ऐ खूबसूरत वादियों मुझे पुकारों
मैं तुम ही में कहीं खो गया हूं,
तुम्हारे साथ होने के अहसास से ही दिल आज खुश है,
लगता है मेरा वजूद तुम ही में कहीं मौजूद है,
ऐ ठंड़ी-ठंड़ी हवाओं मुझे सभालों में तुम ही में कही खो गया हूं,
महकते फूलों की खुश्बू मुझे बहेकाने लगी है,
पास वो मुझे बुलाने लगी है,
मैं न जाऊं ये मुमकिन नहीं है,
क्योंकि मैं तुम ही में कहीं खो गया हूं,
ऐ खूबसूरत वादियों मुझे पुकारों
मैं तुम ही में कहीं खो गया हूं,
ठंड़ी-ठंड़ी हवाओं ने दिल पर डाला ऐसा जोर है,
कोहरे में सिमटी बहारों का मंजर ही कुछ ओर है,
मैं कैसे सभालू अपने आपको इन खुबसूरत नजारों में खोने से
क्योंकि मैं इन ही में कहीं खो गया हूं,
सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश