हसरतों के मुरझाएं फूलों में,
अरमानों की मुरझाई सी कलियां
बिखरी थी बेसुमार,
हुआ था आज हमको ये अहसास,
क्यों किया था एतबार,
क्यों किया था एतबार,
झुठी थी वो सारी खुशियां
झुठे थे वो सारे ख्वाब
न थी कोई मंजिल अपनी,
सुनी-सुनी राहों पर खड़े होकर,
क्यों किया इंतजार,
भूल गए थे हम अपने आप को,
कभी सोचा नहीं क्या मिलेगी इसमें खुशी,
काटें चुनते गए दामन में बेखतयार,
अब समझ पाया ये दिल,
क्यों किया एतबार,
क्यों किया एतबार,
सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश