शीतल अपने घर के सामने गार्डन में बैठकर गार्डन में खिले रंग-बिरंगी फूलों को निहार रही है, और अपनी अशान्त जिन्दगी के लिए कुछ खुशियां ढुंढ रही हैं। इतने में प्रिया आकर उसकी आंखों पर हाथ रखती है। तब भी शीतल के खमोश रहने पर प्रिया कहती है शीतल ये तुम्हें क्या हो गया हैं इस तरह खोई-खोई रहती हो पहले की तरह जिन्दगी को एंजाय़ करना सिखों तुम जानती भी हो आज तुम यहां इस तरह उदास बैठी हो और ऊधर लोग तुम्हारी मंजिल कहानी की सफलता पर खुशियां मना रहें है। और वो मंजिल जैसी खुबसूरत कहानी की लेखिका शीतल शर्मा को एक बार देखने और मिलने के लिए बेताब हैं।……………अब सिमरन ने अपने आंसू पोछे और शीतल से जाकर कहा ऑटोग्राफ प्लीस। शीतल ने एक दम चौक कर सिमरन की तरफ देखा….
Part 2
क्योंकि ये पहली बार था जब किसी ने उससे ऑटोग्राफ मांगा था। उसने मुस्कुराते हुए सिमरन की तरफ देखा और कहा आपने कैसे जाना हम ही शीतल शर्मा है। सिमरन ने कहा शीतल दीदी मैं आपकी कहानियों को पढ़ते हुए बड़ी हुई हूं। और आपसे बैइन्तहा महोब्बत भी करती हूं। शायद इसलिए आज मैं आपके सामने खड़ी हूं। और ये मेरे लिये सब से बड़ी खुशनसीबी की बात है।
शीतल ने अपनी एक नई किताब पर सिमरन को ऑटोग्राफ दिया और कहा क्या आपको हमारी किताबे इतनी ज्यादा पसंद है। के आप हमारी हकीकत जान गई। हम ही शीतल शर्मा है।
हमने आपको पहली बार देख कर जान लिया था। आप ही शीतल शर्मा है। वैसे आप गाती बहुत अच्छा है। आप अपने लिखे गाने खुद स्टेज पर क्यों नहीं पेश करती है। देखों सिमरन हमें परदे के पीछे रहना अच्छा लगता है। परदे के आगे आने से हमें डर लगता है।
हम बचपन से ही लिख रहे है लेकिन आज तक हमने ये किसी नाम या शोहरत पाने के लिए नहीं किया है। लिखना हमारी चाहत और जुनून है और अपनी प्रसिद्धि से अपने आपको दूर रखना हमारी ख्वाहिश है।
सिमरन बहुत देर तक शीतल से बाते करती रही मेमदीदी भी देख रही थी। सिमरन से बाते करते हुए शीतल बहुत खुश है। कई दिनों के बाद फिर शीतल की खोई मुस्कान उसके चहरे पर नजर आ रही थी। और जब सिमरन घर जाने लगी तो मेमदीदी ने उससे कहा सिमरन जब भी तुम्हारा यहां आने का दिल करें आ जाना। आप जब भी हमारे घर आएगी हमें खुशी होगी।
फिर सिमरन वहां से वापस अपने घर आ गई लेकिन वहां से आने के बाद वो बहुत बेचैन थी और अपनी मम्मी से उसने कहा ममा आप भी जाकर शीतल दीदी से मिलना वो बहुत अच्छी लडक़ी है और बहुत हंसमुख है। खुबसूरत तो इतनी ज्यादा है कि उनके चहरे से नजरे हटाने का दिल ही नहीं कर रहा था। उनकी नीली-नीली झील सी नशीली आंखे ऐसा लग रहा था कोई गजल कह रही हो।
ममा वो बिल्कुल सिंड्रला की तरह है। लाईक अ ड्रीम गर्ल। उन्होंने पहली मुलाकात में मुझे ये अहसास ही नहीं होने दिया कि मैं मशहूर लेखिका शीतल शर्मा से बात कर रही हूं। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था के मैं कभी उनसे मिल पाऊंगी। और वो इतनी अच्छी इंसान होगी।
ममा उनको अपनी प्रसिद्धि का बिल्कुल भी घमण्ड नहीं है वो बिल्कुल एक आम लडक़ी की तरह है। लेकिन मुझे ऐसा लगता है उनकी इस मुस्कान और हंसी के पीछे उनके दिल में एक गहरा दर्द छुपा है और यही वो दर्द है जो उनकी रचनाओं में झलकता है। और सबके दिल पर असर करता है।
लेकिन ममा मैं जान कर रहूंगी वो दर्द वो तड़प क्या है जो उन्हें दिल से मुस्कुराने नहीं देती है। जो उनके दिल में बसी है। ममा मैं जानती हूं कभी शीतल दीदी इस दर्द से निजात पा ले तो उनकी रचनाओं का अलग अंदाज हमें देखने को मिलेगा। जो और सुन्दर होगा। मैं एक दिन उनसे इस दर्द को दूर कर के रहूंगी। क्योंकि मैं उनसे बहुत प्यार करती हूं।
उनकी जिन्दगी की खुशियां मेरे लिए बहुत अहमियत रखती है। हां बेटा क्यों नहीं हम भी तुम्हारा साथ देगें। क्योंकि शीतल ने इतनी कम उम्र में अपनी रचनाओं से दुनियां के सामने इंसानियत के अलग-अलग रूप जिस तरह से पेश किये उससे हर किसी को जिन्दगी जीने की नई प्रेरणा मिलती है। उसने अपनी रचनाओं से सब का दिल जीता हैं। हमें खुशी होगी अगर हम उसके लिये कुछ कर पाएगें।
अब सिमरन रोज शीतल के पास जाती है और उसको खूबसूरत जगह लें जाती जहां रह कर शीतल को भी सुकून महसूस होता है अब शीतल खुश थी क्यों कि आज मेमदीदी अकेली नहीं थी। बल्कि उनका साथ देने के लिये प्रिया और सिमरन भी थी। पहले कभी उसका दिल कहीं घुमने जाने को करता और वो मेमदीदी के चहरे की थकान देख मेमदीदी के कहने पर भी वो मना कर देती थी।
लेकिन आज वो प्रिया और सिमरन के साथ से अपनी हर दिली हसरत को पुरा करती और घंटों प्रकृति के नजारों में बैठकर अपनी कल्पनाओं को साकार करती। ऊधर मेमदीदी प्रिया और सिमरन हरपल ये सोचती के किसी तरह शीतल की खोई खुशियां उसे मिल जाये।
सिमरन की मीठी-मीठी बातों ने शीतल का मन मोह लिया था। अब शीतल को भी सिमरन से बाते करना अच्छा लगता था। सिमरन हमेशा शीतल से कई सवाल पूछती। एक बार ऐसे ही सिमरन शीतल के पास बैठ कर बाते कर रही थी।
इतने में उसकी निगाह सामने की मेज पर रखी पुस्तक पर पड़ी। उस किताब का नाम किस्मत था। उसे देखकर सिमरन ने कहा शीतल दीदी अब तक मैंने आपकी सभी पुस्तके पढ़ी है लेकिन ये पुस्तक मैंने अभी तक नहीं पढ़ी क्या मैं इसे देख सकती हूं। क्या ये आपकी नई किताब है।
शीतल ने उदास मन से कहा नहीं सिमरन इस पुस्तक में क्या लिखा है ये बस हम जानते है।
अभी तक हमने इसे किसी को पढऩे का हक नहीं दिया है। इस किताब को तुम भी नहीं पढ़ों तो अच्छा है। लेकिन क्यों दीदी? सिमरन के इस सवाल का जवाब शीतल ने खमोशी में दिया और अपने दिल में सोचा हम तुम्हें ये बात नहीं बता सकते के ये ही वो किताब है जिसे हमने पहली बार लिखी थी।
जिसमें हमने अपने जीवन की कड़वी सच्चाई बयान की है। और इस पुस्तक ने ही हमको आगे चलकर कहानी लिखने की प्रेरणा दी। आज हम जो कुछ है। उसमें इस किताब का बहुत बड़ा हाथ है। क्या कहे इस किताब की शुरूआत हमारे उस बचपन से है जो खुशियों की बहारों की तरह था। जिसमें खुशियों के कई फूल खिले थे।
लेकिन फिर गमों की ऐसी आंधी चली खुशियों के सारे फूल मुरझा गये। और फिर हमारा बचपन दुखों के साये में बिता और आगे चलकर जब मेमदीदी ने हमें सभाला तो हम अपने सब दुखों को भुलकर हंसने लगे मुस्कुराने लगें। और इसी बीच शैखर ने हमारी जिन्दगी में कदम रखा उसके इस दिल में आने से हम अपने सारे गम भुल गये और सपनों के बादलों में शैखर के साथ एक खुशहाल अशियाना बनाने के सपने देखने लगे।
लेकिन ये खुशियां हमारी नहीं थी और एक दिन हमारी बदनसीबी ने हमें फिर घैर लिया। और हमारे सब सपने टुट गये। और उसके बाद तो हमारी जिन्दगी में जो तुफान आया उससे आज भी हम जुझ रहे है।
लेकिन यादों के भंवर से हमें निकलने नहीं देते हम उनमें जकड़ गये है और हम साहिल के करीब आकर भी दुख के समुन्द्र में डुब गये है। शीतल इतना सोच रही थी इतने में एक हवा के झोके ने उसे छुआ और वो फिर अपने ख्यालों की दुनियां से निकल कर उस किताब को देखने लगी।
सिमरन देख रही थी शीतल की आंखों में आंसू थे। जो किसी दरिया के पानी की तरह बह रहे थे। वो इस वक्त शीतल से कुछ नहीं कह सकी। और उसे एक टक देखती रही।
इतने में एक तेज हवा का झोका आया और किताब के पन्ने पलटने लगे और मेज पर रखे कोरे कागज उड़ कर चारों तरफ बिखर गये। ये देखकर सिमरन उन कोरे कागजों को समेटने लगी। लेकिन शीतल की निगाह बस उस तस्वीर पर टिकी थी।
जो उस किताब से उडक़र नीचे गिर गई थी। और वो उसे उठाने की पूरी कोशिश करने लगी। लेकिन उसका हाथ उस तक नहीं पहुंच रहा था। और हवा और उसे दूर कर रही थी।
शीतल को आज अपने इस हाल पर रोना आ रहा था। अब वो और उस तस्वीर को अपने से दूर जाते हुए नहीं देख सकती थी। और उसने अपने आपको कुर्सी से गीरा लिया और घसीटते हुए उस तस्वीर तक पहुंची उसको अपने हाथों में उठा लिया। और उसे देखकर रोने लगी।
सिमरन जो कागजों को समेटते हुए दूर निकल गई थी। शीतल के रोने की अवाज सुनकर उसके तरफ दोड़ी आई। शीतल को उठाकर कुर्सी पर बिठाया शीतल ने सिमरन को देखकर कहा आप कहे रही थी न किस्मत क्या है? यही है हमारी किस्मत?
ये सुनकर प्रिया ने कहा शीतल तुम ऐसा क्यों सोचती हो। तुम्हारी किस्मत गिरना नहीं बल्कि लोगों के दिलों पर राज करना है। शीतल यूं अपने जख्मों को देख-देख मत तड़पों उनका सामना करों। उनपर खुशियां का मरहम लगाओं। फिर देखना ये खुद तुम्हारा साथ छोड़ देगे।
लेकिन शीतल अपने बुझे मन से कहती है प्रिया अब हम कुछ नहीं कर सकते है ये दिल अब जख्मों से चुर-चुर हो गया है। अब इसमें जीने की ताकत नहीं है। अब तो मौत ही हमें खुशियां दे सकती है हमें मर जाने दों। और शीतल खुब रोने लगी सिमरन उसे एक सा देख रही थी।
प्रिया ने शीतल के मुहं पर हाथ रखते हुए कहा नहीं शीतल ऐसा मत कहों तुम तो कभी दुखों से हार नहीं मानती थी आज ये क्या हो गया है तुमको? जब हम सब तुम्हारे साथ है फिर क्यों घबराती हो तुम्हें जीना है। शीतल अपने लिये नहीं तो हमारे लिए।
फिर सिमरन ने भी कहा हां दीदी अब हंस दो मुझे आप हंसते हुए ज्यादा अच्छे लगती हो। हम तो है न आपके फिर क्यों रोती हो आप मत रोया करों हम भी तो आपके है और हमारी तरह लाखों लोग जो आपको दिल में बसा के आप से प्यार करते है।
आप अपने दर्द को हम अपनों में बाट दो दर्द खुद वा खुद कम हो जाएगा। और खुशियां आपके कदम चुमेगी। हां शीतल सिमरन सही कहती है अपने दुखों को भुलकर नई खुशियों को कबुल करों। और भुल जाओं उन जख्मों को जो इन अपनों की खुशियों के सामने कुछ नहीं है।
मेम दीदी ने भी शीतल का हाथ पकड़ कर कहा बेबी हम भी आपके चेहरे पर दुबारा मुस्कान देखना चाहते है। और हम उम्मीद करता है ये खुशी आप हमें जरूर लोटाएंगी।
और इसी तरह दिन गुजरते जा रहे थे। और मेमदीदी प्रिया और सिमरन ने ये फैसला लिया के वो किसी भी हाल में शीतल की खुशियां उसे लौटाएंगी चाहे उन्हें शैखर को दुबारा शीतल की जिन्दगी में लाना पड़े।
तीन चार महीने बाद एक रोज सिमरन ने शीतल को एक शादी का कार्ड दिया और कहां मुझे उम्मीद है दीदी आप मेरी दीदी की शादी में आकर मेरा और मेरे परिवार का मान बढ़ाऐंगी।
सिमरन के इतने प्यार से बुलाने पर शीतल अपने आप को नहीं रोक सकी और शादी वाले दिन शीतल अपनी प्यारी सी सिमरन का दिल रखने के लिए सिमरन के बुलाई हुई जगह पहुंच गई। जैसे ही शीतल वहां पहुंची। वैसे ही सिमरन ने आकर मेमदीदी की जगह लेकर शीतल को अन्दर ले गई। सारा माहौल शादी वाला था।
सब मौजूद लोग शीतल को ही देख रहे थे। उस भीड़ में सालों बाद शीतल की नजर उस चेहरे पर पड़ी जो आज भी उसे हसरत भरी निगाहों से देख रहा था। और वो शैखर ही था जो पहली बार शीतल को इस हाल में देख रहा था। शीतल ने भी एक बार नजरे उठाकर शैखर की तरफ देखा और नजरे झुका ली।
शैखर ही होने वाली शादी का दुल्हा था। शैखर को दुल्हा बना देख शीतल की आंखों में आंसू आ गये थे। लेकिन उसके लिए तो शैखर की खुशी ही सब कुछ थी इसलिए उसने मेमदीदी से कहा मेमदीदी हमारा दिल घबरा रहा है। हमें यहां से ले चलों।
मेमदीदी ने उस वक्त मुस्कुराकर कहा बेबी अब आपको उस घर में जाने का कोई जरूरत नहीं है। अब तो आज वो दिन है जब हमारा सारा अरमान पुरा होगा। आज हम आपको अपने हाथों से दुल्हन बनाएगा। आज हम आपको ऐसा सजाएगा लोग कहेगा आज दुनियां में दो चाँद है। एक जमीं पर दूसरा आसमान पर।
शीतल इन सब बातों से हेरान थी उसके कुछ समझ में नहीं आ रहा था। फिर सिमरन और प्रिया ने एक खुबसूरत सी लाल चुन्नी शीतल को उड़ाते हुए कहा आज तक तुमने हमारे पसंदीदा किरदारों को मिलाकर हमे खुश किया है। आज हम आपको आपके प्यार से मिलाकर खुश होना चाहते है।
फिर प्रिया ने कहा कल जब मैं तुमको महेन्दी लगा रही थी तो तुम मुझसे कह रही थी प्रिया आप तो हमें ऐसी महेन्दी लगा रही हो जैसे कल सिमरन की अभिलाषा दीदी की नहीं हमारी शादी हो।
कल मैं तुम से कह नहीं सकी थी लेकिन यहीं सच है शीतल। इस महेन्दी में तो मैंने तुम्हारे दुल्हे का नाम भी लिखा था। क्या तुम देखना चहोगी। और प्रिया ने शीतल के दोनों हाथो को मिलाया।
शीतल ने गहरी सांस लेकर कहा शैखर..। हाँ शीतल शैखर। आज तक जो हो रहा था वो हमे मन्जूर नहीं था। इसलिए आज हमने ये फैसला किया है आज यहां सिमरन की अभिलाषा दीदी की नहीं बल्कि शीतल दीदी की शादी होगी। यहां मौजूद सभी लोगों को जो कार्ड मिले है वो शीतल शर्मा और शैखर की शादी के है।
ऊधर शीतल को पहली बार इस हाल में देखकर शैखर अपने आपको रोक नहीं पा रहा था। और शीतल को देखकर बहुत रो रहा था। और शीतल से उसने कहा शीतल क्या तुम्हें मुझ पर मेरे प्यार पर इतना भी भरोसा नहीं था।
तुम्हें क्यों ऐसा लगा मेरा प्यार इतना कमजोर है वो तुम्हें इस हाल में देखकर टुट के बिखर जाएगा। शीतल तुमने इस तरह यहां आने से पहले एक बार भी सोचा नहीं तुम्हारे इस तरह यहां आ जाने से मेरा क्या होगा। कैसे जीऊंगा मैं तुम्हारे बगैर जानती हो तुम्हारे यहां आ जाने के बाद मैं दिवानों की तरह ईधर-ऊधर तुम्हें ढुढ रहा था।
तुम्हारे अचानक यहां आने से मैं इतना तो समझ गया था ये फैसला तुमने किसी मजबूरी में किया है। लेकिन आज मैं पछताता हूं के मैं अपने प्यार की इतनी सी मजबूरी को न समझ सका।
अब तक मैं इस आस में ही अपनी जिन्दगी जी रहा था के एक रोज मुझे मेरी शीतल जरूर मिलेगी। लेकिन शीतल तुमने मेरे प्यार पर भरोसा नहीं किया। शीतल कभी तुम अपनी मजबूरी को उस दिन ही मुझे बता देती तो मुझे इतनी तकलीफ नहीं होती जितनी आज हो रही है।
मैंने तुमसे प्यार किया है। तुम जैसी हो हर रूप में मेरी जान हो। शीतल मैंने तुमसे इतना प्यार किया है अगर तुम्हारे लिए कोई मेरी जान भी मांगे तो मैं दे सकता हूं। तुम ही मेरी हर खुशी हो शीतल।
लेकिन तुमने मुझसे इतनी बड़ी बात छुपा कर मुझे अपनी ही नजरों में गिरा दिया है। मैं आज बिखर गया हूं शीतल। तुमने मुझ पर मेरे प्यार पर इतना भरोसा क्यों नहीं किया के मैं तुम्हारा हर गम न बाट सकूं। तुम ही बताओं शीतल आज कैसे तुमसे नजरे मिलाऊं। कैसे तुमसे ये कहूं के मैं तुमसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करता हूं।
सच बताऊं जिस दिन मुझे प्रिया और सिमरन ने तुम्हारी सच्चाई बताई तब मुझे अहसास हुआ के मैं कितना बदनसीब हूं के अपने प्यार की एक छोटी सी मजबूरी का न समझ सका। मुझे माफ कर दो शीतल। शायद मेरे प्यार में ही कुछ कमी थी जो तुम तन्हा ये गम सहती रही और मैं तड़पता रहा और मुझे अहसास नहीं हुआ कैसी ये तड़प है।
इतना कहकर शैखर फिर रोने लगा। शीतल ने कहा नहीं शैखर ऐसा मत कहो शायद मुझे ही अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं था।
शीतल आज मैं आपके प्यार को आपसे मांग कर अपने प्यार को पाना चाहता हूं। शैखर के इतना कहते ही शीतल उसे देखती रह गई। खमोश नजरों से उसके हर लफजों पर गौर करती रही।
शैखर ने पहली बार शीतल का हाथ पकड़ कर उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। शीतल मैं जानता हूं मैं कहीं से भी तुम्हारे प्यार के काबिल नहीं हूं। लेकिन क्या फिर भी तुम मुझसे शादी करोगी।
शैखर के मुंह से इन लफजों को सुनकर शीतल की आंखों से जो आंसू गीरे थे वो शीतल की आंख से बहने वाले पहले खुशी के आंसू थे। आज पहली बार शीतल को अहसास हुआ था उसे आज 20 साल बाद नई जिन्दगी और जीने की मंजिल मिल गई है। जिसका उसे बचपन से इंतजार था।
फिर शीतल ने एक बार मेमदीदी को मुस्कुराकर देखा। मेमदीदी ने शीतल के कन्धे पर हाथ रखकर कहा हाँ बेबी जिन्हें आप बचपन से ढुढता था ये वहीं खुशियां है।
फिर शीतल ने एक बार फिर शैखर को देखा जो उसकी हाँ सुनने के लिए बेताब था और कह रहा था। खामोश क्यों हो शीतल कहो क्या तुम मुझसे शादी करोगी। इसबार शीतल ने धीरे से कहा हाँ शैखर मैं तुमसे शादी करूंगी। शीतल के मुंह से इन शब्दों के निकलते ही सारे महौल में खुशी की लहर दोड़ गई। और शैखर शीतल की खुशी देखते ही बन रही थी।
फिर प्रिया सिमरन ने शीतल को ले जाकर दुल्हन की तरह सजा के लाई। शीतल दुल्हन की ड्रेस में बिल्कुल परि की तरह लग रही थी।
मेमदीदी शीतल की इन खुशियों को देखकर बहुत खुश थी। और उन्होंने शैखर से कहा शैखर शीतल को हमने जन्म तो नहीं दिया है। लेकिन हम ने उसे अपनी बेटी की तरह पाला है। हमारी बेबी ने अपनी जिन्दगी के इन बीस सालों को हमेशा दूसरों की खुशियों के लिए ही जिया है आज पहली बार आप उसकी जिन्दगी में खुशियां लेकर आये है। उसे जीने का मौका दिया है।
हमारी शीतल की जिन्दगी में यूंही खुशियों के रंग भरते रहना। उसको इतनी खुशियां देना के वो अब तक अपनी जिन्दगी में आये हर गम को भूल जाये। और हमेशा खुशियों के साये में मुस्कुराते रहे।
मेमदीदी आप बेफ्रिक रहिए शीतल को मैं एक बार गर्दीशो में खो चुका हूं। अब तो मैं उसे एक पल के लिए भी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने दूंगा। क्यों शीतल दोगी न जिन्दगी के हर मोड़ पर मेरा साथ।
फिर शैखर ने शीतल की लिखी पंक्ति कहीं
अनजानी राहों पर एक हमसफर की तलाश होती है,
प्यार के लिए मिलन की राह ही सबसे आसान होती है,
जो पहुंच जाते है प्यार में मिलन की मंजिल पर,
उनकी जिन्दगी में हर पल खुशियों की बरसात होती है,
फिर शीतल ने भी मुस्कुराते हुए कहा
जब हमसफर हो महबूब,
अपना हो मंजिले मिलन,
तो क्यों ना चले हम उस रास्ते पर,
जो पहुंचाता हो हमें तेरे दर पर सनम,
शीतल और शैखर की खुशियों को देखकर सब बहुत खुश थे। जब शीतल शैखर की शादी हुई तो सबकी आंखों में खुशी के आंसू झलक आये। और सिमरन ने शीतल से कहा शीतल दीदी मंजिल कहानी का ये अन्त सही है। और अब शीतल शर्मा को दुनिया से किसी परदे की भी जरूरत नहीं है। ये हम जो आपके चाहाने वाले है हमारे लिए खुशी की बात है।