वर्तमान समय में किसान पारंपरिक खेती के अलावा अन्य किस्मों कि खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे है। किसनों द्वारा अपने खेतों में बागवानी कर के दोगुना लाभ कमा रहे है। फलों कि खेती से डबल फसल का मुनाफा मिल रहा है। किसान चाहे तो पुरे 5 एकड़ खेत में चीकू की खेती करके लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते है। एक अनुमान के मुताबिक यदि सही तकनीक और कृषि क्रियाओं का इस्तेमाल किया जाए तो एक एकड़ में चीकू की खेती करके किसान करीब 5 से 6 लाख रुपए तक कमा सकतेे है।
चीकू छोटा सा स्वादिष्ट फल होता है। चीकू सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। देखने में तो छोटा सा होता है लेकिन ये अपने अंदर कई औषधीय गुण छिपाए हुए है। चीकू खाने के कई फायदे होते हैं। चीकू में एंटीऑक्सीडेंट्स और कई सारे न्यू्ट्रिएंट्स होते हैं जो बहुत सारी बीमारियों में फायदा पहुंचाते हैं। चीकू के बीज से लेकर छाल तक सभी बीमारियों में उपयोगी हैं। चीकू फल में प्रोटीन, विटामिन ए, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, टैनिन, ग्लूकोज़ जैसे कई पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते है। इसीलिए इसका सेवन हमारे शरीर के लिए उपयोगी होता है।
चीकू फल में एक खास तरह का मिठास वाला गुण होता है, इसका सेवन किसी भी बीमारी में फायदेमंद होता है व इसके फल का सेवन करने से तनाव, एनीमिया, बवासीर और पेट संबंधित बीमारियों में लाभ मिल मिलता है, तथा श्वसन तंत्र में जमे कफ और बलगम को बाहर निकालकर पुरानी खांसी में भी राहत दिलाता है। वर्तमान समय में चीकू के फायदे जानकर लोग अपनी डाइट में शामिल करते है।
भारत में किसान चीकू की खेती बड़े पैमाने पर करके लाखो का मुलाफा कमा रहे है। किसान चीकू की बागवानी कर बड़े पेमाने पर उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। चीकू एक प्रकार की बागवानी फसल है, जिसकी खेती स्वादिष्ट फल के लिए की जाती है। चीकू का पौधा एक बार लगाएं जाने के बाद कई वर्षों तक फल देता रहता है। चीकू का फल स्वाद में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। चीकू के फल की बाजार में बहुत डिमांड रहती है। एक एकड़ के खेत में चीकू की एक बार की फसल से किसान भाई 5 से 6 लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते है।
चीकू की खेती करने के लिए उपयूक्त मिट्टी
चीकू फल की खेती किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी को चीकू के फल की पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसके पौधों को हल्की लवणीय और क्षारीय भूमि में भी आसानी से उगा सकते है। चीकू की खेती करने के लिए खेत का पीएच मान 5.8 से 8 के बीच का होना चाहिए।
चीकू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु एवं तापमान
चीकू का पौधा उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाला होता है। इसकी वृद्धि करने के लिए आद्र और शुष्क दोनो प्रकार की जलवायु की आवश्यकता होती है। समुद्र तल से 1000 मीटर या इससे अधिक की ऊंचाई पर भी इसके पौधों का विकास आसानी हो जाता है। गर्मी के मौसम में चीकू का का पौधा अच्छे से पनपता करता है। ठंडी जलवायु वाले क्षेत्र जहां अधिक समय तक ठंड पढ़ती रहती है, ऐसी जगह चीकू की खेती नहीं की जा सकती ठंडी जगह में चीकू के पौधें विकसीत नहीं हो पाते है इसलिए जहां ठंड अधिक पढ़ती है वहां इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। इसके पौधों को एक वर्ष में औसतन 150 से 200 सेंटीमीटर औसत बारिश की आवश्यकता होती है। चीकू के पौधों को शुरुआती समय में वृद्धि करने के लिए सामान्य तापमान उपयुक्त होता है। चीकू के पौधों को तैयार होने के लिए अधिकतम 40 और न्यूनतम 10 डिग्री तक का तापमान सहन कर लेते है। चीकू की खेती में 70 प्रतिशत आद्रता वाला मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है।
चीकू की कई किस्में की खेती भारत में की जाती है, इसमें कीर्ति भारती, डीएसएच 2 झुमकिया, पी.के.एम.1, जोनावालासा 1, बैंगलोर, पाला, द्वारापुड़ी, ढोला दीवानी और वावी वलसा जैसी किस्में मुख्य है।
