दर्दे दिल, दिल में हुआ है अभी-अभी…
दिल अपने आप पर ही शर्मीदा है अभी-अभी,
क्या थी ख्वाहिश दिले नदा की सोचकर
दिल की धडक़ने रूकी जाती है,
मौत से रू-ब-रू है दिल अभी-अभी,
कितना है जख्मी ये दिल कोई समझ नहीं पाएगा,
तेरी यादों की परतों से ये दर्द छुपा है अभी-अभी,
तु दूर बहुत दूर लगती है दिल की पनाहों से,
दिल में बसा तेरा अशियाना लुटा है अभी-अभी,
तन्हा बहुत तन्हा हो गए है हम,
ये सच हम पे खुला है अभी-अभी
सैयद शबाना अली