अनानास प्रकृति का दिया हुआ एक बेहद स्वादिष्ट फल है ये खट्टा मीठा रसीला फल होता है। यह स्वाद में बेहद स्वादिष्ट होता है जो दिमाग को तरोताजा कर देता है। अनानास सभी को बहुत पंसद है लोग इसका जुस पीना खुब पंसद करते है। अनानास को यूहीं भी खाया जाता है। डॉक्टर द्वारा भी मरीजों को अनानास का जूस पीने की सलाह दी जाती है। अनानास में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते है जो हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दुर करता है। अनानास में विटामिन सी, विटामिन बी6, कैल्शियम, कॉपर, मैंगनीज, आयरन, फोलेट, और फाइबर पाया जाता है। अनानास में एंटीऑक्सीडेंट भी होता है। अनानास में मौजूद विटामिन सी, आदि पाए जाते है जो हमारे शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
अनानास में मौजूद कैल्शियम और कॉपर, हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है। इसमें मौजूद मैंगनीज, मांसपेशियों और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। अनानास में मौजूद ब्रोमेलैन नामक एंजाइम, हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है। अनानास में मौजूद फाइबर, कब्ज की समस्या को दुर करता है। अनानास एक हेल्दी फल है जो हमारे शरीर को एनर्जी पहुंचाता है इसलिए हमें अनानास को अपनी डेली रूटीन की डाईट में जरूर शामिल करना चाहिए।
आधुनिक समय में किसानों की भी सोच बदली है आज का किसान अपने खेतों में ऐसी फसल को महत्व दे रहा है जिससे उनको लागत भी कम लगें और ज्यादा से ज्यादा मुनाफ हासिल कर सकें। ऐसे में किसानों का रूझान फलों की खेती की तरफ ज्यादा है। बाजार में जिस फसल की डिमाड ज्यादा है उस हिसाब से किसान खेती करना चाहता है। अनानास एक ऐसा फल है जिसकी मांग मार्केट में बारह मास बनी रहती है और अनानास की खेती करने से दुगना मुनाफा हासिल हो रहा है किसान अनानास की खेती कर लाखों का मुनाफा हासिल कर रहे है। आधुनिक तकनीक का उपयोग कर किसान अनानास का अत्यधिक उत्पादन प्राप्त कर रहे है। आज हम बताएंगें कि किसान अनानास की आधुनिक तरीके से खेती कर कम लागत में ज्यादा मुनाफा कैसे कमा सकते है।
अनानास का पौधा:-
अनानास एक उष्णकटबंधीय पौधा होता है। ये कैक्टस ब्रोमोलियस प्रजाति का हिस्सा होता है स्वाद के लिहाज से ये रसीला खट्टा मीठा स्वादिष्ठ होता है। अनानास आद्र्रता की परिस्थिती में पनपता है ये ज्याद ठंड और गर्मी नहीं सहन कर पाता है। अनानास की खेती में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। ये 900 मीटर ऊंचे पहाडी़ क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है।
अनानास की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु :-
अनानास की खेती के लिए आद्र्र जलवायु उपयुक्त मानी जाती है ये आद्र्रता में ज्यादा पनपते है। इसकी खेती के लिए अत्यधिक बारिश की आवश्यकता होती है। अनानास ज्यादा गर्मी और पाला सहन नहीं कर पाता है। इसलिए इसकी खेती के लिए 22 से 32 डिग्री से. तापमान जरूरी होता है। दिन-रात के तापमान में कम से कम 4-5 डिग्री का अंतर होना चाहिए। इसके लिए 100-150 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है। अनानास के लिये गर्म नमी वाली जलवायु सबसे बेहतर मानी जाती है।
अनानास की खेती के लिए खेत की तैयारी कैसे करें :-
अनानास की खेती के लिए खेत तैयार करने के लिए ग्रीष्मकाल में मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई करके भूमि को समतल कर लेना चाहिए। जिससे खेत में जलभराव की स्थिति उत्पन्न ना हो और कुछ दिन के लिए खेत को युंही खुला छोड़ देना चाहिए। खेत में गोबर की सड़ी खाद डालकर खेत में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।
