पावनसिटी समाचार पत्र हरदा -मध्य प्रदेश के हरदा में जिला एड्स एवं रोकथाम नियंत्रण ईकाई जिला हरदा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला.हरदा के सभा कक्ष में
सघन जागरूकता अभियान के अन्तर्गत जिले की ग्रामीण क्षेत्र की आंगनबाडी कार्यकताओं का एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एच.पी.सिंह ने बताया कि जिले में एच.आई.व्ही,एड्स नियंत्रण अभियान 12 अगस्त से 12 अक्टूबर 2025 तक चलाया जा रहा है।कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु स्वास्थ्य विभाग एवं जिला महिला बाल विकास की आंगनबाडी कार्यकर्ता को संयुक्त टीम बनाकर कार्य करना है। जिला क्षय अधिकारी तथा जिला नोडल अधिकारी डॉ. मृत्युंजय सिंह गहलोत द्वारा विस्तृत रूप से एड्स के फैलाव एवं बचाव का प्रशिक्षण दिया गया तथा प्रशिक्षार्थियों द्वारा किए गए प्रश्नों के प्रतिउत्तर दिए गए। मनीष शकरगाय एम एण्ड डी ओ द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अन्य कार्यक्रमों एवं सुरक्षित प्रसव, गर्भवती महिलाओं की जांच के बारे में बताया गया। श्रीमती नीता चौबे द्वारा प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की विस्तृत जानकारी दी गई।
एचआईवी एड्स के जिला नोडल अधिकारी डॉ. मृत्युंजय सिंह गहलोत बताया कि मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार 12 अगस्त से 12 अक्टूबर 2025 तक एड्स जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। हरदा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एच.पी.सिंह ने बताया जिला.हरदा के सभा कक्ष में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को एचआईवी एड्स के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी देकर रेड रिबन बनवाया गया। उन्होंने बताया कि संक्रमित सुई अथवा सिरिंज के द्वारा, संक्रमित रक्तदान करने से, एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ शारीरिक यौन संपर्क से, संक्रमित गर्भवती माता से उसके होने वाले बच्चे को आदि एच.आई.वी. के संक्रमण फैलने के चार कारण हैं।
एड्स किन कारणों से नहीं होता है
एच.आई.वी. एड्स संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलने से, एक साथ रहने से, साथ में खाना खाने से, खाने के बर्तन, कपड़े, बिस्तर, शौचालय, स्वीमिंग पूल इत्यादि के सामूहिक उपयोग से, खांसने, छींकने या हवा से, मच्छरों के काटने या घरों में पाये जाने वाले कीड़े मकोड़े के काटने से एच.आई.वी. संक्रमण नहीं होता है। जिला अस्पताल में निःशुल्क परामर्श एवं जांच के लिये आईसीटीसी केन्द्र संचालित है। जांच की रिपोर्ट गोपनीय रखी जाती है। नवजात शिशुओं में एचआईवी संक्रमण की रोकथाम के लिये सभी गर्भवती महिलाओं की गर्भावस्था के प्रथम तीन माह में जांच कराया जाना आवश्यक है। यह जांच निःशुल्क की जाती है।