For contribution to the development of the countryPrime Minister Dr. Manmohan Singh

श्रद्धा सुमन…

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह

आर्थिक सुधारों के जनक, देश का आर्थिक सुधार कर जिस कुशालता के साथ आर्थिक विकास किया हमेशा रहेगा याद…

डॉ. मनमोहन सिंह अपने सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदार छवि के लिए हमेशा सबके दिलों में जिंदा रहेगें। उन्होंने हमेशा देश की प्रगति और आम जनता के हित को प्राथमिकता की दिशा में अपने कदम बढ़ाएं। और अपने पुरे जीवन में उन्होंने आम जानता के हित में जो काम किये वो यादगार रहेगें। उनका निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है।

डॉ. मनमोहन सिंह एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने न केवल भारत को आर्थिक संकट से उबारा बल्कि एक समृद्ध और स्थिर देश की नींव भी रखी। उनका जीवन आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। भारतीय राजनीति और आर्थिक सुधारों में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की राह पर ले जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने दो कार्यकाल (2004-2014) तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की और देश के विकास में अहम भूमिका निभाई।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। जिसके बाद से देशभर में शोक की लहर छा गई। पूर्व पीएम को तबीयत बिगडऩे के बाद देर शाम दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। गुरुवार को उन्हें सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। वे लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे।

2004 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री बने। डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सूचना प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए। वे देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे। प्रधानमंत्री बनने से पहले भी सरकारी कामकाज का उन्हें लंबा अनुभव रहा। डॉ. मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक सुधारों का जनक कहा जाता है। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक विकास के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी छवि को मजबूत किया।

डॉ. मनमोहन सिंह की नीतियों ने भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकाला और भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया। डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्हें अर्थशास्त्री के रूप में भी जाना जाता है। अपने बौद्धिक दृष्टिकोण, कड़ी मेहनत और विनम्र व्यवहार के लिए सभी के बीच लोकप्रिय रहेगें।

हमारे देश के विकास में जो उन्होंने योगदान दिया उसके लिए हमारा देश सदा उनका ऋणी रहेगा। हमारे देश को आर्थिक सुधार कर उन्होंने जिस कुशालता के साथ देश को आर्थिक विकास किया वो अग्रणी है। उन्होंने देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाकर नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. मनमोहन सिंह हमारे देश में दो बार चुने गए प्रधानमंत्री थे। एकमात्र सिख प्रधानमंत्री थे। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह एक आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे, जिनकी प्रशंसा विपक्षी दल भी करते थे। उनकी गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है जिनका विपक्षी भी सम्मान करते थे। शांत स्वभाव के डॉ. मनमोहन सिंह बेहद नपा-तुला बोलते थे।

लेकिन जब बोलते थे तो देश के विकास की राहे खुल जाती थी। डॉ. मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व बहुत मजबूत था, वे न केवल भारत में बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भी अपने कौशल और दक्षता के कारण लोकप्रिय थे। और अपनी एक अलग पहचान रखते थे।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। मनमोहन सिंह को बचपन से ही पढ़ाई में बहुत रुचि थी। उस समय उनके पैतृक पंजाब में शिक्षा, अच्छे इलाज, बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी। फिर भी, पढ़ाई/शिक्षा में उनकी रुचि के कारण ही मनमोहन सिंह उस समय स्कूल आने-जाने के लिए लंबी दूरी पैदल चलकर जाते थे।

वे मिट्टी के तेल के लैंप की रोशनी में पढ़ते थे। उस समय भी रोशनी की कमी के कारण उनकी दृष्टि कमजोर थी। फिर भी वे निराश नहीं हुए। पढ़ाई में उनकी रुचि और उनके मन की प्यास के कारण उन्होंने एकाग्रता के साथ पढ़ाई की।

इसके बाद मनमोहन सिंह ने 1952 और 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से क्रमश: स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र विषय में अर्थशास्त्र ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्हें 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

डॉ. सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया। शिक्षण के बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं में कदम रखा। 1972 से 1976 तक वे भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे।

इसके बाद 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया। 1985 से 1987 तक वे योजना आयोग के अध्यक्ष भी रहे।1976 से 1980 के बीच, सिंह देश में कई अहम पदों पर रहे जिनमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर का पद, औद्योगिक विकास बैंक के निदेशक, मनीला में एशियाई विकास बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भारत के लिए वैकल्पिक गवर्नर, तथा पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक (आईबीआरडी) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भारत के लिए वैकल्पिक गवर्नर शामिल हैं।

उन्होंने वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग तथा अंतरिक्ष आयोग दोनों में सदस्य के रूप में प्रमुख पदों पर भी कार्य किया।

भारत सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों में कार्य करने के बाद 1991 में तत्कालीन नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री के रूप में कैबिनेट में स्थान दिया। उस समय भारत में वित्तीय संकट था। मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री का पद संभाला और 1991 में नव उदारवादी आर्थिक नीति को अपनाया ।

उनकी नीति के कारण भारत की आर्थिक व्यवस्था में कई सुधार हुए। महत्वपूर्ण बात यह है कि मनमोहन सिंह की पहल पर ही 1991 में भारत में एलपीजी यानी उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की शुरुआत हुई। भारत में खुली अर्थव्यवस्था की नींव रखने में उनका योगदान निर्विवाद है। उन्होंने अपने द्वारा अपनाई गई नई आर्थिक नीति को पूरे विश्व में एक खास तरीके से स्थापित किया।

डॉ. मनमोहन सिंह 1991 में उस समय देश के वित्त मंत्री बने, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। उनकी बनाई नीतियों से अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव आया। देश संकट से तो उबरा ही, आज उसकी वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी धाक है।

डॉ. मनमोहन सिंह ने 22 मई, 2004 को भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। डॉ. मनमोहन सिंह ने 22 मई, 2009 को दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। डॉ. मनमोहन सिंह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद दो बार प्रधानमंत्री बने हैं।

डॉ. मनमोहन सिंह सिखों द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले एकमात्र प्रधानमंत्री हैं। मनरेगा, आधार, सूचना का अधिकार, ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी परियोजनाएं डॉ. मनमोहन सिंह काल में ही शुरू हुईं।

डॉ. मनमोहन सिंह उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1993 और 1994 में फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर का खिताब दिया गया।

2010 में उन्हें सऊदी अरब के ऑर्डर ऑफ किंग अब्दुल अजीज सम्मानित किया गया।

2014 में जापान के ग्रैंड कॉर्डन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द पॉलोनिया फ्लावर्स से सम्मानित किया गया।

1987 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया। उनके नाम पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दर्ज हैं।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आकर्षक व्यक्तित्व वाले डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में कहा कि जब सिंह बोलते हैं तो दुनिया को उन्हें सुनना चाहिए, सिंह का ज्ञान पूरी दुनिया के लिए उपयोगी होगा।

डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में बीबीसी के एक सर्वेक्षण में कहा गया है, उन्हें भारी जनसमर्थन प्राप्त है, क्योंकि कई लोग उन्हें एक स्वच्छ राजनेता के रूप में देखते हैं, जो भ्रष्टाचार के दाग से अछूते हैं, जो कई भारतीय प्रशासनों पर हावी रहा है।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश