खमोशी क्या होती हैं ये लफ्ज़ो से पूछ लो,
कितनी तकलीफ देती है ये लफ्ज़ो से पूछ लो,

चाह कर भी जब दिल कुछ कर नहीं पाता है,
खमोशी का ये दाग जब दिल में जख्म बन जाता है,

क्या होती है बैबसी ये लफ्ज़ो से पूछ लो,
जज्बात जब दिल के काम नहीं आते हैं,

लफ्ज़ो की बंदिशों से घबराते हैं,
लफ्ज़ जब लबों पे आने से कतराते है,

कैसी होती है अरमानों की शिकसत,
ये लफ्ज़ो से पूछ लो,

ख्वाहिश तो हजारों होती है,
खमोशी के परदों में छुपी होती हैं,

अरमान सारे जल जाते है,
उम्मीदों के चिंराग कुछ काम नहीं आते हैं,

कैसे बेईरादा मिट जाती हैं खुशियां सारी,
ये लफ्ज़ो से पूछ लों