कितनी बदल गई है जिन्दगी मेरी…
काटों से गुजर गई है जिन्दगी मेरी,
हम तो दर्द से तड़पते ही रह गए,
खुशी की राहों से गुजर गई है जिन्दगी मेरी,
अरमान दिल के मेरे ख्वाबों में खो गए,
निदों से बेखोफ दूर हो गई है जिन्दगी मेरी,
मैं तो चला जा रहा हूं तन्हा ही उन राहों पे,
जिन राहों पे गुम हो गई है जिन्दगी मेरी,
आसूंओं में मेरा लम्हा-लम्हा खोया है,
फिर भी चिंरागों की तरह जल रही है जिन्दगी मेरी,
क्या कसूर है मेरा कुछ समझमें नहीं आता है,
कैसी बेगुनाही में सजा हो गई है जिन्दगी मेरी,