Double crop can be obtained by cultivating one crop of arviAarbi ki khaiti

अरबी एक कंदीय फसल है ये कंद सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। अरबी की खेती में कंद एवं पत्तों दोनो की मार्केटे में डिमांड बनी रहती है क्योकि इसके पत्तों के पकौड़े एवं साग सब्जी बनती है वहीं अरबी के कंद की भी सब्जी बनाई जाती है। अरबी के कंद एवं पत्तों में प्रचुर मात्रा में विटामिन खनिज भरपूर मात्रा में पाऐ जाते है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।

अरबी की फसल करके किसान कम लागत में दोहरा मुनाफा कमा सकते है क्योकि अरबी के कंद के साथ-साथ अरबी के पत्तों की डिमांड बाजार में बारहमासी बनी रहती है। क्योकि अरबी की फसल से पत्ते तथा जड़ दोनो से मुनाफा कमाया जा सकता है। बारिश के मौसम में इसके पत्तों की मांग ज्यादा बड़ जाती है। अरबी की फसल करने में ज्यादा मेहनत भी नही लगती और लागत भी बहुत कम लगती है। बारिश के मौसम में अरबी की फसल बोने से सिंचाई की भी कम आवश्यकतां पढ़ती जिससे किसानों को पानी और मेहनत और समय की भी बचत होती है। कम लागत और कम मेहनत में मुनाफे का सौदा है किसान एक एकड़ भूमि में अरबी की फसल बोकर 60 से 65 क्विंटल तक फसल का उत्पाद प्राप्त कर सकते है साथ ही इसके पत्तों को बेच कर डबल मुनाफा कमा सकते है।

अरबी की फसल बोने के लिए उपयुक्त जलवायु :-

अरबी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त उष्ण एवं समशीतोष्ण जलवायु होती है। अरबी की खेती गर्मी एवं सर्दी और बारिश तीनों मौसम में की जा सकती है। अरबी की फसल के लिए 20 से 35 डीग्री तापमान उपयुक्त माना जाता है। अरबी की फसल के लिए पर्याप्त वर्षा की आवश्यकता होती है लेकिन खेत में जलभराव की स्थिती नहीं होनी चाहिए क्योकि उच्च आद्रता भी अरबी की फसल के लिए फायदेमंद होती है। क्योकि इसके कंद आद्रता में तेजी से पनपते है। अरबी की फसल गर्मी और बारिश दोनो मौसम में उगाई जा सकती है। लेकिन ज्यादात्तर इसकी बुवाई खरीफ के मौसम में की जाती है।

अरबी की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी :-

अरबी की खेती के लिए उपजाऊ और उचित जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। अरबी की खेती के लिए बलूई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। क्योकि इस मिट्टी में जल निकासी अच्छी तरह से होती है। इसके अलावा पर्याप्त जीवांशम वाली मिट्टी भी अरबी की फसल के लिए अच्छी मानी जाती है। बलुई दोमट मिट्टी यह मिट्टी पानी को अच्छी तरह से सोख लेती है। और जड़ो को सडऩे से बचाती है इसलिए अरबी की फसल के लिए इस मिट्टी का उपयुक्त माना जाता है।

अरबी की खेती करने का तरीका:-

अरबी की खेती करने के लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करके खेत की मिट्टी का भुरभुरा कर लें। इसके बाद तीन से चार बार खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। फिर जमीन में 10 सेंटीमीटर ऊंची क्यारी बनाएं। जिसमें 60 सेंटी मीटर की दुरी रखें। अब क्यारी बनाकर 45 सेंटीमीटर की दूरी पर 5 सेंटी मीटर की गहराई में कंद की रोपाई कर दें। अरबी की फसल की आप फरवरी मार्च एवं जून जुलाई में रोपाई कर सकते है।

अरबी की फसल में खाद एवं उर्वरक:-

अरबी की फसल में गोबर की सड़ी हुई खाद 150 से 200 क्ंिवटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब की दर से डालनी चाहिए। इसके अलावा 50 किलो फास्फोरस और 100 किलों पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें। अरबी की फसल में गोबर की खाद यूरिया, डीएपी, और पोटाश का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा 12:32:16 एनपीके उर्वरक भी इस्तेमाल कर सकते है।

अरबी की फसल में उपयुक्त सिंचाई :-

अरबी की फसल में अगर बरसात के मौसम में फसल बोई गई है तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। अगर पानी कम गिर रहा है बारिश कम होने पर मिट्टी की आद्रता के हिसाब से सिंचाई करें। गर्मी के मौसम में अरबी की फसल में 8 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई कर देनी चाहिए।

अरबी की फसल में निराई गुड़ाई :-

अरबी की फसल की बुवाई के तीन से चार सप्ताह के बाद निराई गुड़ाई करनी चाहिए। तीन से चार सप्ताह में मिट्टी ठोस हो जाती है निराई गुड़ाई से अरबी के फसल की जड़ों को फैलने में आसानी हो जाती है और कंद अच्छी तरह से बड़ते है।

अरबी की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें :-

अरबी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई गुड़ाई कर खरपतवारों का निकाल सकते है। अरबी की फसल में 5 से 7 दिन के अंतराल पर निराई गुड़ाई करनी चाहिए।
मल्चिंग विधी द्वारा भी खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिए खेत में पौधों के चारों ओर प्लास्टिक कवर, पुआल या पत्तों से ढंक दिया जाता है। इससे खरपतवारों का अंकुरण एवं विकास रूक जाता है।

कुछ खरपतवारनाशकों का उपयोग करके भी खरपतवारों पर नियंत्रण किया जा सकता है। जैसे एल्ट्राजीन, सीमैजिन का 1 किलो ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग किया जाता है। फसल बाने से पहले जुताई करने से भी खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है।

अरबी की फसल की कटाई:-

अरबी की फसल 130 से 140 दिनों में पक्ककर तैयार हो जाती है। जब अरबी के पत्ते पीले होकर सुख जाए तो समझ जाना चाहिए की अरबी की फसल पक्ककर तैयार है। अरबी की फसल की कटाई से पहले ये ध्यान देना चाहिए की खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। ताकि कंदो का आसानी से निकाला जा सकें। अरबी की फसल की कटाई आमतौर पर हाथो से कुदाल द्वारा खुदाई करके की जाती है। अब फसल की जड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए पौधों को उखाड़ लेना चाहिए। कटाई के बाद बड़े कंद एवं छोटे कंदों को छाटकर अलग कर देना चाहिए।

अरबी के कंदो का रखरखाव कैसे करें :-

फसल की कटाई के बाद कंदो को साफ करके फैलाकर अच्छी तरह से सुखा लेना चाहिए। उन्हें धूप से बचाकर हवादार स्थान पर रखना चाहिए जिससे कंद खराब न हो। कंदों को नमी से बचाने के लिए रेत या मिट्टी में भी रखा जा सकता है। इससे कंद खराब नहीं होगे।

अरबी की फसल को मार्केट में कैसे बेचें :-

अरबी के कंदों को ताजा मंडियों में भी बेचा जा सकता है ताजा कंदों की मार्केट में ज्यादा डिमाड रहती है अरबी की फसल की किमत मार्केट डिमांड एवं समय के अनुसार बदलती रहती है। अरबी के पत्तों की किमत 300 से 500 रूपए प्रति क्ंिवटल तक मिल सकती है। इस समय बाजार में अरबी की मांग ज्यादा है। फुटकर बाजार में अरबी की किमत 40 से 80 रूपए प्रति किलो तक मिल सकती है। आमतौर पर व्यापारी 22 से 24 रूपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदते है लेकिन दिल्ली जैसे बड़े मार्केट में 35 से 40 रूपए प्रति किलो तक दाम मिल सकते है। अरबी की खेती कर किसान बड़े पैमाने पर मुनाफा कमा रहे है। अगर उन्नत तकनीक का उपयोग कर ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कर दुगना लाभ कमाया जा सकता है। अरबी की फसल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है।