सावन में तेरी याद जो आई थी,
बेचैन दिल था, चारों तरफ तन्हाई ही तन्हाई थी,
यादों में तेरा ही बसैरा था,
ख्वाबों में तेरा ही चहेरा था,
फिर क्यों इतनी लम्बी लगती जुदाई थी,
सावन में तेरी याद जो आई थी…

ठंड़ी-ठंड़ी हवा चल रही थी गगन में,
फूल भी खिले थे लाखों चमन में,
बस एक ये दिल विराना था,
हर तरफ तेरा ही फसाना था,
वरना सारे जाह में तो हरियाली ही हरियाली छाई थी,
सावन में तेरी याद जो आई थी…
बेचैन दिल था, चारों तरफ तन्हाई ही तन्हाई थी…