सीताफल शरद ऋतु के सीजन में आने वाला फल है। ये खाने में बेहद स्वादिष्ट मुहं में घुल जाने वाला फल है। जो दिमाग को तरोजाता कर देता है। सीताफल बहुत स्वादिष्ट और साल भर में एक बार आता है लोग इसे खूब खाना पसंद करते है। इसमें विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर की प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें चीनी की प्रचुर मात्रा है, जिसकी वजह से इसका उपयोग शरबत, मिठाई और आइसक्रीम बनाने में भी किया जाता है। सीताफल की खेती कर किसान काफी फायदा उठा सकते है। सीता फल की मार्केट में खूब डिमांड है। सीताफल एक ऐसी ही बागवानी फसल है, जो किसानों को कम से कम लागत में अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे है।
सीताफल खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। शरीर में मौजूद पाचन तंत्र को मजबूत करता है। हृदय की धमनीयों को चुस्त दुरूस्त करता है। इसके अलावा सीताफल शारीरिक उपापचय क्रियाओं (मेटाबॉलिज्म) को बेहतर बनाने में मदद करता है। एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होने की वजह से आज के दौर में जो हानिकारक रसायन जाने अनजाने में हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उस नुकसान से भी बचाता है। अक्सर डॉक्टर, महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान सीताफल खाने की सलाह देते हैं। ये एनीमिया को दूर करता है और गर्भस्राव को भी कम करता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, त्वचा को स्वस्थ रखने, बालों को पोषण प्रदान करने और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी सीताफल का सेवन किया जा सकता है। सीताफल चहरे की रंगत और रोनक भी बढ़ता है। ख्राने में सहेत के लिए फायेदेमंद होता है।
सीताफल की बुआई का उपयुक्त समय :-
सीताफल की खेती के लिए जुलाई-अगस्त या फरवरी-मार्च का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस मौसम में पौधे अच्छे से विकास करते हैं। ऐसे क्षेत्र जहां ज्यादा ठंड नहीं पड़ती, पाला नहीं पड़ता है, वहां सीताफल की खेती खूब की जाती है। क्योंकि गर्म और हल्की शुष्क जलवायु इस फल की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है। ठंड के मौसम में इसके फल सख्त हो कर बठरा जाते है। सीताफल के पौधों में फूल आने के समय गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। इसमें बरसात के मौसम में फल लगने शुरू हो जाते हैं।
सीताफल की बुआई के लिए साल में दो समय जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च के मौसम में सीताफल बुआई करने का उचित समय होता है। क्योकि सीताफल के पौधे बरसात के मौसम में अच्छे से पनपते है इस मौसम में उन्हें प्रायाप्त पोषण मिलता है और खुब फलते है।
सीताफल की बुआई का तरीका:-
सीताफल की बुआई का सबसे अच्छा तरीका यही है कि पॉलीथिन की थैलियों में मिट्टी भर लें और उसमें बीज डाल कर जमीन में डालें और कुछ समय बाद जब पौधे जम जाएं तो फिर इसके पॉलीथिन की थैलियों को अलग कर दें। बुआई से पूर्व 60-70 सेंटीमीटर का गड्ढे खोद कर तैयार कर ले। गड्ढों को 5-5 मीटर की दूरी पर रखें। खुदाई के बाद 15 से 20 दिन तक गड्ढे को खुला छोड़ दें। 20 दिन के बाद प्रत्येक गड्ढे में 5-10 किलोग्राम सड़ी खाद, खली और 50 ग्राम एनपीके की मात्रा डालें। गड्ढे को मिलाकर भर दें। इसके बाद 3 से 4 दिन तक गड्ढे की सिंचाई करें। सिंचाई के बाद गड्ढे में अपने बीज की बुआई कर दें।
सीताफल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी :-
सीताफल की खेती सभी मिट्टियों में की जा सकती है। पर अच्छी जल निकासी क्षमता वाला दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी होती है। पथरौली जमीन पर भी सीताफल की पैदावार बहुत अच्छी होती है। वहीं मिट्टी की जांच करवाएं तो पीएच मान जरूर देखें। सीताफल की खेती के लिए मिट्टी का आदर्श पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए।
सीताफल की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक :-
सीताफल की पैदावार सालाना होती है। अच्छी पैदावार के लिए उचित मात्रा में जैविक और गोबर खाद का दिया जाना अच्छा होता है। प्रति पेड़ 20 से 22 किलोग्राम जैविक खाद, 40 ग्राम नाइट्रोजन, 60 ग्राम फॉस्फोरस और 60 ग्राम पोटाश हर साल देना चाहिए। लेकिन कोई भी खाद या उर्वरक देने से पहले अपनी मिट्टी की जांच करवाएं और नजदीकी कृषि सलाहकार से जरूर सलाह लें।
सीताफल की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई :-
सीताफल की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई या छिडक़ाव के साथ की जाने वाली सिंचाई बहुत अच्छी मानी जाती है। गर्मियों में पौधों को अच्छी सिंचाई की जरूरत होती है। हर 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए। छिडक़ाव के साथ जरूर सिंचाई करें।
सीताफल की तुड़ाई का सही समय :-
सीताफल के पौधों में सीताफल लगने के बाद फल जब पक्ककर तैयार हो जाए तो उनकी तुड़ाई करनी चाहिए। सीताफल तोडऩे से पहले जांच ले कि सीताफलों की आंख खुल गई है यानि सीताफल बड़े हो जाए और उनकी कोड़ी बड़ी-बड़ी अलग नजर आने लगे और कोढ़ी के बीच की धारियों में सफेदी चमकने लगे तब सीताफल तोडऩा चाहिए। अगर सीताफल बीना आंख खुले हरे तोड़ लिए तो ये फल पकते नहीं है और कुछ दिन में काले होकर खराब हो जाते है। अगर इतेफाक से पक भी गए तो वे स्वाद और फीके रहते है जिसका बाजार में मुल्य नहीं मिलता इसलिए सीताफल के पकने के बाद ही तुड़ाई का सही समय होता है। ये फल पकने के बाद स्वादिष्ट और मिठे रहेंगे।
सीताफल के पौधों से सलाना उपज:-
सीताफल के पूर्ण रूप से विकसित सीताफल के एक पौधे से हर साल 90 से 100 फल की उपज प्राप्त होती है। 50 से 60 किलोग्राम प्रति पेड़ की पैदावार की प्राप्त की जा सकती है। मार्केट में इसकी मांग 44 से 120 रू प्रति किलो इसका किलो कीमत 43.05रू टन (1000 किलो) कीमत 43050रू औसत कीमत 4305रू क्विंटल न्यूनतम मंडी कीमत1000 रू क्विंटल उच्चतम मंडी कीमत 8000 रू क्विंटल भाव चल रहा है।
सीताफल की खेती कर कमाए लाखों:-
सीताफल की वर्तमान में मार्केट डिमांड काफी अच्छी चल रही है। सीताफल की खेती से होने वाला मुनाफा दुगना प्राप्त हो रहा है। 1 एकड़ में 435 से 465 पौधों की बुआई की जा सकती है। इससे सालाना 30से 40 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त कर सकते है। इससे किसान प्रति वर्ष 1 लाख से डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई कर दुगना लाभ कमा सकते है।