अनानास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी:-
अनानास की खेती के लिए अधिक जीवांशम वाली बलुई दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। अनानास की खेती के लिए समतल भूमि जहां जल भराव की स्थिती ना हो ऐसी भूमि में खेती नहीं करनी चाहिए। इसके लिए अम्लीय मिट्टी का पी.एच. मान 5 से 6 के बीच होना जरूरी होता है।
अनानास की खेती के लिए उपयुक्त समय :-
अनानास की खेती साल में दो बार कर सकते है। पहली जनवरी से मार्च तक तथा दूसरी बार मई से जुलाई के बीच इसकी खेती के लिए उपयुक्त समय होता है। वहीं जिन क्षेत्रों में नमी युक्त मिडियम गर्म जलवायु होती है उन क्षेत्रों में अनानास की खेती पूरे बारह महीने कर सकते है।
अनानास की खेती के लिए उपयुक्त किस्में :-
अनानास की कई किस्मे पाई जाती है। इसमें प्रमुख किस्में रैड स्पैनिश, स्मूथ केयेन, रेड स्पैनिश, सिंगापुर स्पैनिश, ग्रीन स्पैनिश, शुगरलोफ, जायनट क्यू, मॉरिशस, क्वीन मुख्य किस्म हैं। जायनट क्यूइस किस्म की खेती पछेती फसल के रूप में की जाती है। स्मूथ केयेन, सबसे आम किस्मों में से एक है। अनानास की क्वीन किस्म बहुत जल्दी से पकने वाली किस्म है। रेड स्पैनिशइस किस्म में रोगों का प्रकोप काफी कम होता है। इस किस्म का उपयोग ताजे फल के रूप में किया जाता है। मॉरिशस यह एक विदेशी किस्म है। अन्य किस्में जिन्हें रोपण के लिए ढूंढना मुश्किल हो सकता है उनमें रेड स्पैनिश, सिंगापुर स्पैनिश, ग्रीन स्पैनिश, शुगरलोफ जायनट क्यू, मॉरिशस, क्वीन मुख्य किस्म हैं।
अनानास की खेती में पौधे का रोपण कैसे करें :-
अनानास के रोपाई दिसंबर-मार्च के मध्य अधिकतर की जाती है। लेकिन मौसम के अनुकुल इसे बदला जा सकता है। अत्यधिक वर्षा के समय में अनानास की रोपाई नहीं करनी चाहिए। खेत तैयार करने के बाद खेत में 90 से.मी. दूरी पर 15 से 30 से.मी. गहरी खाईयां बना लेना चाहिए। रोपाई के लिए अनानास के सकर, स्लीप या अनानास का ऊपरी भाग उपयोग में लाया जाता है। इसका रोपण करने से पहले इन्हें 0.2 प्रतिशत डाईथेन एम 45 के घोल से उपचारित कर लें। पौधे से पौधे की दूरी 25 से.मी., लाइन से लाइन की दूरी 60 से.मी. खाईयों के बीच रखना चाहिए। अनानास के पौधे 18 से 24 महीने में फल देने लगता है। यानी अनानास में फल लगने में कम से कम 1.5 से 2 दो साल का समय लग जाता है। लेकिन जब अनानास के पौधे फलने लगते है। तो ये 4 से 5 साल तक फल देते है।
अनानास की खेती में उर्वरक का उपयोग कैसे करें :-
खेत की जुताई के समय ही गोबर की सड़ी खाद, वर्मी कंपोस्ट या कोई भी जैविक खाद डालकर उसे मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके अलावा रासायनिक खाद के रुप में 680 किलो अमोनियम सल्फेट, 340 किलो फास्फोरस और 680 किलो पोटाश साल में दो बार पौधों को देना चाहिए।
अनानास खेती में उपयुक्त सिंचाई:-
यदि आप ने अनानास के पौधे का रोपण बारिश के मौसम में किया किया है तो इसमें सिंचाई की अधिक जरूरत नहीं होती है। इसमें सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन विधि को अपनाना सबसे उपयुक्त माना जाता है। पौधों के अंकुरित होने के बाद 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।
अनानास की खेती में रोग से बचाव कैसे करें:-
वैसे तो अनानास के पौधों में बहुत कम रोग लगते हैं। लेकिन कुछ रोग इस पौधे को हानि पहुंचा सकते हैं। इसलिए इन रोगों से अनानास के पौधे को बचाने का उपाय करना चाहिए।
