह किया है कि कोई भी दवा डालने के पूर्व वैज्ञानिकों से सलाह अवश्य लें।