सफलता असफला जिन्दगी के दो पहलू है। स्कूल लाईफ एक इंसान की जिन्दगी का वो वक्त होती है। जिसमें जिन्दगी यूहीं हंसते मुस्कुराते हुए कट जाती है। ये जिन्दगी का वो वक्त होता है जब जिन्दगी का हर पल यादगार होता है। एक बार पीछे छुट जाने पर ये वक्त फिर लोटकर नहीं आता है। लेकिन ये जिन्दगी के लिए ऐसी खुशनुमा यादें छोड़ जाता है जो इंसान कभी भुलाएं नहीं भुल पाता है।
स्कुल लाईफ में पुरा साल हंसते मुस्कुराते कट जाता है लेकिन जब एंक्जाम का टाईम आता है तो हर स्टूडेंट के चहरे पर एग्जाम का पे्रशर साफ नजर आता है। ये वो वक्त होता है जब बच्चें फूल टाईम पढ़ाई में लगे रहते है फिर भी उनके दिमाग में टेंशन रहता है। एग्जाम बोर्ड का हो तो टेंशन और ज्यादा हो जाता है। बच्चों के साथ पेरेंट्स भी टेंशन में होते है। और वो हमेशा अपने बच्चे पर पढ़ाई का दबाव बनाते है। ये वो वक्त होता है जो स्टूडेंट लाईफ का टनिंग पांईट होता है। बात अगर टेन्थ क्लास हो तो टेंशन और बढ़ जाता है।
लेकिन बच्चों को पेरेंट्स को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्हें बच्चें को यह एहसास दिलाना चाहिए जिन्दगी में सफलता असफलता तो बनी रहती है। आप अपनी तरफ से पुरी कोशिश करों आगे क्या होगा इसके बारे मत सोचों। एग्जाम टाईम ज्यादा से ज्यादा बच्चें बहेद तनाव में होते है। तो कभी पढ़ाई को लेकर बिल्कुल बेफ्रिक भी रहते है। ऐसे में पैरेंट्स का फर्ज बनता उनकी मन की स्थिति को समझते हुए एग्जाम की तैयारियों में उनकी मदद करें।
कभी भी बच्चें पर एग्जाम में अच्छे माक्र्स लाने का दवाब नहीं बनाएं। और उन्हें दिल से महेन्त करने दें। अगर एग्जाम टाईम में बच्चें खेलना चाहते है तो उन्हें न रोके टोके। खुलकर खेलने दें ताकि उनके दिमाग से एग्जाम का प्रेशर कम हो और वो जो याद कर रहें है उसे याद रख पायें।
ज्यादा से ज्यादा बच्चों के साथ ऐसा होता है। तैयारी करते वक्त वो सब कुछ याद कर लेते है। लेकिन एग्जाम में हाल जाते ही सब भुल जाते है। ऐसे बच्चों को ये सीख देना चाहिए। अगर आपको पेपर देखकर कुछ याद नहीं आ रहा है। तो उस कोश्चन के आंसर से अपने पेपर की शुरूआत करें जो आपको अभी याद है। जिससे पेपर पर आपका कानफिडेंस बड़ेगा। और धीरे-धीर सब याद आता जाएगा।
बच्चों का एग्जाम टाईम में नर्वस होना आम बात है। हर बच्चें में एग्जाम को लेकर डर साफ देखा जाता है। किसी न किसी चीज र्का डर उनके दिल बना रहता है। कभी कोर्स पुरा न हो पाना तो कभी याद न हो पाना। के साथ-साथ कुछ बच्चें टेंशन के वजह से नींद नहीं आने की भी शिकायत करते हुए नजर आते है।
ऐसे में बच्चों को हार्ड वर्क के साथ-साथ स्मार्ट वर्क करने की जरूरत पड़ती है। क्योंकि स्मार्ट वर्क की मदद से आप कठिन से कठिन एग्जाम को भी आसानी से पास कर सकते हैं।
दरअसल एग्जाम चाहे जो हो स्कूल कॉलेज के या बोर्ड एग्जाम कम समय में ज्यादा चीजों को कवर करना ही बेहतर माना जाता है। कुछ बच्चे तय समय के अनुसार पढ़ाई नहीं कर पाते है जिसका असर उनके एग्जाम पर पड़ता है और वो टेंशन लेने लगते है। कोर्स पुरा नहीं कर पाते है देखते ही देखते एग्जाम नजदीक आ जाते हैं। ऐसे में आप कुछ अहम बातों को ध्यान में रखकर किसी भी परीक्षा को आसानी से पास कर सकते हैं।
बच्चों को अपनी पढ़ाई शुरू करने से पहले अपने कोर्स को लेकर थोड़ी रिसर्च करना जरूरी होता है। ऐसे में जहां सिलेबल को पढऩे से आपको एग्जाम का टाइप समझने में मदद मिलेगी। आप अपने कोर्स अच्छे से याद कर पायेगे। क्योंकि किसी भी परीक्षा में सिलेबस के बाहर कुछ भी नहीं पूछा जाएगा।
वहीं पुराने पेपर से आप महत्वपूर्ण टॉपिक का अंदाजा लगा सकते हैं। जिन टॉपिक से पहले ज्यादा सवाल पूछे जाते रहे हैं उन टॉपिक्स से सवाल दोहराने की संभावना ज्यादा होती है।
पढ़ाई शुरू करने के साथ सबसे पहला फोकस आसान चैप्टर्स और टॉपिक्स पर करें। इन्हें खत्म करने के बाद कठिन टॉपिक्स का रुख करना सही होगा। क्योंकि कठिन टॉपिक को पढऩे में ज्यादा समय लगता है और अंत में समय के अभाव में आपके आसान टॉपिक्स भी छूट सकते हैं। एग्जाम में भी सबसे पहले आसान कोश्चन को हल करने की कोशिश करें क्योंकि वो आपसे जल्दी हल हो जायेगें फिर कठिन टॉपिक्स हल करने के लिए आपके पास टाईम बचेगा।
पढ़ाई के दौरान नोट्स तैयार करते समय इन्हें शॉर्ट, क्रिस्पी और कंसाइज रखने की कोशिश करें। नोट्स को कम से कम अक्षर और पॉइंट फॉर्म में बनाकर लिखने की कोशिश करें। इससे आपको रिवीजन में आसानी होगी।