So that childhood keeps laughing and smilingEditorial

बच्चे बहुत मासूम होते है। उनकी जिन्दगी किसी फूल की तरह होती है। बहुत नाजूक सी जो छबी उनके सामने नजर आती है उसी में ढल जाती है। आज सालों के फैर के बाद बच्चों की जिन्दगी बहुत बदल गई है। पहले बच्चें एक आजाद पंरिदें की तरह होते थे। जहां भी जाना हो उन्हें पुरी आजादी होती थी। इसलिए तो कभी फूलों भरे खेतों में तो तितलियों के पीछे भागते थे तो कभी नदी किनारे बैठकर पानी में पाव हिलाते रहते है। नदियों में आने वाली छोटी-छोटी मंछलियों से खेलना। गेंहू के हरे-भरे खेतों में हाथ फैलाकर दौडऩा। कितना सुहाना होता था वो बचपन। बारिस के मौसम में वो कागज की कस्ती बनाना फिर उसको पानी में डाल कर दूर तक बहते हुए देखना उसके पीछे पीछे चलना। वो मिट्टी में खेलना…

आज के बच्चों को ये सुकून भरे पल कहा मिल पाते है। डर का ऐसा महौल है आज पेरेंट्स अपने बच्चों को गलियों में घुमने देने से भी डरते है कहीं कोई अन्जान खतरा उनके सामने न आ जाये। और वो उसका शिकार न हो जाए।

आज पेरेंट्स के दिलों में हमेशा ये डर बना रहता है कहीं कुछ गलत न हो जाये। न जाने हम आज कौन से ऐसे समाज में जी रहे है जहां मासूमों की जिन्दगी तक सुरक्षित नहीं है। ऐसे में वो मासूम अपना बचपन कहीं खोते जा रहे है। और मोबाईल की दुनिया  में कहीं घुम होते जा रहे है।

पहले बच्चे मिट्टी में खेलते थे जिससे उनकी रोगप्रतिरोद्धक क्षमता बड़ती थी। किटाणुओं से लडऩे की शरीर को ताकत मिलती थी। लेकिन आज बच्चे को पेरेंट्स मिट्टी को छुने तक नहीं देते है।

आज पेरेंट्स खुद बच्चों को मोबाईल की भुलभुलाईयां में खोने के लिए छोड़ देते है। जिससे बच्चों का भविष्य हमेशा खतरे बना रहता है। मोबाईल का ज्यादा उपयोग उनके सोचने की क्षमता पर भी असर डालता है। जिससे आगे चलकर दिमाग की कमजोरी हो सकती है।

मोबाईल का उपयोग मासूम बच्चों की आंखो पर असर पहुंचाता है। जिससे बच्चे की आंखे कमजोर होने का खतरा बना रहता है। पेरेंट्स को अपने बच्चों को मोबाईल के ज्यादा उपयोग से रोकना चाहिए। बच्चों के लिए एक सीमित टाईम तक ही मोबाईल का उपयोग करने देना चाहिए।

मोबाईल के अलावा उन्हें इनडोर और आउटडोर गेम्स खेलने की सलाह देना चाहिए। हो सके कुछ दिन खुद उनके साथ खेले ताकि खेल के प्रति उनके मन में रूझान बड़े। ये हम सभी जानते है बच्चों के लिए खेलना कितना जरूरी होता है। इससे बच्चों का विकास बेहतर तौर पर हो पाता है।
बच्चों को मोबाईल से दूर रखकर किताबें पढऩे की सलाह दें। ये बच्चों के दिमाग को सेहतमंद रखने का सबसे बेहतर तरीका है। किताबे बच्चों को जानकारी तो प्रदान करती है। उनके विकास में भी सहायक सिद्ध होती है।

बच्चों को बताना चाहिए हमारे पास जब भी समय हो या सोने से पहले कुछ पन्ने अच्छी किताबों के जरूर पढऩे चाहिए। इससे हमें कई तरह के फायदे पहुंचते है। साथ हमें कई तरह नई-नई जानकारी मिलती है यह बच्चों  के बौद्धिक विकास में भी सहायक सिद्ध होती है।

किताबों के साथ जुड़ा रहने से बच्चों को उनकी स्कूली पढ़ाई में भी मदद मिलेंगी पढ़ाई के प्रति उनका रूझान बड़ेगा जिससे आगे चलकर उन्हें अपना भविष्य सवारने में मदद मिलेगी। बच्चों को लिखने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए ताकि आगे चलकर लिखने में उनका कौशल विकास हो सकें।

