किसान भिंडी की खेती करने के लिए वैज्ञानिक तरीका अपना कर उन्नत किस्मों की भिंडी की फसल प्राप्त कर रहें है। वैज्ञानिक तरीको से भिंडी की फसल किसानों के लिए लाभ का धंधा बन गई है। क्योंकि इस तकनीक से उगाई गई भिंडी से किसानों को ज्याद उपज प्राप्त हो रही है।
भिंडी की खेती करने का तरीका
हमारे देश में किसान कई तरह की सब्जियों की खेती करते है। जिसमें भिंडी भी एक महत्वपूर्ण सब्जी है। भिंडी एक ऐसी सब्जी है जिसे हर कोई खाना पसंद करता है। गर्मी का मौसम आते ही बाजार में इसकी मांग बढ़ जाती है। जिससे भिंडी की किमत में भी इजाफा होता है। ऐसे में जो किसान भिंडी की फसल की खेती करते है। उनके लिए ये लाभ का धंधा हो जाता है। भिंडी एक ऐसी सब्जी है जो बारह महीने बाजार में बिकती है। इसलिए इसकी खेती करने से ज्यादा से ज्यादा नुकसान नहीं होता। भिंडी अपने स्वाद के साथ- साथ कई तरह के पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। भिंडी में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, बी एवं सी के साथ-साथ कैल्शियम और जिंक जैसे तत्व पाए जाते है। इसलिए इसे एक पोषक सब्जी माना जाता है। भिंडी में फाइबर और विटामिन बी 9 फोलिक एसिड/फालेट पाए जाते है।
भिंडी की खेती उपयुक्त जलवायु
भिंडी की खेती के लिए उष्ण और नम जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके बीजों के जमाव के लिए करीब 20 से 25 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान चाहिए होता है। ध्यान दें कि गर्मी में 42 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान इसकी फसल को काफी हद तक नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि ऐसे में इसके फूल गिरने लगते हैं। जिस वजह से इसका सीधा असर उपज पर पड़ता है।
भिंडी की खेती के लिए कौन सी भूमि उपयुक्त
भिंडी की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। क्योंकि इस मिट्टी में जल निकास काफी अच्छी तरह हो जाता है। इसके अलावा इसकी खेती के लिए भूमि में कार्बनिक तत्व का होना भी बेहद ज़रूरी है। इसके साथ ही इसका पी.एच.मान लगभग 6 से 6.8 तक होना चाहिए। किसान खेती के पहले एक बार मिट्टी की जांच अवश्य करवा लें। ताकि बाद में उन्हें खेती करते समय किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पढ़े।
कैसे करें भिंडी की खेती की तैयारी
भिंडी की खेती करते समय किसान सबसे पहले खेत की 2 से 3 बार अच्छे से जुताई कर लें। इसके साथ ही खेत को भुरभुरा करके उसपर पाटा चला लें, ताकि खेत अच्छी तरह से समतल हो जाए। भिंडी की खेती करने के लिए समतल भूमि होना जरूरी है।
भिंडी की खेती की उन्नत किस्में
कृषि वैज्ञानिकों ने भिंडी की कई प्रकार की उन्नत किस्में विकसित कर चुके है। इन उन्नत किस्मों की खेती कर किसान फसल की उपज को ज्यादा हद तक बढ़ा सकते हैं। किसानों को भिंडी की किस्मों का चयन अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुरूप ही करना चाहिए।
भिंडी की खेती की निराई-गुड़ाई
भिंडी की खेती करते समय किसानों का ध्यान देना चाहिए कि खेतों में खरपतवार न हो। इसलिए इसकी फसल की बुवाई करने के करीब 15 से 20 दिनों के बाद पहली निराई-गुड़ाई कर लेनी चाहिए। भिंडी की खेती को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए किसान रासायनिक उत्पादों का भी उपयोग कर सकते हैं।
भिंडी की खेती के लिए बीज
भिंडी की फसल बुवाई करने के लिए 1 हेक्टेयर खेत में करीब 3 कि.ग्रा से 10 कि.ग्रा बीज की ज़रूरत पड़ती है। इसलिए ध्यान दें कि इसके बीजों को बोने से पहले करीब पानी में 24 घंटे तक डुबाकर रखें। इस तरह बीजों का अंकुरण अच्छा होगा। इसके अलावा इसके बीजों को थायरम या कार्बेन्डाजिम से भी उपचारित किया जा सकता है।
