ऐ ठंड़ी-ठंड़ी हवाओं
ऐ शबनमी घटाओं,
मुझे पुकारों दिल आज मेरा नीदों में खोया है,
ऐ सर्द-सर्द हवाओं,
सफेद हिजाब में छुपती निकलती फिजाओं,
मुझे पुकारों दिल आज मेरा नीदों में खोया है,
ऐसा नीदों ने डाला आंखों में जोर है,
ऐ मुस्कुराती बहारों मुझे पुकारों दिल आज मेरा नीदों में खोया है,
है फूलों की अदाएं भी आज सेमी-सेमी,
ठंड़ी हवाओं में खुश्बू है महेकी-महेकी,
ऐ बादलों में छुपती निकलती कहकशओं,
मुझे पुकारों दिल आज मेरा नीदों में खोया है,
सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश