Story : Oyster's PearlStory Sip ka Moti

ऋषि अपने ऑफिस का काम कर रहा था। इतने में उसके मोबाइल की रिंग ने उसका ध्यान खिचा, उसने देखा तो उसके पुराने टीचर शर्मा सर का कॉल था। कॉल देखकर वो मुस्कुराने लगा और खुशी-खुशी कॉल रिसिव किया।

सर कैसे है आप? मैं ठीक हूं बेटा। क्या तुम आज मुझसे मिलने मेरे घर आ सकते हो। क्यों नहीं सर। मैं आ रहा हूं। मेरी जिन्दगी में ऐसा नहीं हो सकता है। आप मुझे बुलाए और मैं न आऊं। बस मौत ही मुझे आपसे मिलने से रोक सकती हैं। जिन्दगी रहते तो ऐसा नहीं हो सकता हैं।
मेरे पापा मम्मी की मौत के बाद एक आप ही तो वो शख्स थे। जिसने मुझे जिन्दगी जीने की हिम्मत ही नहीं दी बल्कि मेरी स्कूल की पढ़ाई से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई में मेरी मदद की। बेटे की तरह पढ़ा लिखा कर इस मुकाम तक अपने ही मुझे पहुंचाया है। आप मेरे लिए मेरे पिता से भी बढक़र है।

नहीं बेटा मुझे इतनी इज्जत मत दो। कोई ओर है जो तुम्हारी नजरों में मुझसे ज्यादा सम्मान का हकदार है। उसी ने तुम्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है बेटा। तुम्हारी जिन्दगी की यही तो वो सच्चाई हैं। जिसे बताने के लिए मैं तुमसे आज मिलना चाहता हूं।
तुम घर आ जाओं बेटा मैं तुम्हारा इन्तजार कर रहा हूं। मैं इस बोझ के साथ और नहीं जी सकता हूं।

ऋषि अपने ऑफिस से निकलता है। और सोचता है आज तक जिसे वो अपना रहनुमा समझता था। वो कोई और है। कोन है वो? आज तक वो उसके सामने क्यों नहीं आया? क्यों उसने लाखों रूपए बस उसके भविष्य को सभारने में लगा दिये। क्या रिश्ता हैं उसका उस शख्स से क्यों किया उसने ऐसा?

कशमाकश के साये में चलते-चलते रास्ता कब कट गया पता ही नहीं चला। अब तो वो शर्मा सर के सामने खड़ा था। और ये जानने के लिए बेताब था। वो कोन है? जिसने उसे माँ-बाप से बढक़र प्यार ही नहीं दिया बल्कि दुनिया में सम्मान के साथ जीने का हक भी दिया।
ऋषि। शर्मा सर के पास जाते ही रोने लगा सर कह दिजिए जो आप कह रहे थे वो झुठ है। मैं मान ही नहीं सकता हूं। आपके सिवा मेरा कोई और मासिहा है। सर जो प्यार मुझे बचपन से आज तक आपसे मिला है वो अनमोल हैं मेरे लिए।

बेटा तुमने भी मुझे एक बेटे से बढक़र जो प्यार और सम्मान दिया है। वो मेरे लिए भी अनमोल हैं लेकिन मैं सच और नहीं छुपा सकता हूं।
जो प्यार और सम्मान आज तक तुम से मुझे मिला है। उसका हकदार कोई और हैं। और जिन्दगी के इस मोड़ पर अब वो बहुत तन्हा है। मुझे लगता है। एक बेटे के प्यार की उसको जरूरत है अब। बेटा मेरे पास तो मेरा भरा पुरा परिवार है। लेकिन उसका तुम्हारे सिवा दुनिया में कोई नहीं हैं। उसको तुम्हारे प्यार की जरूरत हैं अब।

वैसे वो कमजोर नहीं हैं। अपने आप में जी रही है खुश है बहुत। लेकिन मैं चाहता हूं तुम एक बार उससे मिलों। उसको वो प्यार और सम्मान दो जिसकी वो हकदार है।

बेटा वो तुम्हें बचपन से अपने बेटे की तरह मानती है। वैसे उससे तुम्हारा खुन का कोई रिश्ता नहीं है। लेकिन फिर भी उसने तुम्हारे लिए वो सब किया जो तुम्हारी माँ तुम्हारे लिए करना चाहती थी।

बेटा उसका नाम सोनिया महेरा हैं। वो मुम्बई में रहती हैं। ये उसका पता है। तुम उससे जाकर जरूर मिलना। उसने अपनी पुरी जिन्दगी तुम्हारी जिन्दगी को सभारने में लगा दी। और अपने लिए उसने जिन्दगी से कुछ नहीं चहा। वो अपने मम्मी-पापा की इकलोती संतान थी। तुमसे बहुत प्यार करती हैं। शायद उतना ही जितना वो अपने बेटे से करती।

सर अपने ये बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई। बेटा वो चाहती थी मैं तुम्हें कभी उसके बारे में न बताऊं। लेकिन बेटा अब मुझे लगता है। जैसे बचपन में तुम्हें किसी के सहारे की जरूरत थी। तो बिना किसी लोभ लालच के वो तुम्हारा सहारा बनी थी। आज उसको भी तुम्हारे साथ की जरूरत है।

आप सही कह रहे है सर जब उन्होंने मेरे लिए इतना कुछ किया है तो मैं जरूर उनसे मिलना चाहता हूं।
सर से सच्चाई जानने के बाद ऋषि बहुत बैचेन था। वो अब जल्द से जल्द सोनिया से मिलना चाहता था। इसलिए वो दूसरे दिन ही मुम्बई पहुंच गया।

जब ऋषि सोनिया से मिलने गया उस वक्त वो अपने ऑफिस में थी। ऋषि जैसे ही ऑफिस में गया वो ये देखकर हेरान था। सोनिया के ऑफिस के सारे स्टाफ बहुत खुशी के साथ उसका वेलकम कर रहे थे। सबके चहरे की खुशी देखकर वो बहुत खुश था। सब उसे सर कहकर सम्बोधित कर रहे थे।

ऋषि ने उनसे कहा मैं तो यहां पहली बार आया हूं। लेकिन आप सब को देखकर लगता है आप सब मुझे पहले से पहचानते है। हां सर हम आपको क्यों नहीं पहचानेगें आप हमारी मेडम सोनिया महेरा के इकलोते बेटे है। अच्छा ये आपको किसने कहा? आप मेडम से मिलने जा रहे है न खुद समझ जाएगें।

ऊधर सोनिया ने भी ऋषि को आते हुए देख लिया था। और वो पुरानी यादों में खो गई थी। जब वो 20-22 साल की लडक़ी थी और पहली बार उसने नन्हें मुन्ने ऋषि को अपनी माँ के साथ देखा था।

सोनिया उस दिन अपने होम टाउन से मु़म्बई लोट रही थी। के अचानक उसकी कार का टायर पन्चर हो गया ओर वो कार में बैठे हुए टायर के ठिक होने का इन्तजार करने लगी।

तभी उसकी निगाह रोड के दूसरे साईड गई। जहां पर एक बहुत बड़ा पाइवेट स्कूल था। स्कूल में बहुत सारे बच्चे खुशी-खुशी आ रहे थे। लेकिन स्कूल के सामने एक छोटा सा मासूम बच्चा अपनी मां से बार-बार स्कूल जाने की जिद कर रहा था। और रो रहा था। उसकी मां बार-बार उसे समझाने की कोशिश कर रही थी। अब वो कभी दुबारा इस स्कूल में नहीं पढ़ सकता हैं। वो उसके साथ घर वापिस चले। लेकिन बच्चा था जो घर जाने को तैयार ही नहीं था।

इतना खुबसूरत और मासूम बच्चे को इस तरह रोते देख सोनिया से रहा नहीं गया वो कार से उतर कर उस बच्चे के पास चली गई। यही वो वक्त था जिसने उसकी पुरी दुनिया ही बदलकर रख दी थी।

सोनिया उस बच्चे के पास गई और उससे कहा अच्छे बच्चे इस तरह से रोते नहीं है, न ही अपनी ममा का कहना टालते है। क्या हुआ? कितने क्यूट तो दिख रहे हो फिर स्कूल जाने में रोना कैसा? चलो अच्छे बच्चे की तरह स्कूल जाओं अपनी ममा को मत सताओं।
मुझे स्कूल जाना हैं। ममा मुझे स्कूल नहीं जाने दे रही है। बच्चे की बात सुनकर सोनिया हेरान थी। ये कोई और नहीं ऋषि और उसकी मां आरती थी। सोनिया ने ऋषि की मां से कहा क्या बात है? आप बच्चे को इतने प्यार से तैयार कर के स्कूल लेकर आई फिर उसे स्कूल क्यों नहीं जाने दे रही हो?

आरती की आंखों में आसूं थे। उसने सोनिया से अब जो कहा वो सोनिया के लिए बहुत शक्ड करने वाली बात थी। जिन्दगी की ये वो कड़वी सच्चाई थी जिससे वो अब तक अन्जान थी। बचपन से दोलत के साये पली बड़ी सोनिया ये सोचकर हेरान थी पैसा इंसान के लिए इतना मायने रखता है पैसे के आगे एक मासूम बच्चे के आँसू  की भी कोई किमत नहीं रहती।

आरती ने सोनिया को ऋषि के आसूंओं की जो सच्चाई बताई उससे उसकी दिल की दुनिया ही बदल गई। पिछले साल तक ऋषि के पापा हमारे साथ थे। तो हमारी जिन्दगी सब की जिन्दगी की तरत बहुत खुशहाल थी। सारी खुशियां हमारे साथ थी। ऋषि के पापा उसे बहुत प्यार करते थे। और उसे पढ़ा लिखा कर बहुत ही ऊचाईयों पर पहुंचाना चाहते थे।

इसलिए उन्होंने शहर के सबसे बड़े स्कूल में उसका एडमिशन कराया था। लेकिन अचानक उनकी मौत ने सब कुछ खतम कर दिया। हमारे सारे सपने बिखर कर रह गये। जिस स्कूल में दो साल तक ऋषि सम्मान के साथ पढ़ रहा था। आज मैं उस स्कूल की फीस नहीं दे पाई इसलिए उन्होंने ऋषि को स्कूल से निकाल दिया है। और आरती अपनी बेबसी पर रोने लगी।

सोनिया ने उस वक्त ऋषि का हाथ प्यार से अपने हाथ में लिया और कहा नहीं बेटा रोओं मत तुम इस ही स्कूल में पढ़ोगें। अब तुम्हारे कोई ख्वाब अधूरे नहीं रहेगें। चलो मेरे साथ। आरती सोनिया को हेरानी से देख रही थी। यही वो वक्त था जब सोनिया ने ऋषि का हाथ ऐसे थामा के उसकी जिन्दगी सभारने में उसने अपनी पुरी जिन्दगी लगा दी।

आरती की मौत के बाद वो पुरी तरह से टुट गई थी। इसलिए उसने अपनी जिन्दगी की सारी खुशियों को छोड़ कर बस उस मासूम बच्चे की आंख में दुवारा कभी आंसू न आए यही अपनी जिन्दगी का लक्ष्य बना लिया। आज वही मासूम बच्चा इतना बड़ा हो गया है। और उसकी आंखों के सामने खड़ा हैं। सोनिया बहुत खुश है उसे देखकर।

फिर ऋषि सोनिया के केबिन में जाता है। जैसे ही वो अंदर जाता है। सामने उसे अपनी बहुत बड़ी तस्वीर दिखाई देती है। जिस पर लिखा था मेरा लाड़ला बेटा ऋषि।

ऋषि की आंख में आसूं आ जाते है। वो सोनिया की तरफ देखता है ओर कहता है माँ…। सोनिया नजरे उठाकर ऋषि को देखती है। ऋषि के मुहं से माँ शब्द सुनकर उसकी आंखे भी भर आती है।

माँ एक बेटा समझकर अपने हमेशा मेरी सारी जिम्मेदारी उठाई लेकिन एक बेटा समझकर कभी आगे बढक़र मुझे गले से क्यो नहीं लगाया? अपने मेरे लिए अपनी सारी जिन्दगी बरबाद कर दी। इसलिए अपनी जिन्दगी में कभी शादी नहीं की कभी किसी ओर का प्यार मेरी प्रति अपकी जिम्मेदारी के आड़े न आये।

जब अपने मेरे लिए इतना कुछ किया तो क्यों एक इतना प्यार करने वाली माँ के होते मैं हमेशा माँ की ममता के लिए तरसता रहा। अब ओर नहीं माँ मुझे अपने आँचल की ठंडी छांव में छुपा लों।

इतना कहकर ऋषि सोनिया के कदमों के पास बैठ गया। और अपना सर सोनिया की गोद में रख दिया।

सोनिया की आंख में आसूं झरने की तरह बहने लगें। उसे ऐसा लग रहा था उसकी वर्षों पुरानी तपस्या का फल मिल गया हो। उसने प्यार से ऋषि के सर पर हाथ फैरा और रोने लगी। ऋषि ने अपने हाथों से उसके आंसू पोछते हुए कहा अब ओर नहीं अब मैं कभी आपकी आंखों में इन आंसूओं को नहीं आने दूंगा। अपने मुझे जन्म नहीं दिया हैं लेकिन माँ हर रूप में भगवान का रूप होती हैं। एक बार मैं इस अनमोल रत्न को खो चुका हूं दुवारा नहीं खोना चाहता हूं।

लेखिका

सैयद शबाना अली

Harda (M.P.)