भारत के नागरिक को जापान के नागरिक ने घर ना बुलाने पर कुछ पुराने इतिहास की बातें से शर्मसार किया भारतीय नागरिक सर झुका कर खड़ा रहा वह अपने आप को बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रहा था

जापान में साल भर से ज़्यादा समय से रह रहे एक भारतीय व्यक्ति ने जापान में एक अजीब बात देखी कि उसके जापानी मित्र विनम्र और मददगार थे, किंतु उसे कोई भी अपने घर नहीं बुलाता था, एक कप चाय के लिए भी नहीं। भारतीय नागरिक ने अपने दोस्त से पूछा हैरान और परेशान होकर, आखिरकार उसने एक जापानी मित्र से पूछा कि ऐसा क्यों उसका जापानी दोस्त काफ़ी देर तक चुप रहने के बाद, उस दोस्त ने जवाब दिया कि हमें भारतीय इतिहास पढ़ाया जाता है किंतु प्रेरणा लेने के लिए नहीं, बल्कि एक चेतावनी के तौर पर।

उस भारतीय व्यक्ति ने हैरान होकर पूछा,
भारतीय इतिहास चेतावनी के तौर पर पढ़ाया जाता है प्लीज़ बताओ क्यों
जापानी दोस्त ने उससे पूछा कितने अंग्रेजों ने भारत पर राज किया जापानी दोस्त ने
भारतीय व्यक्ति ने कहा, शायद.. लगभग 10,000″
जापानी व्यक्ति ने गंभीरता से हाँ में सिर हिलाया और पूछा उस समय भारत में 30 करोड़ से ज़्यादा भारतीय रहते थे। है ना

जापानी व्यक्ति ने कहा कि 30 करोड लोगों पर 10000 लगभग अंग्रेज अंग्रेजों ने तुम भारतीय में फूट डालकर 30 करोड लोगों पर राज किया जो लोग तुम पर गोली चल रहे थे वह कोई और नहीं वह भारतीय थे आज भी एक नेता तुम पर राज कर रहा है तुम मैं आपसे जात-पात भेदभाव पैदा कर कर वह अपने परिवारों को तुम पर राज कर रहा है कभी आपने देखा होगा कि गौर करना कोई भी नेता किसी भी धर्म के धार्मिक स्थल पर आसानी से जाकर उसे धर्म का पालन करता है और तुम लोगों को अपने दूसरे धर्म के मित्रों को भड़काने का काम करता है यह भी वही अंग्रेजों की राजनीति चल रहे हैं जो अंग्रेजों ने पहले भारतीयों पर चलाई थी और राज किया था और हमको गुलाम बनाया था आज भी हम गुलाम है गुलामी से बाहर नहीं निकल पा रहे धर्म जात के नाम पर आपस में नेता लड़ा रहे हमारे हमारे परिवारों के बच्चों का भविष्य खराब कर रहा है अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पड़कर विदेश में भेज रहे हैं

तो फिर तुम्हारे लोगों पर अत्याचार किसने किया उन्हें कोड़े मारने, यातना देने और गोली मारने के आदेशों का पालन किसने किया

उसने ज़ोर देकर पूछा कि
जब जनरल डायर ने जलियाँवाला बाग में गोली चलाने का आदेश दिया, तो ट्रिगर किसने दबाया था क्या वे अंग्रेज़ सैनिक थे नहीं , वे भारतीय थे।
किसी ने भी जनरल डायर पर अपनी राइफल क्यों नहीं तानी एक ने भी नहीं। उसने कहा तुम जिस गुलामी की बात करते हो ना यही तुम्हारी असली गुलामी थी। शरीर की नहीं, आत्मा की।

वह भारतीय व्यक्ति जड़वत, मौन और शर्मिंदा खड़ा सुनता रहा।

जापानी मित्र ने आगे कहा मध्य एशिया से कितने मुग़ल आए थे शायद कुछेक हज़ार और फिर भी उन्होंने सदियों तक तुम पर राज किया।
मुगलों ने अपने संख्या बल से भारत में शासन नहीं किया बल्कि तुम्हारे अपने लोगों ने सिर झुकाकर मुगलों को सलाम किया। अपने लोगों से द्रोह किया और मुगलों की वफ़ादारी की। या तो ज़िंदा रहने के लिए या चाँदी के सिक्कों के लिए।

तुम्हारे अपने ही लोगों ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। अपनी बहन  बेटी मुगलों से ब्याह दी।
तुम्हारे ही लोगों ने तुम्हारे नायकों को अंग्रेजों को सौंप दिया। चंद्रशेखर आज़ाद के साथ विश्वासघात किसने किया वे अल्फ्रेड पार्क में छुप हैं ये खबर अंग्रेजों को किसने दी
भगत सिंह को उन लोगों की अनुमति के बिना फाँसी पर चढ़ाना आसान था क्या जो कि खुद को देशभक्त कहते थे।

तुम भारतियों को विदेशी दुश्मनों की ज़रूरत नहीं है। तुम्हारे ही लोग सत्ता, पद और निजी लाभ के लिए बार-बार तुम्हें धोखा देते हैं। इसीलिए हम भारतियों से दूरी बना कर रखते हैं।

जब अंग्रेज़ हाँगकांग और सिंगापुर आए, तो एक भी स्थानीय व्यक्ति उनकी सेना में शामिल नहीं हुआ। लेकिन भारत में, तुम सिर्फ़ दुश्मनों की सेना में ही शामिल नहीं हुए बल्कि तुमने उनकी सेवा की। उनकी पूजा की। उन्हें खुश करने के लिए अपने ही लोगों को मार डाला।

तुम भारतीय आज भी नहीं बदले हो। तुमने इतिहास से कोई सबक नहीं लिया है। आज भी थोड़ी सी मुफ़्त की बिजली, एक बोतल शराब, एक कंबल दे दो—और तुम्हारा वोट, तुम्हारा ज़मीर, तुम्हारी आवाज़, सब बिना सोचे-समझे तुम बेच देते हो।

तुम्हारी वफ़ादारी तुम्हारे देश के साथ नहीं, बल्कि तुम्हारे पेट के साथ है।

तुम नारे लगाते हो। तुम विरोध प्रदर्शन करते हो। लेकिन जब देश को तुम्हारे बलिदान की ज़रूरत पड़ती है, तब तुम कहाँ होते हो तुम्हारी पहली वफ़ादारी अभी भी अपने घर- परिवार, पत्नि-बच्चों और धन-सम्पत्ति के प्रति है। बाकी देश और धर्म सब जायें भाड़ में।

इतना कहकर वह जापानी वहाँ से चला गया और वह भारतीय शर्म के मारे सिर नीचा किए वहीं बुत की तरह खड़ा रह गया