अनानास में जड़ गलन रोग :-
अनानास के खेत में अधिक जलभराव की स्थिति उत्पन्न होने से अनानास में जड़ गलन रोग प्रकोप होने लगता है। इससे अनानस के पौधों की जड़े गलने लगती है। इस रोग की रोकथाम के लिए खेत में जल भराव नहीं होने देना चाहिए। और अगर पौधों में ये लग गया है तो रोग लगने पर बोर्डों मिश्रण का छिडक़ाव खेत में कर लेना चाहिए।
अनानास में काला धब्बा रोग :-
अनानास के पौधें में इस रोग के लगने पर पौधों की पत्तियों पर काले भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। इस रोग की वजह से अनानास के पौधों के विकास में रूकावट आ सकती है। और इनका पनपना रूक जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए अनानास के पौधों पर मैंकोजेब या नीम के तेल की निर्धारित मात्रा में छिडक़ाव करवाना चाहिए जिससे अनानास को इस रोग से बचाया जा सकता है।
अनानास में कीड़े और परजीवी का प्रबंधन का तरीका:-
अनानास के पौधों में पत्तो के बीच परजीवी एवं कीड़े पनप जाते है इसलिए इसके पौधों में पत्तियों के बीच पनपने वाले परजीवियों पर भी ध्यान देना चाहिए ये फसल को नुकसान पहुंचाते है। राख का चुना अम्लीय मिट्टी को संतुलित करने में मददगार साबित होता है। ये कीड़ों परजीवी को खत्म करता है। राख में मौजूद सिलीका की मात्रा फसल में कीड़े लगने से बचाती है। ये फसल को कीड़े से बचाने के साथ-साथ फसल में कीड़े परजीवी की वद्धि को भी रोकती है जिससे पौधों का विकास अच्छी तरह से होता है और फसल में रासायनिक कीटनाशक की भी आवश्यकता कम पढ़ती है। जिससे अनानास रासायनिक कीटनाशक के प्रभाव से भी बचता है।
पत्तियों में कोकड़ा रोग :-
अनानास के पौधों में पत्तियों में कोकड़ा रोग हो जाता है। जिससे पत्तियां सुकड़ जाती है और पत्तियों के किनारे सूख जाते है। पानी की कमी की वजह से या बहुत ज़्यादा धूप की वजह से अनानास के पौधे लंबे समय तक सूखे को झेल सकते हैं, लेकिन ज्यादा समय तक धुप पड़ती है तो अनानास को इस धूप की तेजी से बचाना जरूरी होता है। जब अनानास के पौधों की मिट्टी पूरी तरह सूख जाए उसके बाद अनानास के पौधों की अच्छी तरह सिंचाई करनी चाहिए।
अनानास की तुड़ाई का उपयुक्त समय:-
अनानास के पौधे में आमतौर पर 16 महीने में फूल आ जाते है और यह 18 से 24 महीने में फल लगना शुरू हो जाते है। अनानास में फल लगना अनानास के पौधों की किस्म पर निर्भर करता है। और जब अनानास पीला हो जाता है और उसमें मीठी खुशबु आने लगती है तो समझ लेना चाहिए की अनानास की फसल पककर तैयार है और अनानास की तुड़ाई कर फल मार्केट में बेचने की लिए तैयार हो चुकी है।
अनानास की खेती में लागत होने वाला मुनाफा:-
वर्तमान समय में अनानास की डिमाड देश के साथ साथ विदेश में भी खूब है भारत के अनानास का विदेश तक निर्यात किया जा रहा है। अनानास की खेती करने के लिए एक हेक्टेयर खेत में 16 से 17 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं, जिससे 3 से 4 टन अनानास का उत्पादन होता है। एक फल लगभग 2 किलो का होता है, जिसका मूल्य बाजार में 150-200 रुपए तक आसानी से मिल जाता है। इसकी प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज में भी काफी अच्छी मांग है। अनानास का उपयोग जूस, डिब्बा बंद स्लाइस आदि में होता है। वर्तमान में मार्केट में अनानास 1800 से 2400 रूपय प्रति क्विंटल का भाव चल रहा है। अनानास की खेती कर एक एकड़ में 14 से 15 टन उत्पादन कर 8 से 9 लाख रूपय तक का मुनाफा कमाया जा सकता है और एक बार की लगात से चार से पांच साल तक उत्पादन मिलता रहा है। आप अनानास की खेती से लाखो का कारोबार कर सकते है।