इंसान की जिन्दगी वो होती है जिसमें उसकी आखरी सांस तक कई जिम्मेदारी जुड़ी होती है। अगर इंसान उन जिम्मेदारियों को बखुबी निभाना सीख जाये तो जिन्दगी जीना आसान हो जाता है।
लेकिन हर जिम्मेदारी को निभाने से पहले इंसान को इसका एहसास होना जरूरी है। अगर सही मायने में इंसान सोचे तो सबसे पहले इंसान की ये जिम्मेदारी बनती है वो अपनी धरती माँ का कर्ज चुकाये। आज प्रकृति इंसान से कई सवाल पुछ रही है। जिस तरह आये दिन प्रकृति में बदलाव देखने को मिल रहे है क्या इंसान समझता नहीं है? हमारी प्रकृति हमसे क्या कहना चाहती है। जरूरत बस प्रकृति के इस इशारे को इंसान जल्द से जल्द समझ जाये और अपनी प्रकृति के प्रति जो उसकी जिम्मेदारी है उसे पुरा करें।
उन सारी चीजों को अपने दूर करने की कोशिश करें जो हमारी प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही है। मानते है हम ये थोड़ा कठिन है लेकिन इंसान चाहे तो सब कुछ कर सकता है। जिस प्रकृति ने हमें इतने प्यार से अपने आंचल की छावं मे रखकर हमारी जिन्दगी को सवारा है उसके प्रति हमे भी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए। इससे पहले प्रकृति अपने क्रोद्ध रूप दिखाये हमे खुद संभल जाना चाहिए।
जैसे एक इंसान होने के नाते हमारी प्रकृति के प्रति हमारी कई जिम्मेदारी है वैसे ही अपने देश के एक आदर्श नागरिक होने के नाते हमारे देश के प्रति भी हमारी कई जिम्मेदारियां है। उन जिम्मेदारीयों को निभाकर ही हम अपने देश को विकास के पथ पर कदम दर कदम आगे बढ़ा सकते है। हमे अपने देश के प्रति अपने कतव्र्य को समझते हुए अपना कर्म करते जाना चाहिए। और अपनी हर सफलता में सबसे पहले अपने देश के बारे में सोचना चाहिए। तभी हम अपने देश के विकास में अपना कुछ योगदान दे पाएंगे।
हमारे देश में जितनी भी समस्या है उनके प्रति हमें गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। अपनी जिन्दगी में हमे इस तरह से जीने की जरूरत है हमारे देश के विकास में हम कभी बाधा न बने। हमारी सबसे पहली सोच अपने देश के प्रति होनी चाहिए। अपने देश के प्रति अपने कतव्र्य को हम भली भांति समझते है। बस जरूरत है उन्हें निष्ठा के साथ निभाने की। हमारे देश में कई ऐसी गंभीर समस्याएं है हम चाहते आगे आकर उन्हें हल करने की कोशिश कर सकते है।
हम चाहे तो ये सोच कायम कर लें अगर किसी का भला नहीं कर सकते है तो बुरा भी नहीं करेंगे। हम चाहते है हर अपराध से अपने अपको बचा कर भी देश के भाविष्य को बना सकते है। गरीबों मजबूर लोगों की मदद करके अपनी जिम्मेदारी निभा सकते है। कुछ नहीं तो अपने देश की प्रकृति सौद्धर्य और देश की सम्पत्ति सांस्कृतिक विरासत की हिफाजत कर सकते है। करने को बहुत कुछ कर सकते है बस जिम्मेदरियों का एहसास होना जरूरी है।
अगर देश की सियासत का ताज अपने सर पर है तो देश के प्रति एक आदर्श नागरिक होने के नाते हमारी जिम्मेदारियां और बढ़ जाती है। ये वो वक्त होता है जब हमारी जिम्मेदारी और ज्यादा बड़ जाती है। अब हमे देश के प्रति ही अपने कतव्र्य को नहीं सोचना होता है ये वो वक्त है जब हमें देश के साथ-साथ देश के हर नागरिक के बारे में सोचने की जरूरत होती है। जिससे हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।
हर नागरिक हमारी तरफ उम्मीद भरी निगाह से देखता है हम उसके लिए क्या कर रहे है। कहने को तो हम सबको नहीं देख पाते है लेकिन सब की नजरे बस हमें ही देख रही होती है। अब वहीं बात हुई जरूरत है हमें वक्त रहते अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो जाये। ये काश हम सहीं मायने में समझ पाये एक देश का हुकुमत का ताज हमारे सर पर है तो हमारी कितनी जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
अगर हम पेरेंट्स है तो हमारी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है। पेरेंट्स बच्चों की परवरिश ही नहीं करते है बल्कि उनकी एक अच्छी परवरिश ही देश को एक अच्छा नागरिक दें सकती है। पेरेंट्स अगर अपनी जिम्मेदारी बखुवी निभाते है तो उसका असर बच्चों की जिन्दगी पर साफ देखने को मिलता है। जैसे संस्कार पेरेंट्स अपने बच्चों को देते है उसकी बुनियाद का बुना हुआ जाल होती है बच्चों की जिन्दगी। और आज हम सोशल मिडिया के दौर में जी रहे है तो पेरेंट्स की जिम्मेदारी है वो अपने बच्चों को सोशल मिडिया पर फैले झुठ फैरेब और हर बुराईयों से महफूज रखते हुए उनकी परवरिश करें। अब जिस जिम्मेदारी से हम अपने बच्चों की परवरिश करेगें वहीं हमारे बच्चों का भाविष्य बनेगी।
आज हर पेरेंट्स यही सोचते है हम अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर बनायेगें। कोई भी ये कहते नहीं दिखता हम पहले अपने बच्चें अच्छा इंसान बनायेगे। अगर बच्चें अच्छे इंसान बनने की दिशा में कदम बढ़ाएगें तो जिन्दगी में सारी खुबिया वैसे ही उनमें आ जायेगी। क्योंकि हमने देखा हर वो इंसान जिसने सफलता की बुल्ददियों को छुआ है सबसे पहले वो अपनी जिन्दगी में एक आदर्श देश का नागरिक है, एक आदर्श इंसान है। आज अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से करेंगे तो कल हमे उसका फल जरूर मिलेगा।
अगर हम युवा वर्ग से है तो हमें भी अपने पेरेंट्स के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने की जरूरत है। जो आज हम अपने पेरेंट्स के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझेगें तो आगे चलकर ये हमारे भाविष्य के लिए एक सुनेहरा कल को लेकर आयेगा।
एक इंसान होने के नाते जिन्दगी में जिम्मेदारिया तो जुड़ी रहती है। और इंसान को उसे पुरा भी करना होता है। चाहे तो हम खुशी-खुशी उन जिम्मेदारीयों को पुरा कर के अपनी जिन्दगी में खुश रह सकते है। हर इंसान कहता मिल जायेगा जिन्दगी में खुशियां नहीं है एक बार दिल से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की कोशिश तो करों खुशियां वैसे ही आपके कदम चुमने लगेगी।