Unemployment of mind is becoming the reason of frustration among the youthEditorial

हमारे देश के युवा हमारे देश का भाविष्य है। लेकिन आज हमारे देश का युवा दिन व दिन बेरोजगारी की आग में जल रहा है। और इस आग में अपने वर्तमान और भाविष्य को बर्बाद कर रहे है। हमारे देश में वर्तमान सरकार भी युवाओं के भाविष्य को लेकर बिल्कुल भी चिन्तित नजर नहीं आ रही है। और जिस तरह से हमारे देश में बेरोजगारी का आकड़े दिन व दिन बड़ रहा है। वो इस समस्या की गंभीरता को जाहिर कर रहें है।

ये बात और है इन आकड़ों को देख हमारे देश के सत्ताधारी लोग अपनी आंखों में सियासत की पट्टी बांध कर झुठलाते रहे है।
लेकिन देश की आधी आवादी के भाविष्य को यूं खराब करना सही नहीं है। झुठे दिलासों और ख्वाबों को दिखा कर और कब तक युवाओं के साथ यूं छल किया जाता रहेंगा ये सोचने वाली बात है।

लेकिन ये बात साफ जाहिर हो चुकी है हमारे देश के सत्तारूढ़ लोगों को सिर्फ अपनी कुर्सी की ही चिंता है। इसलिए युवा वर्ग को अब खुद आगे आकर अपने भाविष्य को संवारने का प्रयास करना होगा।

नौकरी की आशा में बड़ी-बड़ी डिग्रीयों लेकर घर बैठने से अच्छा है। युवा खुद आगें आकर अपना खुद का छोटा सा व्यापार शुरू कर के अपने भाविष्य को संवारना की पहल करें। हर काम की शुरूआत तो छोटे काम से ही होती है। क्यों न छोटे से कुछ कर के अपना भाविष्य संवारने की दिशा में कदम बढ़ाया जाए।

क्योंकि जैसे मन की हार इंसान की हार होती है। वैसे ही मन की जीत इंसान को नई उच्चाईयों तक लें जाती है। इसलिए आज के युवा वर्ग को मन की बेरोजगारी से बचना चाहिए। नौकरी नहीं मिल पा रही है तो क्या जो आप कर सकते वहीं करके अपनी जिन्दगी को जीत का जश्र मनाने का मौका दें।

आज हमारे देश के अधिक से अधिक उच्चशिक्षित मेधावी युवा भारत छोड़ कर जा रहे हैं। दरअसल, ये युवा भारत में न कोई वर्तमान देख रहे है, न भविष्य।

हमारे देश में आज बेरोजगारी का ये हाल हो गया है कि छोटी से छोटी नौकरियों के लिए उच्चशिक्षित मेधावी छात्र प्रयास कर रहें है लेकिन हमारे देश की सरकार युवाओं नौकरी नहीं उपलब्ध करा पा रही है। ऐसा नहीं है हमारे देश के सरकारी विभागों में कोई पद खाली नहीं है। सरकारी विभागों में खाली पदों की संख्या हमारी सोच कई ज्यादा है।

लेकिन आज कभी देखा जाए तो हमारे देश में सरकारी नौकरी पाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। विदेशों में उच्चशिक्षित मेधावी युवाओं को आसानी से नौकरी मिल जाती है इसलिए आज हमारे देश के अधिकाशत: मेधावी युवा विदेशों का रूख कर रहे है। ये हमारे देश के आर्थिक विकास के लिए आगे चलकर बहुत बड़ी समस्या बन सकती है।

हमारे देश की वर्तमान सरकार को प्रयास करना चाहिए की वो युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराये जाए ताकि युवा अपनी योग्यता का सही उपयोग अपने देश के हित में कार्य कर सकें।

लेकिन यहां देखा गया है जब भी हमारे देश में बढ़ती बेरोजगारी से उपजी समस्या के गंभीर रूप देखने को मिलते है सरकारें या तो इसकी अनदेखी करती हैं या फिर धन और रिक्तियों के अभाव आदि की दलील देने लगती हैं। लेकिन देश की अर्थव्यवस्था और युवाओं का भाविष्य जिस तरह से अनिवार्य रूप से जुड़ा हुआ है, इस समस्या की अनदेखी करना सही नहीं है।

आज हमारे देश में जिस तरह से बेरोजगारी दिन व दिन अपने पैर पसार रही है इस गंभीर समस्या पर यूं पर्दा डालने की कोशिश करना सही नहीं है ये सोचने वाली बात है इससे आखिर क्या हासिल होगा?

