Harda News : हरदा रेल्वे स्टेशन के सौदर्यकारण और विकास कार्य के नाम पर हरदा नगरपालिका द्वारा 70-80 साल पुरानी दुकानो को अचानक तोडऩे के फैसले से मौजूदा दुकानों के मालिक और उनके परिवार परेशान है। जिला प्रशासन के तरफ से भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
वर्तमान सरकार हमेशा कहती है वो हमेशा आम जनता के साथ है लेकिन जो इंसान पिछले 60-70 सालों से अपनी दुकानों में महेन्त कर के अपने और अपने परिवार का पेट पाल रहा है उनसे इस तरह उनकी रोजी छिन्ना कहा का इंसाफ है। जबकि ये दुकाने इन दुकान मालिको के पूर्वजों के पास देश की आजादी से पहले की हैं। और ये लोग हमेशा नगरपालिका को टेक्स भी देते थे। अब विकास के नाम पर यूं नइंसाफी करना ठीक नहीं है। और कोई एक दो नहीं पुरी 40 दुकाने है। इन 40 दुकानों के साथ 40 परिवारों का भविष्य जुड़ा हुआ है। जिनमें कुछ ऐसे भी है जिनका इस दुकान के सिवा कोई दूसरा सहारा भी नहीं है।
जिला प्रशासन को दुकान मालिकों से बात करना चाहिए उनकी समस्याओं को सुनना चाहिए इस तरह उनकी रोजी छीनकर उनके साथ कहा का इंसाफ किया जा रहा है। जबकि दुकान मालिकों कोई मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है न ही कोई दूसरी जमीन दी जाने की बात की जा रही है। जबकि दुकान मालिको ने जिला प्रशासन पर भरोसा कर के अब तक कोई विरोद्ध प्रदर्शन भी नहीं किया।
जिला प्रशासन को दुकान मालिकों की बात सुनना चाहिए जो इंसान जिला प्रशासन के कानून का सम्मान करके खमोश है उस इंसान के वजूद को यूं खमोशी में मिटा देना ठीक नहीं है। हम भारत देश के नागरिक है देश का विकास आम जनता के विकास से जुड़ा होता है। आम जनता के अस्तित्व को मिटा कर कोई विकास नहीं किया जा सकता है। बच्चे देश का भविष्य होते है आज इन दुकान मालिकों के बच्चों का भविष्य खतरे में है। ये लोग इतने सालों से यहां महेन्त कर रहे है उनसे इस तरह से उनका हक नहीं छिन्ना चाहिए। जिला प्रशासन और आम जनता को इनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। और दुकान मालिकों को उनका हक दिलाना चाहिए। हरदा जिले की आमजनता को व्यपारियों को इन दुकान मालिकों की मदद के लिए आगे आना चाहिए आज ये उनके साथ हो रहा है कल आपके साथ भी हो सकता है।