अहदे वफा में दर्दे दिल का पैगाम भेजा था जिससे,
खत वो इस तरह से वापस आया,

हुई थी खतम अरमानों की तलाश जिस मंझील पर,
वो पता ही हमने गलत पाया,

खत वो इस तरह से वापस आया…
चहा था जिस तरह से खुशियों को हमने,

वो अन्दाजे वया हमारे कुछ काम नहीं आया,
खत वो इस तरह से वापस आया…

लहू जिगर का हमने जज्बातों को लफजों में पिरोने में लगा दिया,
थी उस वक्त उसके हाथों में रंगे हीना,

इसलिए ही वो इस दर्दे दिल की तड़प को समझ नहीं पाया,
खत वो इस तरह से वापस आया…

मैं बहुत उदास बैठा था दरिया के किनारे,
फिर आंसूओं ने मुझे ये अहसास कराया,
खत वो इस तरह से वापस आया…