Gazal : जोड़ी थी जिससे हमने अपनी खुशियां…
जोड़ी थी जिससे हमने अपनी खुशियां, वो बागे बहारा उजड़ गया… कोई रंग बाकी न रहा हर रंग हाथों से…
जोड़ी थी जिससे हमने अपनी खुशियां, वो बागे बहारा उजड़ गया… कोई रंग बाकी न रहा हर रंग हाथों से…
अहदे वफा में दर्दे दिल का पैगाम भेजा था जिससे, खत वो इस तरह से वापस आया, हुई थी खतम…
फिजाओं में वो हमे मुस्कुराने को कहते हैं, हाए कैसे है वो संगदिल जख्मों को जलाने को कहते हैं, तड़पते…
सच क्या था ये दुनिया से छुपा गए हम, बिन सासों के भी जी के दिखा गए हम, अब जो…
दर्द हूं मैं तू मेरी अवाज न बन, छुप जा किसी जख्म में कही, खमोश रह मजलुम की फरियाद न…
अपनी जिन्दगी की हकीकत बया नहीं कर पाऊंगा मैं, लफजों में छुपाऊंगा या अक्सों में ढल जाऊंगा मैं, बहुत गहरा…
खिलौनों की तरह बिखर जाएगें हम, फूलों की तरह सिमट जाएगें हम, हमें इतना न सताना ऐ जिन्दगी, मौत से…
फूल हमें सिखाते है, काटों में रहकर कैसे मुस्कुराते हैं, फूल हमें सिखाते है, अपनी खुश्बू से कैसे दूसरों की…
कभी जलते हुए चिरांगों को यूं छेड़ा नहीं करते, उजालों से भरी दुनिया में यूं अन्धेरा नहीं करते, है बहुत…
लोकतंत्र का महापर्व है आया खुशियां साथ में लाया आओ मिलकर करे मतदान… बढ़ाए अपने देश की शान माँ जितना…