One big helping hand saves thousands of livesEditorial
कहा खो गई है हमारी इंसानियत कभी सोचा है हमने? आज एक इंसान तड़प रहा है, कल हम भी उसकी जगह हो सकते है। फिर उस दिन हमें इस दर्द का एहसास होगा। दुनिया में वहीं दिल सबसे बेहतर है जो दूसरे के दर्द को समझ सकें।

किसी हादसे का शिकार होना इंसान की जिन्दगी का सबसे दर्दनाक मोड़ होता है। हादसा छोटा हो या बड़ा हो ये इंसान की पुरी जिन्दगी बदलने के लिए काफी होता है। ये एक ऐसा दर्द होता है जिसकी तड़प वहां इंसान ही नहीं उसके पुरे परिवार का सहना पड़ता है।

इसकी तड़प वहीं समझ सकता जिसने ये दर्द सहा हो। आज जिस तेजी से हमारे देश में सडक़ हादसों की संख्या में इजाफा हो रहा है। उतनी ही तेजी से लोगों के अंदर की इंसानियत खत्म होती जा रही है। पहले इंसान वो थे जो कभी किसी बेजुबान जनवर को भी तड़पते देख लेते थे तो उसकी मदद के लिए नि:स्वार्थ आगे आते थे।

लेकिन आज का इंसान ऐसा हो गया है। कोई उसके सामने मरता भी हो तो वो उसकी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ेगा। आज कल तो ये आम बात हो गई जब कोई हादसा होता है लोगों की भीड़ तो जरूर लगती है। लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोग मोबाइल हाथ में लिए दर्द से तड़पते या मरते हुए इंसान का विडियों बना रहे होते है।

कहा खो गई है हमारी इंसानियत कभी सोचा है हमने? आज एक इंसान तड़प रहा है, कल हम भी उसकी जगह हो सकते है। फिर उस दिन हमें इस दर्द का एहसास होगा। दुनिया में वहीं दिल सबसे बेहतर है जो दूसरे के दर्द को समझ सकें।

आज कितनी जिन्दगियां यूहीं मदद के अभाव में मौत के आगोश में सोने को मजबूर हो गई। क्या हमारा जमीर हमें ये गवारा देता है। उस इंसान की मौत के जिम्मेदार हम खुद को न समझे। हमारे दिल में एक बार ये ख्याल क्यों नहीं आता हम आगे बडक़र आज किसी दर्द से तड़पते इंसान को हॉस्पिटल पहुंचा दें। तो उसकी जिन्दगी बच सकती थी। हो सकता उसकी जिन्दगी उतनी ही हो लेकिन हम इस एहसास के साथ तो जिन्दा रह सकते है हमने एक कोशिश तो की थी। आज दुनिया में कुछ गिने चुने ही ऐसे उदाहरण देखने को मिलते जब किसी ने अपने दिल की अवाज सुनकर किसी की जिन्दगी बचाई हो।

एक बात है जब ऐसे हादसे हमारी आंखों के सामने होते है। तो दिल में एक बार जरूर ये ख्याल आता है हमें मदद करनी चाहिए लेकिन क्यों हम कदम आगे नहीं बड़ा पाते है। क्या चीज वो जो हमको आगे बढऩे से रौक देती है। कुछ तो ऐसा है जो हमारे अंदर की इंसानियत को मारते जा रहा है।

पहले लोग दूसरे के दुख में आंसू बहाते थे। लेकिन आज अपनो तक के दुख का किसी को एहसास ही न रहा है। दिल वहीं दिल है जो दूसरे के दर्द को महसूस कर सकता हो।

आज का इंसान बस अपनी ही जिन्दगी जीने में लगा हुआ है। लेकिन सिर्फ मैं मेरी जिन्दगी इंसान को किस दिशा में ले जा रही है, कभी सोचा है हमने।

किसी की मदद न करने की एक वजह हमारे देश की प्रशासन व्यवस्थ से भी है। हमारे देश में ये देखा गया है कभी कोई किसी हादसे के शिकार इंसान की मदद करता है तो पुलिस और प्रशासन सबसे पहले उसी से हजारों सवाल पुछती है। ये बात भी साफ जाहिर है हर सफेद पोश इंसान पुलिस और कोट कचहेरी के चक्कर में पडऩे से बचने की कोशिश करता है।

काश हमारे देश ऐसी व्यवस्था स्थापित की जाये अगर कोई किसी हादसे के शिकार लोगों की मदद करता है तो उसे परेशान नहीं किया जाये। तो हो सकता बहुत से हाथ मदद के लिए आगे बढऩे लगें। और ये बढ़े हाथ एक इंसान की ही नहीं उसके पुरे परिवार की जिन्दगी बचाने का कारण बन सकें। और मदद के अभाव में किसी की जिन्दगी जाने से बच जाये।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश

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