Harda News : हरदा शहर मे इन दिनों आवारा कुत्तो का आतंक फैला हुआ है। शहर में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। ये आवारा कुत्ते गली मोहल्लों सडक़ बस स्टेशन रेलवे स्टेशन हर जगह घूमते या बैठे मिल जाते है। शहर के हर कालोनी मोहल्लो में आवारा कुत्ते बच्चों पर हमला कर रहे है।
चौबे कालोनी मे दो दिन पहेले एक महिला को कुत्ते ने काट लिया महिला शासकीय अस्पताल में जाकर इलाज करा रही है। कुत्ते के इन्जेकशन लगावा रही है आज फिर चौबे कालोनी मे प्रांजलि आँजने पिता बालकृष्ण आँजने पर भी कुत्ते ने हमला कर दिया। कुत्ते ने बालिका को लहुलहन कर दिया, वह तो कॉलोनी वासियों ने तुरंत उसे बचा लिया नहीं तो बालिका के साथ बहुत बड़ी दुर्घटना कि शिकार हो जाती।
शहर में कुछ समय पहले ही नगरपालिका ने कुत्तों को पकडऩे की एक उपचारिकता निभाई थी। उस पर नियमित कार्यवाही चलती रहती तो इस तरह कि घटना नहीं होती। रात में और शाम के वक्त भारतीय जीवन बीमा से लेकर राठी जी कि खाद कि दुकान तक रोज रात कुत्तो का झुन्ड कार एवं मोटरसाइकल चलाने वाले राहगीरों पर हमला कर रहे है। किसी दिन बहुत बड़ी अप्रिय घटना हो सकती है इस पर प्रशासन को तुरंत कार्यवाही करना चाहिये। जो दुसरे शहरों और राज्यों में घटनाएं घटीत हो रही है उससे प्रशासन को सबक लेना चाहिए। राजधानी भोपाल में भी एक मजदूर के बच्चे को कुत्तों ने शिकार बनाया था उसका पूरा हाथ खा गए थे। वहीं भोपाल में एक और मामला सामने आया था जिसमें एक सात आठ साल के बच्चें को कुत्तों ने नोंच डाला था बच्चें के चेहरे को नुकसान पहुंचाया था उसकी आंख बच गई थी। ऐसे ही कई हादसे होते रहते है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा ये सब जानते हुए भी मूकदर्शक बनकर देखते रहना सही नहीं है।
नगरपालिका में कुत्तों को पकडऩे के लिए वाहन भी मौजुद है। इसके बावजूद भी हरदा शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है। नगरपालिका द्वारा इस ओर बिल्कुल ध्यान नही दिया जा रहा है। कि कुत्ते पकडऩे वाले वाहन द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ा जाए। हरदा नगरपालिका भी क्या कोई बड़े हादसे का इंतेजार कर रही है कि कोई हादसा हो तो नगरपालिका नींद से जागे आवारा कुत्तो पर अंकुश लगाए।
लेकिन जिला प्रशासन द्वारा आवारा कुत्तों को लेकर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है। आते दुसरे दिन सुनने को मिलता है कि इस कॉलोनी मोहल्ले में किसी आवारा कुत्ते ने बच्चों को काट लिया है। या किसी बुजुर्ग को आवारा कुत्तें ने काट लिया है लेकिन ये सब खबरें नगरपालिका तक भी पहुंचती है, लेकिन नगरपालिका द्वारा बस एक उपचारिकता पूर्वक भूमिका निभाई जाती है।
वार्ड क्रमांक 29 में भी कुत्तों के काटने की कई दुर्घटना घटीत हो चुकी है। कई बार आवारा कुत्तों के झुंड द्वारा कितनी ही बकरा बकरियों को चारों तरफ से घेर कर उन्हें नोंच-नोंच कर मार डाला। वहीं एक बच्ची खेल रही थी तो उस पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया। लेकिन सही वक्त पर मोहल्लों वालों ने आकर बच्ची को बच्चा लिया। वार्ड क्रमाक 29 में सरकारी प्रायमरी स्कूल है। जहां छोटे-छोटे बच्चें पढऩे आते है। वहां कई बार यहां पर स्कूल के बच्चों को आते जाते हुए आवारा कुत्तों ने घेर कर जमीन पर गिरा चुके है। लेकिन समय पर मोहल्ले वालों ने बचा लिया। यहां खेत है वहां आवारा कुत्तों का झुंड है ये बच्चों और बड़ों पर हमला करते रहते है ऐसे में कोई अप्रिय घटना घटीत हो सकती है।
यहां पर छोटे बच्चों को स्कूल है और वार्ड क्रमांक 29 की तीन आंगनबाड़ी भी यहां मौजूद है। जहां पर छोटे बच्चो का आना जाना लगा रहता है। वार्ड के लोगों का कहना है कि कई बार आंगनबाड़ी में आने वाल बच्चों को देखकर कुत्तों के झुंड आंगनबाड़ी के करीब आकर खड़े हो जाते है। इसलिए वार्ड वासी बच्चों को अकेले आंगनबाड़ी भेजने में डरते है। इसकी शिकायत भी की गई लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
ये आवारा कुत्ते अकेले में किसी भी इंसान हो या बच्चें ये झुंड के साथ हमला करते है। कभी ये बच्चों पर हमला करते है तो ये चार छ: कुत्तें चारो तरफ से बच्चें को घेर लेते है, अगर बच्चा अपने घर की तरफ भागने की सोचता है तो ये दो पेर से बच्चों पर हमला करते है। ऐसे में बच्चा डर कर गीर जाता है तो ये कुत्ते सब मिलकर उन्हें नोचने लगते है। अगर कोई आ गया तो बच्चें की जांन बच जाती है नहीं तो ये कुत्ते उन बच्चों को नोंच-नोंच कर जख्मी कर देते है।
आवारा कुत्तों का आतंक दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है लेकिन जिला प्रशासन गहरी नींद सो रहा है या किसी बड़ी दुर्घटना का इंतेजार है जब उनको होश आएगा और ये आनन फानन में हरकत में आएगें। सही मायने में तो ऐसा होना चाहिए के वक्त रहते जिला प्रशासन और नगरपालिका को लोगों की इस समस्या की ओर ध्यान देना चाहिए। इससे पहले कोई गंभीर घटना घटे इस समस्या को हल करने की कोशिश करना चाहिए। क्योकि ये एक वार्ड की ही बात नहीं है जिले के हर वार्ड और गांव शहर सब में इस तरह की घटना सामने आ रही है। समस्या गंभीर रूप ले उससे पहले हल निकाले यही सबका जिला प्रशासन और नगरपालिका से अनुरोध है।
आवारा कुत्तों से इतनी दहशत हो गई है कि लोग सुनसान रास्ते पर अकेले जाने में डरते है। जिसमें बुजुर्गो और बच्चों को इस समस्या का ज्यादा सामना करना पड़ता है। ये कुत्ते बस स्टेशन के पास और रेलवे स्टेशन के फुटब्रीज पर बैठे रहते है रात के वक्त फुट ब्रीज पर बड़ी संख्या में कुत्ते सोए रहते है जिसकी वजह से राहगीरों को फुटब्रीज से जाने में डर लगता है। और लोग रात के वक्त ज्यादा से ज्यादा अपनी जांन का जोखिम उठाकर लाईन पार करके जाते है।
जिला प्रशासन द्वारा आवारा कुत्तों के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। क्योकि ये मासूम बच्चों और बुजुर्गो को नुकसान पहुंचा रहे है। आमजनता की जिला प्रशासन से यहीं उम्मीद है।