पपावनसिटी खंडवा – भारत के राज्य मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थिर प्रान्त ओंकारेश्वर प्रमुख शहर है। समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर स्थिर है । यह मध्य प्रदेश की प्रमुख नदी नर्मदा और ताप्ती नदी घाटी के मध्य बसा है। मध्य प्रदेश के 6200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले खंडवा की सीमाएं जिलों को बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवस से जोड़ती है । ओमकारेश्वर यहां का लोकप्रिय मंदिर पवित्र दर्शनीय स्थल है। भारत वर्ष के 12 ज्योतिर्लिगों में जाना जाता है। ओंकारेश्वर नदी में संगम स्थल भी मौजूद है भगवान की आस्था रखने वालों के लिए इसके अलावा घंटाघर, दादा धुनीवाले दरबार, हरसुद,मूँदी, सिद्धनाथ मंदिर और वीरखाला रूक यहां के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। खंडवा जिले के आजू-बाजू के जिले के धर्म प्रेमी लोगों का जमघट लगा रहता है जहां पर श्रद्धालुओं को अपनी श्रद्धा के लिए मंदिरों में आसानी से दर्शन किए जाते हैं और भोग लगाया जाता है
प्राचीन ईस्वी में मान्यताओं के अनुसार खंडवा इस शहर का प्राचीन नाम खांडववन था जो मुगलों और अंग्रेजो के आने से बोलचाल में धीरे धीरे खंडवा हो गया। मान्यतानुसार श्रीरामजी के वनवास के समय यहाँ सीता माता को प्यास लगी थी तथा रामजी ने यहाँ तीर मारकर एक कुआ बना दिया और उस कुए को रामेश्वर कुए के नाम से जाना जाता है जो खंडवा के रामेश्वर नगर में नवचंडी माता मंदिर के पास स्थित है खंडवा मान्यता अनुसार हजारों वर्ष पुराना है जिसको भारत के वर्तमान मध्य प्रदेश राज्य में खंडवा जिले के नाम से जाना जाता है रेलवे के जंक्शन खंडवा माना जाता है यहां से ट्रेनों के आगमन के लिए सभी राज्यों के लिए रेलगाड़ी की सुविधा उपलब्ध है 12वीं शताब्दी में यह नगर जैन मत का महत्त्वपूर्ण स्थान था। यह नगर पुरातन नगर है, यहाँ पाये जाने वाले अवशेषों से यह सिद्ध होता है, इसके चारों ओर चार विशाल तालाब, नक़्क़ाशीदार स्तंभ और जैन मंदिरों के छज्जे स्थित हैं। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के तहसील बुरहानपुर हुआ करती थी बाद में इसके चलते ही बुरहानपुर जिला बना है |
मध्य प्रदेश में सन1864 से यह नगर के नवगठित निमाड़ ज़िले का मुख्यालय रहा। खंडवा जिले में नगर पालिका की स्थापना सन 1867 में की गई भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित खंडवा एक प्रमुख शहर है। आज वर्तमान में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले को नगर निगम का दर्जा प्राप्त है खंडवा जिले को लोकसभा में सांसद का भी दर्जा प्राप्त है इस क्षेत्र से लोकसभा के सांसद को चुना जाता है
खण्डवा का प्रसिद्ध भवानी माता मंदिर धूनीवाले दादाजी के दरबार के पास स्थित है। यह मंदिर माता तुलजा भवानी को समर्पित है। यह मंदिर खंडवा, मध्य प्रदेश में स्थित है। यह खंडवा का प्राचीन मंदिर है जहा प्रतिदिन भक्तो की भीड़ लगी रहती है कहते हैं भगवान राम अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे और यहाँ उन्होंने नौ दिनों तक तपस्या की थी। नवरात्र में यहाँ नौ दिनों तक मेला लगता है, जिसे देखने और माता के दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष हजारों लोग यहाँ आते हैं। ऐसी मान्यता है की माँ भवानी के दर से हर मुराद पूरी होती है
श्री दादाजी धूनीवाले श्री केशवानांदजी महाराज भारत के एक महान संत थे ज़िने दादाजी डंडे वाले के नाम से भी जाना जाता था| इन संतों ने 19वीं शताब्दी और 20वीं शताब्दी मे भारत, के मध्य भारत मे, यात्राएँ की| दुनिया भर मे उनके लाखों भक्त उन्हे शिव भगवान का रूप मानते हैं और उन्होने कई भक्तो को तो साक्षात शिवजी के रूप मे दर्शन दिए| १८वी शताब्दी मे एक बहुत बड़े साधु, श्री गौरी शंकर जी महाराज, अपनी टोली के साथ, नर्मदा मईया की परिक्रमा कीया करते थे| वह शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे, उन्होने मा नर्मदा की घोर तपस्या की और उनसे प्रार्थना की कि उन्हे भोलेनाथ के दर्शन हों| जब उनकी 12 कठिन परिक्रमाएँ पूर्ण हुई, माँ नर्मदा जी ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हे दर्शन दिए और कहा की उन्ही की जमात मे केशव नाम के युवा के रूप मे भोलेनाथ मौजूद हैं| भगवान शिवजी के दर्शन के लिए व्याकुल गौरी शंकर जी महाराज जब वापिस लौटे तो उन्होने सच मे उस लड़के दादाजी मे भगवान शिवजी का रूप देखा| जब उन्हे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ तो भोलेनाथ ने उन्हे कहा की अगर अपनी आँखों पे यकीन नही होता तो मुझे छू कर आज़माले| दादाजी महाराज हमेशा अपने साथ एक डंडा रखा करते थे और जहाँ भी विराजमान होते वहाँ धूनी रमाते थे| दिगाम्बर रूप दादाजी महाराज के दर्शन के लिए हर रोज़ हज़ारो लोग आया करते थे| जन कल्याण करने का दादाजी का बहुत ही विचित्रा तरीका था, वे भक्तों को गाली देते व डंडा मारते| हर तरह के लोग, अमीर से अमीर और ग़रीब से ग़रीब दादाजी के आशीर्वाद के लिए आते| दादाजी ने कई चमत्कार दिखाए, जैसे, जिनके बच्चे ना हों उनको संतान देना, बीमार लोगों को ठीक करना और मुर्दों को ज़िंदा करना| इन्ही महान संत जिन्हें दादाजी धुनी वाले के नाम से पुकारा जाता है की समाधि खंडवा में है जहा निरंतर धुनी जलती रहती है जिसे धुनी मैया कहते है तथा दादाजी की समाधि दर्सन और धुनी मैया की भभूती का प्रसाद लेने दूर दूर से भक्त्त आते है
यह मंदिर खंडवा खंडवा रामेश्वर छेत्र में स्थापति नवीनतम मंदिर है जो माँ नवचंडी माता को समर्पित है जहा माता के मंदिर के साथ ही भगवान शिव का मंदिर कालीमाता मंदिर स्थापित है यह एक मनोहर धार्मिक मंदिर है जो रेलवे स्टेशन से लगभग ३ किलोमीटर की दुरी पर स्थापित है जहा महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है
यह ऑडिटोरियम संगीत का सांस्कृतिक हॉल है, जो खंडवा रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर है। यह ऑडिटोरियम जाने माने गायक किशोर कुमार गांगुली की याद में बनवाया गया था। शहर के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम यहीं आयोजित किए जाते हैं। देवी नव चंडी धाम और तुरजा भवानी माता मंदिर रेलवे स्टेशन के निकट ही स्थित हैं।
नागचून गांव में बना तालाब यहां का जाना माना पिकनिक स्थल है। तालाब खंडवा से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। यह बांध खंडवा की सिचाईं का प्रमुख स्रोत है। इसके चारों ओर की हरियाली तालाब को और आकर्षक बना देती है। परंतु अब यहाँ निमाण काय चल रहा है |
इस गुरूद्वारे को नानकदेव के ओमकारेश्वर आने के पश्चात् बनवाया गया था। नानकदेव के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बना यह गुरूद्वारा सिक्ख और हिन्दू धर्म के अनुयायियों से भरा रहता है। ओमकारेश्वर रेलवे स्टेशन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है।
सिगांजी धाम एक धार्मिक एवं दर्शनिक स्थल है। खंडवा जिले के मूँदी नगर से 16 कि.मी की दूरी पर इंदिरा सागर परियोजना के बैकवाटर में स्थित है। चारों और से पानी में घिरे इस समाधी स्थल का सौन्दर्य अति सुंदर है।
यह पवित्र पहाड़ी नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह पहाड़ी धार्मिक दृष्टि से जिले का महत्वपूर्ण स्थल है। देश में 12 शिव ज्योतिर्लिगों में एक यहीं स्थित है। ओमकारेश्वर और ममलेश्वर यहां के प्रमुख मंदिर हैं। पहाड़ी के चारों ओर से बहती हुई नर्मदा नदी इसे ओम के आकार का बनाती है। यह पहाड़ी खंडवा से करीब 75 किलोमीटर दूर है।
सिद्धवरकूट स्थित भगवान संभवनाथ का यह मंदिर बारा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि जैन धर्म के तीसरे र्तींथकर का यह मंदिर भूमि को खोदकर निकाला गया था। मुख्य मंदिर के अलावा यहां चार अन्य मंदिर भी देखे जा सकते हैं जिसमें भगवान चन्द्रप्रभु, अजीतनाथ, पार्श्वनाथ और संभवनाथ की मूर्तियां स्थापित हैं।
खंडवा रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर घंटाघर एक स्थल है। सूरजकुंड, पद्मकुंड, भीमाकुंड और रामेश्वर यहां के चार पवित्र कुंड हैं। दादा धुनी वाले की समाधि, तुरजा भवानी मंदिर और नव चंडी देवी घाम भी यहां के लोकप्रिय पवित्र स्थल हैं।
ओमकारेश्वर की पहाड़ियों की पूर्वी दिशा में स्थित वीरखाला एक प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि प्राचीन काल से ही यहां शिव के अवतार भैरव को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि दी जाती थी जिसे ब्रिटिश काल में समाप्त किया गया था। पहाड़ी के निकट ही कुंती माता का मंदिर है।
ओमकारेश्वर से लगभग 9 किलोमीटर दूर यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल है। यहां से आसपास के क्षेत्र का सुंदर नजारा देखा जा सकता हैं। काजल रानी गुफा के निकट ही सतमत्रिका गुफा स्थित है। जुलाई से मार्च की अवधि यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
खंडवा से लगभग १५ किलोमीटर दूरी पर भोजाखेडी गाँव के पास पहाड़ी छेत्र में स्थित एक प्राचीन शिवलिंग है जिसपर प्राकर्तिक रूप से निरंतर जलधारा प्रवाहित होती रहती है
प्राचीन काल में खांडववन के नाम से प्रचलित शहर के चारों दिशाओं में चार कुंडों ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विराजमान है। पूर्व में सूरजकुंड, पश्चिम में पद्मकुण्ड, उत्तर में रामेश्वर कुंड और दक्षिण में प्रसिद्ध भीमकुंड स्थापित है। यहां पर भोले बाबा विराजित हं।
इंदौर विमानक्षेत्र खंडवा का निकटतम एयरपोर्ट है, जो यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर है। इंदौर देश के अनेक शहरों से नियमित फ्लाइट्स के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
खंडवा रेलवे स्टेशन दिल्ली-मुंबई रूट का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन विभिन्न ट्रेनों के माध्यम से देश के अनेक शहरों से जुड़ा है।
खंडवा सड़क मार्ग द्वारा राज्य और पड़ोसी राज्यों से जुड़ा है। राज्य के अधिकांश जिलों से रेलवे सुविधा एवं निजी बसों की सुविधा उपलब्ध है यहां पर श्रद्धालुओं को बेचने के लिए कोई कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है उनको यातायात में आसानी से सभी सुविधाएं उपलब्ध हो जाती हैं यहां ठहरने के लिए होटल धर्मशाला एवं मठ उपलब्ध हो जाते हैं