Harda news : महिलाओं एवं 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों के शिक्षा, पोषण व स्वास्थ्य सहित समग्र विकास के लिये जिला प्रशासन इस माह से विशेष अभियान प्रारम्भ करने जा रहा है। इस अभियान के तहत बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य तथा महिलाओं के स्वास्थ्य व स्वरोजगार सहित उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जाएगा तथा शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करने का प्रयास किया जाएगा। इस अभियान के लिये जिले के चयनित 50 ग्रामों में महिला बाल विकास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के मैदानी अमले द्वारा संयुक्त सर्वे कर हितग्राहियों का चिन्हांकन किया जा रहा है।
कलेक्टर आदित्य सिंह ने जिला पंचायत के सभाकक्ष में अभियान की तैयारियों की समीक्षा बैठक में उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिये कि सर्वे का कार्य 30 जून तक पूर्ण करें। उन्होने कहा कि शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य, महिला बाल विकास व ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी टीम वर्क के साथ कार्य करें और गांव के जरूरतमंद ग्रामीणों को अपने-अपने विभाग की सेवाओं का लाभ दिलाएं। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग संजय त्रिपाठी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एच.पी. सिंह, डीपीसी सहित जनपद पंचायतों के सीईओ, विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी भी मौजूद थे।
कलेक्टर सिंह ने कहा कि पहले चरण में लगभग 50 गांव शामिल कर वहां की महिलाओं व बच्चों के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। अगले चरणों में गांव के स्थान पर पूरी पंचायत को शामिल किया जाएगा और धीरे-धीरे पूरे जिले में इस कार्यक्रम का विस्तार किया जाएगा।
उन्होने कहा कि प्रारंभिक चरण के लिये चिन्हित किये गये 50 गांवों में गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण, संस्थागत प्रसव की व्यवस्था, कुपोषित महिलाओं का चिन्हांकन व उनके कुपोषण दूर करने के लिये उपाय किये जायें। उन्होने निर्देश दिये कि गर्भावस्था की शुरूआत में ही महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर हाई रिस्क महिलाओं को चिन्हित कर उनके उपचार व टीकाकरण की विशेष व्यवस्था की जाए तथा शासकीय अस्पताल में ही उनके प्रसव की व्यवस्था की जाए।
कलेक्टर सिंह ने कहा कि जन्म के तत्काल बाद से बच्चों का टीकाकरण, पोषण पुर्नवास केन्द्र के माध्यम से उनके कुपोषण का उपचार, आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से बच्चों को पोष्टिक आहार उपलब्ध कराने तथा पूर्व प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था की जाए। आंगनवाड़ी में दर्ज 5 वर्ष से अधिक आयु के सभी बच्चों का स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था की जाए तथा कोई भी बच्चा स्कूल न छोड़े, इसके लिये लगातार मॉनिटरिंग की जाए।