छोटी उम्र में बच्चों को प्रेरणादायक कहानियां सुनानी चाहिए ताकि उनकों पढऩे के प्रति आगे चलकर लगाव हो। वो अपनी स्कूल पढ़ाई भी बेहतर तरीके से कर सकें। बड़े होते बच्चों पर पेरेंट्स को अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। अपने बड़े हो रहे बच्चों की डेली रूटीन पर बिना रोके टोके ध्यान दें। हो सकें तो समय-समय पर उनके दोस्तों से भी मिले ताकि आपको ये एहसास हो सकें आपका बच्चा किस दिशा में आगे बड़ रहा है।

बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें। ताकि बच्चा हर बात आपसे आसानी के साथ कह सकें। और आप उसकी किसी मुश्किल घड़ी में मदद कर सकें। बच्चों बात-बात पर मरे या डाटे नहीं बल्कि प्यार से समझाएं। बच्चों ऐसे संस्कार दें वो आपसे प्यार भी करें आपकी इज्जत भी करें।

इसके लिए आपको खुद अपने पेरेंट्स का सम्मान इज्जत करना चाहिए क्योंकि बच्चा जो देखता वहीं सिखता। आज आप अपने पेरेंट्स का सम्मान करेगें तो आगे चलकर आपके बच्चे आपका सम्मान करेगें। ये प्रकृति का नियम है जो बोया उसी का फल मिलता है।

आज बच्चों के रहन सहन के साथ-साथ खाने पीने की आदतों में भी बहुत तब्दीली आ गई है। जब से कुरकुरे चीफस मेगी नुडलस, पिज्जा आइसक्रीम का दौर शुरू हुआ हुआ है। बच्चें ज्यादा से ज्यादा इन ही चीजों को खाना पंसद करते है।

आज के बच्चें बाजार में मिलने वाली इन अनहेल्दी चीजों पर निर्भर हो गए है। दिन प्रतिदिन इन चीजों करोबार में तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन आज हर बच्चा इस करोबार के जाल में फंस कर अपने शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है।

पेरेंट्स है जो इस बात पर ध्यान ही नहीं देते है। पहले मां अपने बच्चें के लिए घर पर ही बच्चों के हिसाब से स्वादिष्ठ व्यंजन बना कर खिलाती थी जो उनके शरीर के लिए पौषक गुणों से भरपुर होता था। लेकिन आज बच्चें ज्यादा से ज्यादा बाजार में मिलने वाले पैकेट बंध खाद्य सामग्री पर निर्भर हो गये जो उनकी सेहत के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है।

पैकेट बंध खाद्य साम्रगी बच्चों की हेल्दी रूटीन के लिए बेहद हानिकारक होते है। इससे बच्चों को पौषक तत्वों की कमी हो सकती है आगे चलकर किसी गंभीर बीमारी का शिकार होने का खतरा बना रहता है।

पैकेट बंध पदाथो को कुछ इस तरह से बनाया जाता है। जिससे उनमें मौजूद विटामिन, प्रोटीन खनीज और मिनरल्स पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। जो आगे चलकर बच्चों की सेहत के लिए हानिकरक होती है। बच्चें इस बात से अंजान होते है इसलिए पेरेंट्स को उन्हें बताना चाहिए।

आज बच्चों की ये रूटीन हो गई है। सुबह उठतेे ही कुरकुरे चीफस मेगी नुडलस खाते है। फिर पेरेंट्स शिकायत करते है बच्चें खाना नहीं खाते है। ये पैकेट बंध सामग्री बच्चों की भुख को खत्म कर देती है। जिससे बच्चें कमजोर हो जाते है। बच्चों को समझाना चाहिए क्यों उनके लिए ये सब चीजे खाना हानिकरक है।

आज पेरेंट्स को अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है। अपने बच्चों को इन अनहेल्दी चीजों से दूर रखना चाहिए। बच्चों बताना चाहिए फल और सब्जियां हमारे शरीर के लिए कितनी हेल्दी डाईट होती है। पेरेंट्स को अपने बच्चों को फल सब्जियां खाने दूध पीने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। जिससे बच्चों के शरीर का विकास बेहतर तरीके से हो पाये।

बच्चों को ये बताने की जरूरत है पैकेट बंध सामग्री का उपयोग हमारे ही नहीं हमारे पर्यावरण के लिए भी हानिकरक सिद्ध हो रहा है। इससे प्लास्टिक कचरें का भंडार खड़ा हो गया है जिसका रीसाइलिंग आज हमारे लिए एक गंभीर समस्या बन गई है।

अपने बच्चों को हमेशा प्रकृति से जुड़े रखें। ताकि वो प्रकृति के साथ जुड़ाव महसूस कर सकें। और प्रकृति के बदलते रंगों के साथ अपने जिन्दगी में खुशियों के रंग सजो सकें।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश