झलक जाए जब आंखों से तो ये एहसास होता है,
आंसूओं में भी लफज छुपा होता है,
बहुत बेकरारी में कटते है,
जब जिन्दगी के दिन रात तब लगता है
जिन्दगी का लम्हा-लम्हा कुछ कह रहा होता है,
शामे उल्फत में जब रातों को नींद नहीं आती है,
खुशनुमा ये तन्हाई कानों में कुछ कह जाती है,
तब जिन्दगी में कुछ खोने का मलाल होता है,
है मजबूर कितना दिल ये लब कह नहीं पाते है,
जज्बातों के फूल गमों की आधी से मुरझाते है,
तब रू-ब-रू जिन्दगी के गमों का साथ होता है,
अरमानों के लिए जब जिन्दगी में बुझने लगते है
उम्मीदों के चिंराग
होता है जब जिन्दगी की जिन्दगी से तकरार,
तब जिन्दगी को खोने का एहसास होता है,