भिंडी की खेती को रोगों से कैसे बचाएं
भिंडी की फसल में अधिकतर येलो मोजेक यानी पीला रोग होने का खतरा बना रहता है। इस रोग की वजह से फल, पत्तियां और पौधा पीला पढऩे लगता है। अगर इस रोग से फसल को समय रहते बचाना है, तो उसके लिए आवश्कयतानुसार मेलाथियान को पानी में घोलकर खेतों में समय -समय पर छिडक़ते रहें। इससे पीला रोग का खतरा काफी कम किया जा सकता है। और भिंडी की खेती को उन्नत किस्म की खेती बनाया जा सकता है।
प्ररोह एवं फल छेदक रोग
प्ररोह एवं फल छेदक रोग यह छोटे कीट फसल के फलों में छेद करके उनमें घुस जाते हैं। फिर धीरे -धीरे पूरे फल को खा जाता है। इस रोग से फसल को बचाने के लिए जिस भी फल, फूल और कोपलों पर ये कीट लगा हुआ है। उसको इक_ा करके पूरी तरह नष्ट कर दें। ताकि उसकी वजह से बाकि फसल न खराब हो। अगर यह कीट ज्यादा फसल में फैल रहे हैं तो किसान भाई आवश्यकतानुसार कार्बोरिल को पानी में घोलकर फसल पर छिडक़ दें। या फिर आवश्यकतानुसार नीम ऑयल और लहसुन को पानी में घोलकर छिडक़ दें। जिससे फसल का ये रोग खत्म हो जाएगा।
रस चूसक कीट रोग
रस चूसक कीट रोग इससे बचने के लिए किसान भिंडी की फसल में मोयला, हरा तेला, सफेद मक्खी आदि कीट का प्रकोप हो सकता है, जो फसल की फूल-पत्तियों का पूरा रस चूस लेते हैं। जिससे पौधे कि पत्तियां कुकड़ा जाती है। और पौधों का विकास रुक जाता है। इसके साथ ही पत्तियां मुरझाकर पीली पढऩे लगती हैं और कमजोर हो झड़ जाती हैं। इसके लिए आप पौधों के बढ़ते समय नीम के तेल को पानी में अच्छे से मिलाकर छिडक़ दें। यह प्रक्रिया हर 10 दिन के बाद करे। इसके अलावा आवश्यकतानुसार डायमेथोएट, मोनोक्रोटोफोस, ऐसीटामीप्रीड, एसीफेट 2 में से किसी एक को पानी में अच्छे से घोलकर छिडक़ाव कर दें। इस प्रक्रिया को हर 10 दिन के बाद 5 से 6 बार जरूर करें।
भिंडी की खेती की कैसे करें बुवाई
किसानों को भिंडी की बुवाई कतारों में करनी चाहिए। इसके लिए किसान ध्यान दें कि खेत में कतारों की दूरी करीब 25 से 30 से.मी तक होनी चाहिए। इसके साथ ही पौधों की दूरी भी करीब 15 से 20 से.मी तक की रखनी चाहिए।
भिंडी की खेती में कैसे करें सिंचाई
गर्मियों के मौसम में भिंडी की फसल सिंचाई लगभग 5 से 7 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए। अगर खेत में नमी न हो, तो फसल की बुवाई से पहले भी एक बार सिंचाई कर सकते हैं।
भिंडी की फसल कैसे तोड़े
भिंडी के फलों की तुड़ाई उसकी किस्म पर निर्भर करती है। वैसे इसकी तुड़ाई लगभग 45 से 60 दिनों में शुरू कर सकते है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि इसकी 4 से 5 दिनों के अंतराल पर रोजाना भिंडी की तुड़ाई करवायें।
भिंडी की खेती की उन्नत उपज
भिंडी की खेती अच्छी देखभाल से उन्नत किस्म की फसल प्राप्त की जा सकती है जो किसानों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकती है। किसान भ्ंिाडी की खेती करके प्रति हेक्टेयर लगभग 120 से 170 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि इस फसल की कीमत बाजार में भी अच्छी ही मिलती है। बस ध्यान रहें कि सस्ते और जहरीले रासायनिकों का इस्तेमाल खेतों में न करें। क्योंकि इससे पहले उत्पादन तो अच्छा मिल जायेगा पर इसके सेवन से लोगों की सेहत के साथ -साथ खेतों की मिटटी पर भी इसका काफी असर पढ़ेगा। जिससे बाद कि फसल में ज्यादा मुनाफा नहीं कमाया जा सकता। इसलिए जितना हो सके जैविक उत्पाद का इस्तेमाल करें।