चीकू की खेती कैसे तैयार करें खेत
चीकू की खेती तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए। इसके बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल या कल्टीवेटर की मदद से खेत की दो बार गहरी जुताई कर लेनी चाहिए। उसके बाद खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए खेत की 1 से 2 बार रोटावेटर से जुताई की जाती है। इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल किया जाता है। ताकि बारिश के मौसम में खेत में जल भराव की स्थिती उत्पन्न ना हो। और पानी आसानी से खेत से बहार निकल जाए।
चीकू के पौधों को खेत में लगाने के लिए खेत में सबसे पहले गड्ढे तैयार किए जाते है। गड्ढे बनाने के लिए समतल भूमि में एक मीटर चौड़ा और दो फुट गहरा गड्ढा खेत में तैयार कर लें। इन गड्ढों को पंक्तियों में तैयार में तैयार किया जाना चाहिए। जिसमें एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति के बीच 5 से 6 मीटर की दूरी होगी।
तैयार गड्ढों में जैविक और रासायनिक खाद की उचित मात्रा को मिट्टी में मिलाकर भर दें। गड्ढों में खाद भरने के बाद गहरी सिंचाई कर ली जाए, फिर उन्हें पुलाव करके ढक देते है। इन गड्ढों की तैयारी चीकू के पौधों की रोपाई से एक माह पहले अवश्य कर लेना चाहिए।
चीकू की खेती के लिए आवश्यक उर्वरक प्रबंधन
चीकू के खेत में सामान्य फसलों की तरह ही उर्वरक की भी आवश्यकता होती है। पौधे की रोपाई करते समय तैयार गड्ढों में मिट्टी के साथ 15 किलो सड़ी गोबर की खाद और 100 ग्राम एनपीके खाद की मात्रा को अच्छे से मिलाकर गड्ढों में भर दें । खाद की इस मात्रा को पौधे की दो वर्षों की आयु पूरी करने तक देना होता है, तथा पौधे के विकास के साथ ही उर्वरक की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए। जब पौधा 15 वर्ष का पूर्ण विकसित हो जाए तो 25 किलो जैविक खाद, 3 किलो सुपर फास्फेट, 1 किलो यूरिया और 2 किलो पोटाश की मात्रा को वर्ष में दो बार देना आवश्यक होता है।
चीकू की खेती में पौधों की सिंचाई कैसे करें
चीकू के पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए इसमें कम सिंचाई की जाती है। पूर्ण रूप से विकसित चीकू के पौधों को एक वर्ष में 7 से 8 बार सिंचाई करना पर्याप्त होता है। चीकू पेड़ को पानी देने के लिए थाला बनाया जाता है। इस थाले को पौधे के तने के चारों ओर दो फीट की दूरी पर गोल घेरा बनाया जाता है। इस घेरा की चौड़ाई दो फीट तक की होनी चाहिए।
सर्दी के सीजन में 10 से 15 दिन में इसके पेड़ों की सिंचाई की जाती है, तथा गर्मी के मौसम में 5 से 6 दिन में एक बार पानी देना चाहिए। यदि आपने बलुई दोमट मिट्टी में पौधों की रोपाई की है, तो इस मिट्टी में पौधे को अधिक पानी की जरूरत होती है। इसलिए गर्मियों में पौधों को सप्ताह में दो बार पानी देना उचित होता है। बारिश के मौसम में समय से वर्षा ना होने पर ही पौधों को पानी देना चाहिए।
चीकू के पौधों में कैसे करें खरपतवार नियंत्रण
चीकू के पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक तरीके का इस्तेमाल करना चाहिए। चीकू के पौधे की रोपाई के तकरीबन 20 से 25 दिन बाद खेत में हल्की निराई-गुड़ाई अवश्य कर दें। पूरे तरीके से विकसित पौधों को प्रति वर्ष केवल 3 से 4 गुड़ाई की आवश्यकता होती है।
चीकू के फलों की तुड़ाई का सही समय
चीकू का पेड़ पूरे साल भर पैदावार दे देता है, लेकिन नवंबर, दिसंबर महीने में पौधों पर मुख्य फसल के रूप में पौधे में फूल निकलते है। मई महीने से ही फल देना शुरू कर देते है। फूल खिलने के तकरीबन सात महीने बाद फल पककर तैयार होने लग जाते है। जब इसके फल हरे से पककर भूरे रंग के हो जाए तब उनकी तुड़ाई कर लेना चाहिए।
चीकू की खेती से उत्पादन और लाभ
चीकू की उन्नत किस्मों का एक पेड़ से औसतन 130 से 135 किलो ग्राम का वार्षिक उत्पादन प्राप्त होता है। इसकी एक एकड़ के खेत में करीब 300 से अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं। जिनसे 20 टन के आसपास उत्पादन आसानी से मिल जाता है।