ये हमारे देश के युवाओं के भाविष्य का सवाल है यदि युवाओं की आर्थिक स्थिति कमजोर  रही तो देश की अर्थ व्यवस्था पर इसका सीधा असर पड़ेगा। इसलिए सरकार को युवाओं के भाविष्य को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। साथ ही युवाओं को भी हर संभव कुछ न कुछ रोजगार कर के अपनी अर्थिक स्थिति मजबूत करने की जरूरत है।

यह सवाल तब और गंभीर हो जाता है, जब दिन व दिन बेरोजगारी के आंकड़े रोज नई ऊंचाई छू रहे हैं और दूसरी ओर खुद सरकारी महकमों में लाखों पद खाली हैं। जिनकों भरने का वर्तमान सरकार का कोई ईरादा भी नहीं लग रहा है।

क्योंकि जो काम दस लोग कर सकते है वो काम आज सरकारी महकमों में सिर्फ एक इंसान के जिम्मे छोड़ रखा है। ताकि सरकार वाकि लोगों पर होने वाले खर्च को बचा सकें। और साथ ही उन खाली पदों का हवाला देकर बेरोजगार युवाओं की आंखों में धुल झोकी जा सकें।

लेकिन आज के उच्चशिक्षित युवा सरकार के इस धौके को समझने लगें है और उनका अपने देश की सरकार पर से विश्वास उठता जा रहा है। इसलिए तो आज ज्यादा से ज्यादा युवा नौकरी की तलाश में विदेशों का रूख कर रहें है।

आज हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारी गंभीर समस्या बन गई है। भारत में युवाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है और देश का भाविष्य उन पर ही निभर है लेकिन आज यहीं युवा बेरोजगारी की आग में पल पल जल रहे है।

रोजगार पाने के लिए लम्बी कतारों में खड़े है। और उच्च शिक्षित होने के बावजूद उन्हें अपनी योग्यता के अनुसार उचित नौकरी नहीं मिल पा रही है। आज लाखों रूपए का निवेश कर बड़ी-बड़ी डिग्रीयों के हासिल करने के बाद भी हमारे देश का युवा नौकरी पाने की आशा में धक्के खाने को मजबूर है।

इसमें किसका कसूर है ये सोचने वाली बात है? क्यों जानबूझकर अपने देश के आने वाले भाविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है? हमारे देश में शिक्षा का पैमाना तो बड़ा है लेकिन शिक्षित युवाओं के लिए नौकरी पाना उतना ही कठिन हो गया है। शिक्षित बेरोजगारी किसी भी देश की प्रगति में एक बहुत अड़चन है।

बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जब कोई व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार पाने का प्रयास कर रहा है लेकिन दुर्भाग्यवश रोजगार नहीं मिल पा रहे है। युवाओं को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिल पा रही है। सीमित नौकरी के अवसर उन्हें हताश कर रहें है।

शिक्षित बेरोजगारी से परेशान युवको को यह जानना जरूरी है कि उनके लिए कौन सी नौकरी उपयुक्त है नौकरी को पाने के लिए उन्हें कौन सा करियर पथ अपनाने की जरूरत है।

युवाओं को उच्च शिक्षा के साथ अपने करियर बनाने के लिए किस दिशा में कदम बड़ाने है इसकी जानकारी होना जरूरी है। ताकि आगे चलकर उन्हें अपना भाविष्य बनाने में मदद मिल सकें। और वो अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार नौकरी पा सकें।

ये सब हमारी वर्तमान सरकार की जिम्मेदारी है वो अपने देश के युवाओं के भाविष्य को लेकर कितना चिंतित है? आज जितना युवा हिंसक हो रहे है। नशे की दिशा में आगे बढ़ रहे है ये सब बेरोजगारी की वजह से ही हो रहा है। आज हमारे देश में युवाओं का भाविष्य को बचाने की अवश्यता है। और इस दिशा में उचित कदम उठाने होगे।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश