डुबा हुआ हूं गम की गहराई में कही,
सहारा है ये तन्हाइयों में सही,

दिल चाहता है चलते-चलते ही रूक जाऊ कही,
बिखरते जा रहा हूं मैं रास्ते मिलती बिछड़ती परछाईयो में कही,

जिंदगी का मकसद अब समझमे आने लगा हैं,
जीतें चले जाऊ यूही जिंदगी की रुसवाईयां में कही,

अपने ही अरमानों का तलबगार नहीं है दिल,
बिखर गए मेरे अरमान तेरी बेवफाईयो में कही,

बैतकलुफ हुई थी जो तुझसे मुलाकात कभी,
खो गया है मेरी आँखों से वो मंजर,

तेरी शादी की शहनाईयो में कही,
रूठ गए है मुझसे मेरी ही आँखो के ख्वाब,
कैसे ढुडो उनको छुपे है तेरी आँखों की गहराई में कही,