भारतीय संविधान अपने अंदर बहुत सारी विशेषताएं लिए हुए है। भारत का संविधान राज्य के नागरिकों के अधिकारों के लिए वैधता का स्रोत है। भारत का संविधान देश की बुनियाद है। हमारे देश के जिन महान लोगों ने मिलकर इस संविधान की बुनियाद रखी थी। उनके दिलों में हमारे देश के प्रति प्यार और सम्मान था।
हमारी मातृ भूमि के प्रति उनके दिलों में श्रृद्धा थी। देशभृति की भावना उनकी रगों में खुन बनकर दौड़ती थी। इसलिए तो जब तमाम कोशिशों के बाबजूद हमारा देश का संविधान बनकर तैयार हुआ तो वो हमारे देश की पुरी सस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हुए था।
संविधान की सर्वोच्चता का मतलब है कि संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। संविधान में देश की राजनीतिक व्यवस्था, संस्थाओं का गठन, और उनकी शक्तियां और सीमाएं तय की गई है। संविधान की सर्वोच्चता के कारण, संविधान के खिलाफ बनाए गए कानूनों को अमान्य किया जा सकता है।
भारतीय संविधान ने अपने देश के नागरिकों के लिए कई मौलिक अधिकार और कर्तव्य है। जो एक भारतीय नागरिक होने के नाते देश में हमें सम्मान के साथ जीने का हक दिया है। और साथ देश के प्रति हमारे कर्तव्यों की स्पष्ट किया गया है।
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लेख है। संविधान के भाग 3 में मौलिक अधिकारों का उल्लेख है, जबकि भाग 4 में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख है। संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का उल्लेख है। ये अधिकार सभी नागरिकों को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से कुछ बुनियादी स्वतंत्रताएं देते हैं।
भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकारों में समानता का अधिकार, भाषा और विचार प्रकट करने की आज़ादी, शोषण के खिलाफ अधिकार, आस्था और उपासना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार शामिल हैं।
हमारे देश का संविधान हमें ये बताता है। देश के प्रत्येक नागरिक को देश में समानता के साथ रहने का अधिकार है। कोई बड़ा छोटा, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित, या किसी आधार पर किसी भारतीय नागरिक के साथ उच्च-नीच का व्यवहार नहीं किया जा सकता है। संविधान ने हमें ये अधिकार दिया है। हम समानता के साथ अपने देश में रह सकते है।
कोई किसी आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकता है। हमारे देश का संविधान प्रत्येक तौर पर सभी नागरिकों सम्मान शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। प्रत्येक नागरिक को अपनी जिन्दगी में शिक्षा हासिल करना चाहिए इसकी सारी सुविधा भी देश की वर्तमान सरकार प्रत्येक नागरिक मौहया कराये।
शिक्षा से वंचित वर्ग को शिक्षा की अहमियत समझाकर उन्हें शिक्षा की तरफ लेकर आये। क्योंकि संविधान ये स्पष्ट करता है शिक्षित और जागरूक नागरिक ही देश के विकास में कदम से कदम मिला कर चल सकते है इसलिए प्रत्येक नागरिक को समानता के साथ शिक्षा का अधिकार दिया गया। कोई भी व्यक्ति किसी भी आधार पर देश के किसी नागरिक को शिक्षा से वंचित नहीं रख सकता है।
हमारे देश का संविधान प्रत्येक नागरिक को कुछ बुनियादी स्वतंत्रता प्रदान करता है। जाति, लिंग, धर्म, सभी आधारों में भेदभाव से बचाता है। देश के नागरिकों को समान रोजगार के अवसर प्रदान करता है। हमारा संविधान मौलिक अधिकारों शोषण के विरूद्ध अधिकार प्रदान करता है। जो ये बताता किसी देश के नागरिक का कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का शोषण नहीं कर सकता है।
जिसमें जाति धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव करना या किसी का शोषण करना, बाधवा मजदूर बनाकर रखना या बाल मजदूरी करवाना या नागरिकों की खरीद फरोक्त करना से प्रत्येक नागरिक को सुरक्षित रखना है। भारतीय संविधान अपने देश के प्रत्येक नागरिकों को एक समान जिन्दगी जीने का हक देता है। इस आधार पर किसी का शोषण करना या छोटे-छोटे बच्चों बाल मजदूरी करवाना सबसे रोकता है।
हमारा संविधान हमें मौलिक आधिकारों के साथ-साथ कुछ मौलिक कर्तव्य भी दिये है। भारत के प्रत्येक नागरिक को जिनका पालन और सम्मान करना जरूरी है संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 51 क में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख है। ये कर्तव्य नागरिकों को संविधान का पालन करने के लिए दिए गए हैं। संविधान ने हमें जो मौलिक कर्तव्य बताएं है। उसमें जो सबसे बड़ा हमारा कर्तव्य हैं। वो हमारे देश के तिरंगे का सम्मान करना है।
हमारे देश का तिरंगा हमारी जान है। यहीं हमारे देश की पहचान है। अपने देश के तिरंगे का सम्मान करना हमारा पहला कर्तव्य बनता है। साथ ही हमें हमारे देश की संस्कृतिक विरासत का भी सम्मान करना चाहिए। और देश के प्रति देशभृक्ति की भावना अपने दिल में हमेशा रखना चाहिए। अगर हमारे देश को किसी तरह हमारी जरूरत हो तो देश सेवा के लिए हमेशा खुद को तैयार रखना होगा।
कभी अपनी मातृ भूमि के लिए जान भी देना पड़े तो कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। मौलिक कर्तव्यों में देश की रक्षा करना, देश की सेवा करना, सौहार्द और समान बंधुत्व की भावना विकसित करना शामिल हैं। मौलिक कर्तव्यों को नैतिक दायित्व माना जाता है।
मौलिक कर्तव्यों को लागू करने के लिए न्यायपालिका का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। क्योंकि ये तो हर नागरिक का अपना कर्तव्य है वो किस तरह से अपने देश के सम्मान की हिफाजत करता है। उसके दिल में अपने देश के लिए कितनी इज्जत है।
सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश