I am a nomad, do not erase my existence...Editorial

ये देश के वैध नागरिक नहीं कहलाते है। इसलिए एक देश के नागरिक होने के नाते जो सुविधाएं इन्हें मिलना चाहिए उसकी इनके जीवन में हमेशा कमी होती है। ये अधिकारों से हमेशा वंचित अनिश्चित जीवन जीने पर मजबूर होते है। ये लोग अपनी जिन्दगी में अब तक उपेक्षित जी रहे है। इन में जो लोग महेन्त करके अपना गुजारा करते है। वो लोग हमारे देश का ऐसा छीपा हुआ सोना है जिसका बाजार में कोई मोल नहीं है। हमारे देश की सरकार हो या देश के निति निर्माता हो किसी का भी इन लोगों की तरफ ध्यान नहीं है। ये तो वही बात हुई ये एक जगह रूकते ही नहीं है तो इन पर नजरे कैसे टिकी रह सकती है….

जिन्दगी में हर इंसान का सपना होता है कि उसका अपना घर हो जिसमें वो अपनी जिन्दगी खुशहाली के साथ जी सकें। लेकिन हमारे देश में बहुत से लोग ऐसे रहते है जिनके पास न तो खुद का घर है न ही खुद की जमीन है। ये हमारे देश के ऐसे नागरिक जिनके पास कोई सुविधा नहीं जो हमारे देश के नागरिक होने के नाते उनके पास होनी चाहिए। ये वो लोग जिनके पास शायद ही देश के नागरिक होने का भी अधिकार हो।
ये लोग हमेशा खानाबदोश की तरह एक राज्य से दूसरे राज्य में घुमते रहते है।

जहां खुले आसमान के नीचे जमीन खाली देखी वही ये अपना डेरा जमा लेते है। खेतों की खाली जमीन में रहते है न तो इन्हें बारिश होने का डर है न गर्मी का एहसास, न सर्दी की ठंड का एहसास है। हो सकता है एहसास हो भी तो क्या कर सकते है। क्योंकि हमारे देश ऐसे लोगों के लिए कोई कानून नहीं है जो ऐसे लोगों की समस्या का जड़ से हल निकाल सकें।

वैसे तो हमारे देश की सारी समस्या इन लोगों की जिन्दगी से जुड़ी होती है। आज हम उनसे जुड़ी समस्या पर गौर करें तो पायेगें। सारी समस्या एक ही जगह जहां मौजूद वो इनकी जिन्दगी है।

ये लोग ऐसे होते है जो अपनी जिन्दगी में कभी एक जगह नहीं रूकते है। एक शहर से दूसरे शहर घुमते रहते है। इसलिए शिक्षा का इनकी जिन्दगी में अभाव रहता है। ये अपनी जिन्दगी में कभी स्कूल नहीं गये होते है। न ही आगे चलकर ये अपने बच्चों को पढ़ाने की सोचते है।
खानाबदोश लोगों में कुछ ऐसे भी होते है जो व्यापार की तलाश में भी इधर से उधर घुमते रहते है। ये लोग वो होते जो मेहन्त कर के कमा कर खाते है। इनके पास सारी सुविधाएं होती है। लेकिन फिर भी ये पन्नीयों के घर बनाकर रहते है।

अशिक्षा इनमें भी आम बात होती है। सरकार के द्वारा बनाई योजनाओं का इनकी जिन्दगी में भी अभाव ही होता है। क्योंकि ये देश के वैध नागरिक नहीं कहलाते है। इसलिए एक देश के नागरिक होने के नाते जो सुविधाएं इन्हें मिलना चाहिए उसकी इनके जीवन में हमेशा कमी होती है।

ये अधिकारों से हमेशा वंचित अनिश्चित जीवन जीने पर मजबूर होते है। ये लोग अपनी जिन्दगी में अब तक उपेक्षित जी रहे है। इन में जो लोग महेन्त करके अपना गुजारा करते है। वो लोग हमारे देश का ऐसा छीपा हुआ सोना है जिसका बाजार में कोई मोल नहीं है। हमारे देश की सरकार हो या देश के नीति निर्माता हो किसी का भी इन लोगों की तरफ ध्यान नहीं है। ये तो वही बात हुई ये एक जगह रूकते ही नहीं है तो इन पर नजरे कैसे टिकी रह सकती है।

इन में से कुछ लोग बेरोगार ही रहते है। कभी-कभी कुछ कर लिया तो ठीक नहीं तो ज्यादा से ज्यादा ये लोग भीख मांग कर ही अपना गुजारा करते है। ये लोग अपने मासूम बच्चों को भी भीख मांगने पर मजबूर करते है। इसलिए जब ये बच्चें बड़े होते है तो अपनी जिन्दगी में कुछ भी काम करने के बारे में नहीं सोचते है। और महेन्त करने से कतराते है। एक जगह न रहने के कारण कोई इन पर विश्वास भी नहीं करता है। जिससे इनको महेन्त मजदूरी का काम कम मिल पाता है। इसलिए इनमें से कुछ मजबूरी में भी भीख मांग कर अपना अपने परिवार का पेट भरते है।

इन लोगों के पास कोई सरकारी दस्तावेज नहीं होते है। इसलिए सरकार द्वारा बनाई किसी भी योजना का इन्हें लाभ नहीं मिल पाता है। खानाबदोश होने के कारण ये लोग रहने के आसरे और खाने के लिए हमेशा अपनी जिन्दगी इधर से उधर घुमते ही रहते है।

नशाखोरी इन लोगों में आम बात होती है। ये जो भीख मांग कर पैसा इख्टठा करते है। उस पैसे का उपयोग ये नशा करने में करते है। इन्हें लोग बेवश और लाचार देखकर आसानी से पैसे दे देते है। जिससे इनमें नशाखोरी की आदत आम बात होती है।

अक्सर देखा गया है ये अपनी जिन्दगी में इतनी सफाई से नहीं रहते है। जिससे जल्द ही इन लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याएं घैर लेती है। लेकिन इलाज के नाम पर भी इन्हें हर जगह अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। अगर ये इलाज के लिए किसी सरकारी हॉस्पिटल में जाते है तो वहां भी इनको अपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। कहीं इनकी सुनवाई नहीं होती है।

हमारे देश की वर्तमान सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे इन्हें भी भारत का वैध नागरिक होने का हक मिलें। और जिससे इन के पास भी इतनी जमीन हो ये भी स्थाई रूप से एक जगह रहकर अपना जीवन व्यापन कर सकें। ताकि जो उनके जिन्दगी में समस्याऐं हैं उनका निराकरण निकाला जा सकें। इन लागों को भी अपनी जिन्दगी में वो सारे अधिकार मिले जिस पर हर भारतीय नागरिक का अधिकार है। जो उन्हें जन्म के साथ ही मिल जाते है। ताकि इनकी जिन्दगी में ये भी हर सरकारी योजना का लाभ उठा सकें। और पढ़ लिखकर अपनी जीवन में आगे बड़ सकें।

अगर हम आगे चलकर अपने सपनों का भारत बनते हुए देखना चाहते है। तो हमें इन लोगों की जिन्दगी में सबसे पहले सुधार लाने की कोशिश करना होगा। बिना इन लोगों की जिन्दगी सुधार करें हम अपने सपनों के भारत के सापनों को कभी सच होते हुए नहीं देख पाएगें। क्योंकि आज अपने देश को सपनों का भारत बनाने के लिए देश में व्याप्त जिन समस्याओं हल हम निकालने की कोशिश कर रहें हैं। वो सारी समस्याएं इन लोगों की जिन्दगी जुड़ी रहती है।

इसलिए पहले हमें इन लोगों की जिन्दगी से जुड़ी समस्याओं को हल करने की कोशिश करना चाहिए। फिर देखना हमारे देश व्याप्त आधी से ज्यादा समस्याओं हल यूहीं निकल आएगा। अगर हम हमारे देश रह रहे हर इंसान को सम्मान की निगाह से देखना सीख जाएगें तो अपने सपनों के भारत को हम जल्द ही अपनी आंखों से देख पाएगें।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश