वो ख्वाब था मेरी आंखों का जो मोतियों की तरह बिखर गया…
वो दर्द था मेरी सासों का, जो दवा के बाद बड़ गया,
जख्म दिल के हरे रहें, वो जज्बात था मेरे दिल का,
जो लफजों में ढ़ल गया,
कोन कहता है अब ये दिल जख्मों से घबराने लगा है,
वो लहु था इस दिल का जो आसकों में ढल गया,
बहुत उम्मीद थी हसरतों को अपनी मुकमली पर पहुंचाएगें,
वो सलाब था अरमानों का जो इस दिल में ही थम गया,
कहा खोए थे हम कोई समझ न सका,
वो इन्तजार था तेरा जो बैजान हमें कर गया,