मुद्दतो बाद फिर लोट आया है वही पुराना जख्म,
मुद्दतो बाद फिर रातों को जागे है हम,
मुद्दतो बाद सुखे फूलों को कितावों से गिरता हुए पाया,
मुद्दतो बाद बड़े बैचेन हुए है हम,
अपनी ही खुशी से जब तुझको अन्जान हमने पाया,
मुद्दतो बाद तेरी संगदिली पर रोए है हम,
मुद्दतो बाद दर्द को पुराने अन्दाज में हमने पाया,
मुद्दतो बाद बिती हुई जिन्दगी के पन्नों को पलटे है हम,
मुद्दतो बाद तुफानों से लडऩा हमे आया,
मुद्दतो बाद तुफानों से बच पाये है हम,
मुद्दतो बाद वक्त के साथ चलना हमें आया,
मुद्दतो बाद लम्हा-लम्हा दर्द के साये में जिन्दगी जिये है हम,
सैयद शबाना अली