The pride of Madhya Pradesh resonated on the path of dutyBhopal News

चीतों की ऐतिहासिक वापसी मध्यप्रदेश की नई पहचान, बनी आकर्षण का केंद्र

Bhopal News : नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आज मध्यप्रदेश की झांकी को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। 76वें गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय उत्सव में इस बार कर्तव्य पथ पर मध्यप्रदेश की झांकी ने देशवासियों का दिल जीत लिया। वन्य जीवन, जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देती म.प्र. की झांकी ने हर भारतीय को प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास दिलाया।

मध्यप्रदेश की यह झांकी केवल कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि प्रदेश के सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में किए जा रहे सार्थक प्रयासों का भी प्रतीक है। झांकी में चीतों के संरक्षण और पुनर्वास में अहम भूमिका निभाने वाले चीता मित्रों को भी प्रमुखता से दिखाया गया। ये

कर्तव्यपरायण कर्मयोगी, दिन-रात पर्यावरण और वन्यजीवों की रक्षा में जुटे रहते हैं। इनके अथक प्रयासों के बिना यह सफलता संभव नहीं थी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि चीतों की वापसी ने मध्यप्रदेश के इको-टूरिज्म को भी नई ऊर्जा दी है। राज्य में आने वाले पर्यटक अब कूनो नेशनल पार्क में इन दुर्लभ चीतों को देखने के रोमांचक अनुभव कर सकते हैं।

यह पहल राज्य की आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति में भी योगदान देगी। उन्होंने कहा है कि प्राणवायु देने वाले हमारे वनों, वनस्पतियों और वन्य प्राणियों के विकास एवं संरक्षण की दिशा में हमारे प्रयास हमेशा जारी रहेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस उपलब्धि पर सोशल मीडिया एक्स पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा है कि चीतों का आगमन न केवल हमारे इको-टूरिज्म को प्रोत्साहन देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

चीतों की ऐतिहासिक वापसी पर आधारित झांकी ने न केवल राज्य की समृद्ध जैव विविधता को उजागर किया, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई चीता पुनर्वास परियोजना की सफलता को भी उत्कृष्टता से रेखांकित किया। झांकी में कूनो नेशनल पार्क और वहां बसे चीतों को दिखाया गया, जिन्होंने मध्यप्रदेश को चीता स्टेट के रूप में पहचान दिलाई है।

वर्ष 2023 के सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को पुनर्स्थापित कर एक नया इतिहास रचा। यह परियोजना भारत के वन्य-जीव संरक्षण के व्यापक प्रयासों में एक मील का पत्थर मानी जा रही है। चीतों के सफल पुनर्वास ने मध्यप्रदेश को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई है।